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करवा चौथ व्रत का समय
करवा चौथ व्रत का समय: 4 नवंबर 2020 को सुबह 06 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक.
कुल अवधि: 13 घंटे 37 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त: 4 नवंबर 2020 की शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक.
कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट.
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
करवा चौथ, 4 नवंबर 2020
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर 6 बजकर 48 मिनट तक
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय- रात 8 बजकर 15 मिनट पर
चतुर्थी तिथि का आरंभ, 04 नवंबर - 03:24
चतुर्थी तिथि समाप्त, 05 नवंबर- 05:14
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सर्वार्थ सिद्धि योग में करें करवा चौथ पूजा (Karwa Chauth Puja)-
ज्योतिषाचार्य ब्रह्मदेव शुक्ला के मुताबिक, इस साल चतुर्थी बुधवार को पड़ने से भगवान गणेश की पूजा करना फलदायी होगा. महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य की कामना कर व्रत रखती हैं. मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी चन्द्रमा हैं. राशि के स्वामी शुक्र और बुध हैं. इसलिये बुधवार को दिनभर सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा.
उत्तर भारत में ज्याद लोकप्रिय है करवा चौथ
दक्षिण भारतीय राज्यों की तुलना में, करवा चौथ उत्तर भारतीय राज्यों में अधिक लोकप्रिय है. करवा चौथ के चार दिनों के बाद, अहोई अष्टमी व्रत पुत्रों के कल्याण के लिए मनाया जाता है.
पूजा की थाली में होती है ये सामग्री
पूजा की थाली में फल, फूल, सुहाग का सामान, जल, दीपक और मिठाई होनी चाहिए. इन चीजों से करवा माता की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लेकर अपने परिवार के मंगलकामना की प्रार्थना कर पूजा संपन्न की जाती है.
पंजाब में विशेष रूप में मनाया जाता है करवा चौथ
करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाता है. व्रत से पहले सरगी खाया जाता है. सरगी विवाहित महिलाएं जो करवा चौथ का व्रत करती है उनकी सास के द्वारा तैयार की जाती है. जिसे वह करवा चौथ वाले दिन सूर्योदय से पहले खाती हैं.
आइये जानते हैं, आपके शहर में चंद्रमा करीब कितने बजे दिखाई देगा.
दिल्ली में 8:11 बजे
जयपुर में 8:22 बजे
देहरादून में 8:03 बजे
शिमला में 8:06 बजे
चंडीगढ़ में 8:11 बजे
लखनऊ में 8:00 बजे
पटना में 7:45 बजे
शाहजहांपुर - 8:03 बजे
कोलकाता में 7:40 बजे
भोपाल में 8:23 बजे
गांधीनगर में 8:42 बजे
मुंबई में 8:51 बजे
बेंगलुरु में 8:12 बजे
चेन्नई में 8:32 बजे
हैदराबाद में- 8:33 बजे
बुलंदशहर में - 8:10 बजे
सम्भल में - 8:07 बजे
अमरोहा में - 8:06 बजे
हरदोई में - 8:03 बजे
फिरोजाबाद में - 8:11 बजे
मुजफ्फरनगर में - 8:08 बजे
झांसी में - 8:16 बजे
फतेहपुर में - 8:04 बजे
अमृतसर में- 08:15 बजे
श्रीनगर में- 08:08 बजे
अहमदाबाद में- 08:45 बजे
प्रयागराज में- 08:02 बजे
गाजियाबाद में - 8:11 बजे
अलीगढ़ में - 8:10 बजे
वाराणसी में - 7:56 बजे
कानपुर में- 8:05 बजे
आगरा में - 8:12 बजे
मेरठ में - 8:09 बजे
नोएडा में- 8:12 बजे
गोरखपुर में- 7:51 बजे
बरेली में - 8:04 बजे
मथुरा में- 8:15 बजे
मुरादाबाद में- 8:05 बजे
सहारनपुर में- 8:08 बजे
अयोध्या में- 7:56 बजे
बदायूं में- 8:06 बजे
रामपुर में- 8:04 बजे
फर्रुखाबाद में- 8:07 बजे
हापुड़ में- 8:10 बजे
मिर्जापुर में- 7:58 बजे
इटावा में- 8:09 बजे
रायबरेली में- 8:01 बजे
गोंडा में - 7:56 बजे
आजमगढ़ - 7:54 बजे
जौनपुर - 7:56 बजे
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करवा चौथ व्रत कथा
चौथ का व्रत चौथ से ही प्रारम्भ किया जाता है. इसके बाद ही अन्य महीनों के व्रत करने की परम्परा है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ को चन्द्र देवता की पूजा के साथ-साथ शिव-पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है. शिव-पार्वती पूजा का विधान इसलिए माना गया है कि जिस प्रकार शैल पुत्री पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्राप्त कर अखण्ड सौभाग्य प्राप्त किया है, वैसा ही उन्हें भी प्राप्त हों, वैसे भी गौरी का पूजन कुंवारी कन्याओं और विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष महात्मय माना जाता है. इस दिन कुंवारी कन्यायें गौरा देवी का पूजन करती हैं। महाभारत काल में पाण्डवों की रक्षा हेतु द्रोपदी ने यह व्रत किया था.
इसलिए जरूरी है ये व्रत
इस दिन व्रती स्त्रियों को प्रात:काल स्नानादि के बाद "मम् सुख सौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रत महं करिष्ये" पति, पुत्र-पौत्र तथा सुख सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर यह व्रत करना चाहिए. इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चन्द्रमा का पूजन करके अघ्र्य देकर ही जल, भोजन ग्रहण करना चाहिए.
पूजा विधि
सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत रखने का संकल्प लें. फल, मिठाई, सेवईं व पूड़ी की सरगी ले व्रत शुरू करें. भगवान शिव के परिवार की पूजा करें. भगवान गणेश जी को पीले फूलों की माला और लड्डू का भोग लगाएं. शिव पार्वती को बेलपत्र व शृंगार की वस्तुएं अर्पित करें. मिट्टी के करवे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. पीतल के करवे में पूड़ी व मिठाई रखें. ढक्कन पर चावल रखकर दीपक जलाएं.
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ऐसे व्रत तोड़ती है महिलाएं
इस व्रत में विवाहित महिलाएं सुबह से निर्जला व्रत रखती हैं फिर रात को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं.
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की होती है पूजा
इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा- आराधना की जाती है. फिर करवाचौथ व्रत की कथा सुनी जाती है.
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चतुर्थी तिथि तक मन की होती है चंचलता
एकादशी से लेकर चतुर्थी तिथि तक मन की चंचलता ज्यादा होती है. इस चंचलता के कारण काम भी बिगड़ते हैं और हर काम में बाधा भी आती है. इसलिए इन दिनों को मन और शरीर को शुद्ध रखने के लिए उपवास रखे जाते हैं. चन्द्रमा की किरणों के प्रभाव और उपवास से मन खूब एकाग्र हो जाता है और एकाग्र मन से की गई प्रार्थना तुरंत स्वीकार हो जाती है.
करवा चौथ के व्रत का मुहूर्त
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karva Chauth Date and Time)
करवा चौथ की तिथि: 4 नवंबर 2020
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 4 नवंबर 2020 (गुरुवार) को सुबह 03 बजकर 24 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 5 नवंबर 2020 को सुबह 05 बजकर 14 मिनट तक
करवा चौथ में चांद निकालने का समय
आज करवा चौथ व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 33 मिनट से 06 बजकर 39 मिनट तक रहेगा.
महासंयोग वाला है करवा चौथ
ये सारे महासंयोग करवा चौथ का व्रत रख रही सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं को उनकी पूजा का पूरा फल दिलाएंगे.
मलमास के कारण करवा चौथ की नही होती शुरूआत
ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल अधिक मास रहा है, इसलिए करवा चौथे के व्रत का आरम्भ इस वर्ष नहीं किया जा सकता है. जिस वर्ष अधिकमास यानी मलमास लगता है, उस साल से करवा चौथ की शुरुआत नहीं होती है. हर तीसरे वर्ष के अंतराल में ऐसा होता है. इस साल 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिकमास रहा था.
लाल रंग है प्यार का प्रतीक
पूजा-पाठ में भूरे और काले रंग को शुभ नहीं माना जाता है. हो सके तो इस दिन लाल रंग के कपड़े ही पहनें क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक माना जाता है. आप चाहें तो पीले वस्त्र भी पहन सकते हैं.
बरतनी चाहिए ये सावधानियां
करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को कुछ विशेष सावधानियां भी रखनी जरूरी है. जैसे कि आज के दिन अपने सुहाग और श्रृंगार का सामान किसी दूसरी महिला को देने की गलती न करें. आप चाहें तो सुहाग की नई चीजें किसी को दान कर सकती है, जिससे पुण्य मिलता है.
चंद्रमा की होती है पूजा
चंद्रमा को सामन्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है. इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन मैं सुख शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह पर्व सौंदर्य प्राप्ति का पर्व भी है. इसे मनाने से रूप और सौंदर्य भी मिलता है. इस दिन सौभाग्य प्राप्ति के लिए रात्रि को प्रयोग भी किए जाते हैं, जो निष्फल नहीं होते हैं.
मिलता है पुण्य
वहीं करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को कुछ विशेष सावधानियां भी रखनी जरूरी है. जैसे कि आज के दिन अपने सुहाग और श्रृंगार का सामान किसी दूसरी महिला को देने की गलती न करें. आप चाहें तो सुहाग की नई चीजें किसी को दान कर सकती है, जिससे पुण्य मिलता है
बन रहा है राजयोग
ज्योतिषियों के अनुसार इस साल करवा चौथ के दिन 4 राजयोगों के साथ करीब आधा-दर्जन शुभ योग बन रहे हैं. आज के दिन शिव योग, अमृत योग और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं. इतना ही नहीं आज, शंख, गजकेसरी, हंस और दीर्घायु राजयोग भी बन रहे हैं. ऐसा महा संयोग (mahasanyog) करीब 100 सालों बाद बना हैं.
करवा चौथ की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
जानें करवा चौथ पर क्यों दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य
करवा चौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और रात के समय चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं. करवा चौथ में चंद्र देव की आराधना का महत्व विशेष होता है. शास्त्रों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अगर चंद्र देव की उपासना की जाए तो इससे दीर्घ आयु और पति-पत्नी के बीच प्रेम में बढ़ोतरी होती है.
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
पूजा समय शाम 6 बजकर 04 मिनट से रात 7 बजकर 19 मिनट तक
उपवास समय सुबह से शाम 6 बजकर 40 मिनट से रात 8 बजकर 52 तक
चौथ तिथि सुबह 3 बजकर 24 मिनट से 5 नवंबर सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक
चंद्रमा का उदय - 4 नवंबर की रात 8 बजकर 16 मिनट से 8 बजकर 52 मिनट तक
करवा चौथ पर सभी शहरों में चांद निकलने का समय
दिल्ली - रात 8 बजकर 11 मिनट पर
नोएडा - रात 8 बजकर 11 मिनट पर
मुंबई - रात 8 बजकर 51 मिनट पर
जयपुर - रात 8 बजकर 22 मिनट पर
देहरादून - रात 8 बजकर 03 मिनट पर
लखनऊ - रात 8 बजकर 00 मिनट पर
शिमला - रात 8 बजकर 06 मिनट पर
गांधीनगर - रात 8 बजकर 42 मिनट पर
इंदौर - रात 8 बजकर 30 मिनट पर
भोपाल - रात 8 बजकर 23 मिनट पर
अहमदाबाद - रात 8 बजकर 44 मिनट पर
कोलकाता - शाम 7 बजकर 40 मिनट पर
पटना - शाम 7 बजकर 45 मिनट पर
प्रयागराज - रात 8 बजकर 03 मिनट पर
कानपुर - रात 8 बजकर 07 मिनट पर
चंडीगढ़ - रात 8 बजकर 11 मिनट पर
लुधियाना - रात 8 बजकर 11 मिनट पर
जम्मू - रात 8 बजकर 11 मिनट पर
बेंगलूरू - रात 8 बजकर 12 मिनट पर
गुरुग्राम - रात 8 बजकर 12 मिनट पर
असम - शाम 7 बजकर 19 मिनट पर
आज 16 श्रृंगार का है महत्व
करवा चौथ व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है. व्रत के दौरान 16 श्रृंगार किया जाता है. इस दिन महिलाएं दोपहर में या शाम को करवा चौथ की कथा सुनती हैं. कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें. थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई समेत सभी पूजा सामग्री रख लें. प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है. गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतियां बना लें.
ऐसे बन रहा है शुभ योग
करवा चौथ पर बुध के साथ सूर्य ग्रह भी विद्यमान होंगे, दोनों की युति बुधादित्य योग बनाएगी, इसके अलावा इस दिन शिवयोग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि, सप्त कीर्ति, महादीर्घायु और सौख्य योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि में चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो रही है, जबकि इस तिथि का अंत मृगशिरा नक्षत्र में होगा.
यहां जानें पूजा सामग्री
करवा चौथ पूजा के लिए अक्षत, पुष्प, कुमकुम, फूलों का हार, एक चौकी, लाल कपड़ा, लाल चुनरी, एक थाली, धूप, दीपक, अगरबत्ती, करवा जादुई लोटा, करवे का ढक्कन, जल, एक दीपक, मट्ठी, मीठी मट्ठी, सेवइयां, फल, मिठाई, एक सूट या साड़ी, करवा माता की तस्वीर, करवा चौथ की कथा की किताब, माता पार्वती की आरती की किताब, छलनी और दान करने के लिए पैसे आदि.
करवा चौथ का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, करवा चौथ के दिन इस दिन मां पार्वती, भगवान शिव कार्तिकेय और गणेश जी का पूजन किया जाता है. इस व्रत में मां पार्वती से सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. इस दिन करवे में जल भरकर कथा सुनने का विधान है. महिलाएं सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं.
करवा चौथ की शुभ मुहुर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ 4 नवंबर 2020 दिन बुधवार की सुबह 03 बजकर 24 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त 5 नवंबर 2020 की सुबह 05 बजकर 14 मिनट तक
करवा चौथ व्रत का समय 4 नवंबर 2020 की सुबह 06 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक
कुल अवधि 13 घंटे 37 मिनट
पूजा की शुभ मुहुर्त 4 नवंबर की शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक
कुल अवधि 1 घंटे 18 मिनट
करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय: रात 08 बजकर 12 मिनट पर
Karwa Chauth 2020 Date, Puja Muhurat, Timing : करवा चौथ का कठिन निर्जला व्रत शुरू, सुहागिनें इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
आज सुहागिनें रखेंगी करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर दिन बुधवार याज आज है. करवा चौथ के दिन मां पारवती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. मां के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश जी कि भी पूजा की जाती है. वैसे इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है. इस पूजा में पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य सुहागन महिला को दान में भी दिया जाता है.
करवा चौथ के नियम और सावधानियां
करवा चौथ का व्रत केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, वही महिलाएं ये व्रत रख सकती हैं. यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल रखा जाता है. व्रत रखने वाली कोई भी महिला इस दिन काला या सफेद वस्त्र नहीं पहनती हैं. लाल वस्त्र सबसे अच्छा है. पीला भी पहना जा सकता है. इस दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए.
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यहां जानें कैसे सजाएं पूजा की थाली?
चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली सजाएं. थाली में दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुमकुम, रोली तथा चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें. संपूर्ण श्रृंगार करें और करवे में जल भर लें. मां गौरी और गणेश की पूजा करें. चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखें. अर्घ्य दें, करवा चौथ व्रत की कथा सुनें. उसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें. अपनी सास या किसी वयोवृद्ध महिला को श्रृंगार का सामान दें तथा उनसे आशीर्वाद लें.