इस महीने करवा चौथ का व्रत है. हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है. करवा चौथ का व्रत सभी व्रतों से कठिन व्रत माना जाता है. इस व्रत में चद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है. अगर इस दिन आप चंद्रमा का दर्शन नहीं करेंगे तो यह व्रत अधूरा रह जाएगा. इस साल करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा. करवा चौथ का व्रत पूरे दिन निर्जला और निराहार रखा जाता है. आइए जानते है करवा चौथ का व्रत किस तिथि को रखा जाएगा. पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है. पूजा करने की विधि और चंद्र दर्शन करने का समय क्या है. चंद्र देव को अर्घ्य देने का शुभ समय कब से कब तक रहेगा.
हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. कैलेंडर के अनुसार इस साल यह व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जायेगा. सुहागिन महिलायें इस व्रत को पति की लंबी आयु और उनके सुखमय जीवन के लिए रखती हैं.यह व्रत निर्जला व निराहार रखा जाता है. व्रत में व्रती महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न- जल ग्रहण किये हुए व्रत रखकर शाम को माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती है. उसके बाद चंद्रमा का छलनी के अंदर से दर्शन करती हैं. इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं.
करवा चौथ व्रत कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को प्रात: 03 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ हो रहा है. यह चतुर्थी तिथि 25 अक्टूबर 2021 दिन सोमवार को प्रात: काल 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि में चन्द्रोदयव्यापिनी मुहूर्त 24 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को ही रखा जाएगा.
करवा चौथ व्रत की विधि
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सूर्योदय से पूर्व उठकर सरगी खाएं
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करवा चौथ व्रत वाले दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें
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इस पावन व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें
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देवी-देवताओं की प्रतिदिन की भांति इस दिन भी पूजा करें
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फिर पूरे दिन निर्जल व्रत रखें. इसके बाद शाम के समय भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य एवं श्रृंगार के सामान आदि से पूजा करें.
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इसके बाद करवा चौथ व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें.
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इसके बाद चंद्र देव के उदय होने उनका दर्शन करें और उसके बाद पति को छलनी से देखें.
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चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद अपने पति को तिलक लगाकर प्रसाद खिलाएं और उननके हाथों से पानी पीकर अपना व्रत पूर्ण करें.
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इसके बाद अपनी सास का पैर छूकर आशीर्वाद लें
चंद्रोदय का समय
पंचांग के अनुसार, 24 अक्टूबर को चंद्रमा का उदय रात को 08 बजकर 07 मिनट पर होगा. व्रती महिलायें इस समय चंद्रमा का दर्शन कर व्रत का समापन कर सकती है.
Posted By: Shaurya Punj