Karwa Chauth 2022: हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ का पर्व पूरे भारत में उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस साल करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूरा दिन निर्जला रहती हैं. पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला ये कठिन व्रत रात को चंद्र देव के दर्शन करके और अर्ध्य देकर खोला जाता है.
करवा चौथ व्रत की पूजा करने के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक रहेगा. वहीं शाम को 04 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 50 मिनट तक अमृत काल रहेगा. करवा चौथ पूजन के लिए सबसे शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट तक माना जा रहा है. वहीं चंद्रोदय समय रात 08:16 मिनट पर है.
करवा चौथ व्रत वाले दिन सरगी सूर्योदय से पूर्व 4-5 बजे के करीब कर लेना चाहिए. सरगी में भूलकर भी तेल मसाले वाली चीजों को ग्रहण न करें. इससे व्रत का फल नहीं मिलता. ब्रह्म मुहूर्त में सरगी का सेवन अच्छा माना जाता है.
ब्रह्म मुहूर्त – 04.46 – 05.36 (13 अक्टूबर 2022)
करवा चौथ (karva chauth 2022) पर पूजन करते समय महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं, उसके बाद अपने पति को. इसके पीछे मनोवैज्ञानिक अभिप्राय यह होता है कि मैंने अपने ह्रदय के सभी विचारों व भावनाओं को छलनी में छानकर शुद्ध कर लिया है, जिससे मेरे मन के सभी दोष दूर हो चुके हैं और अब मेरे ह्रदय में पूर्ण रूप से आपके प्रति सच्चा प्रेम ही शेष है. यही प्रेम में आपको समर्पित करती हूं और अपना व्रत पूर्ण करती हूं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा को ब्रह्मा का रूप कहा जाता, जो सुंदरता, सहनशीलता और प्रेम का प्रतीक है. ऐसे में जब महिलाएं छलनी से चांद देखने के बाद अपने पति को देखती हैं तो उनमें भी वह गुण आ जाते हैं.
करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके पूजा घर की सफाई कर लें. इसके बाद सास द्वारा दी गई सरगी खाकर निर्जला व्रत का संकल्प लें. शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें. इसमें कम से कम 13 करवे जरूर रखें.
धूप, दीप,चन्दन,रोली और सिन्दूर से पूजन थाली सजाएं. चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू कर दें. पूजा के दौरान महिलाए करवा चौथ कथा सुनती हैं. छलनी के द्वारा चन्द्र दर्शन करने के बाद अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद महिलाएं जल ग्रहण कर अपना व्रत खोलती हैं और सास से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती हैं.