Karwa Chauth 2023: करवा चौथ व्रत पर कैसा रहेगा ग्रहों की स्थिती क्या है पूजन का समय पूजा विधि

Karwa Chauth 2023: इस साल करवा चौथ का व्रत आज 01 नवम्बर को रखा जायेगा यह व्रत महिलाये अपने पति के लम्बी उम्र के लिए पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत करती है. इस व्रत में विशेष चंद्रमा का पूजन किया जाता है चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है.

By Shaurya Punj | November 1, 2023 8:26 AM

Karwa Chauth 2023: करवा चौथ पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 01 नवम्बर को रखा जायेगा यह व्रत महिलाये अपने पति के लम्बी उम्र के लिए पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत करती है.

इस व्रत में विशेष चंद्रमा का पूजन किया जाता है चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है. इसमे किसी भी प्रकार से परेशानी नहीं होता है साथ ही इससे लम्बी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है.

करवा चौथ के व्रत में शिव के सभी परिवार यानि शिव , पार्वती गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है .उसके बाद पूजा किया जाता है . मिट्टी के करवे में चावल ,उरद के दाल ,सुहाग की सामग्री रखकर सास को दे सास नहीं रहे तो उनके बराबरी के सुहागिन स्त्री को पांव छुकर सुहाग की सामग्री भेट करनी चाहिए.

करवा चौथ का क्या है शुभ मुहुर्त

चत्तुथी तिथि का आरम्भ 31 अक्तूबर 23 दिन मंगलवार रात्रि 09 : 30 मिनट से

चतुर्थी तिथि का समाप्त 01 नवम्बर 23 दिन बुधवार रात्रि 09:19 मिनट तक रहेगा.

चंद्रोदय 01 नवम्बर 23 दिन बुधवार रात्रि 07:51 बजे के बाद पूजन किया जायेगा .

करवा चौथ पर बन रहा है ग्रहों का शुभ संयोग

01 नवंबर चंद्रमा वृष राशि में होंगे इसी के साथ मंगल ,बुध और सूर्य तुला राशि में रहेगे सूर्य और बुध मिलकर बुधादित्य योग बना रहे है .मंगल के साथ सूर्य मिलकर मंगलादित्य बन रहा है . शनि भी 30 साल के बाद अपनी मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में शश योग बना रहे है शिव योग मृगशिरा नक्षत्र मंगल के लिए है.बुधादित्य योग ज्ञान का प्रतिक है इस योग में करवा चौथ व्रत करना बहुत ही शुभ फल देने वाला रहेगा.

सरगी का काया है महत्व

करवा चौथ में सरगी का काफी महत्व है. सरगी सास की तरफ से अपनी बहु को दी जाती है. इसका सेवन महिलाएं करवा चौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले तारों की छांव में करती हैं. सरगी के रूप में सास अपनी बहू को विभिन्न खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र इत्यादि देती हैं.सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप होती है. सरगी के रूप में खाने की वस्तुओं को जैसे फल, मिठाई आदि को व्रती महिलाएं व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व प्रात: काल में तारों की छांव में ग्रहण करती हैं. तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है. अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।

करवा चौथ पूजन विधि

प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें.व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें.व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-

प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है

‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’

अथवा

ॐ शिवायै नमः से पार्वती का,

‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का,

‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का. ॐ गणेशाय नमः से गणेश का तथा

‘ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करें.

शाम के समय, मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें. मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें.पश्चात माँ पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें.

भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें. एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें.सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें.चंद्रोदय के बाद चाँद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खा कर व्रत खोले.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

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