Kashi Vishwanath Corridor Inauguration: मोक्ष देने वाली नगरी वाराणसी में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ धाम. इस मंदिर की महानता और पौराणिकता ही हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. मगर एक कहावत पूरी काशी में प्रचलित है कि बाबा के धाम पहुंचकर जिसने काशी के दारोगा कहे जाने वाले काल भैरव की पूजा-अर्चना नहीं की, उसकी आराधना अधूरी मानी जाती है. इसीलिए पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार को इस मंदिर में करीब आधा घंटेे का समय बिताएंगे.
काशी में लंबे समय से रहते आ रहे पंडित लोकेश उपाध्याय ने प्रभात खबर को बताया कि काशी में काल भैरव मंदिर की बहुत आस्था है. काशी का काल भैरव मंदिर बनारस के कैन्ट से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर शहर के उत्तरी भाग में स्थित है. यह मंदिर काशी के पौराणिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता यह है कि बाबा विश्वनाथ ने काल भैरवजी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था. काल भैरवजी को काशीवासियों को उनकी गलती करने पर दंड देने का अधिकार स्वयं भगवान शिव ने दिया है.
पंडित लोकेश उपाध्याय बताते हैं कि काल भैरव के मंदिर में रविवार एवं मंगलवार को अपार भीड़ आती है. यहां विषेशत: भूत-प्रेत की बाधाओं से बचने के लिए लोग शीष नवाने आते हैं. यहां प्रसाद स्वरूप लोगों को काले रंग का कलावा बांधा जाता है. वहीं, इस मंदिर के प्रति यह भी मान्यता है कि काशी में किसी को भी अपने प्राण त्यागने से पहले यम यातना के रूप में बाबा काल भैरव के सोटे की मार खानी पड़ती है. मगर काशीवासियों को सोटे की मार नहीं पड़ती.
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