शिव नगरी काशी में आधुनिक सुविधाओं से लैस मुमुक्षु भवन तैयार, महादेव की भक्ति के बीच पा सकेंगे मोक्ष
जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का 13 दिसंबर को पीएम मोदी के हाथों शुभारंभ होगा तो मोक्ष प्राप्त करने वालों की सुध भी रखी जाएगी.
Kashi Vishwanath Corridor: काशी की धरती को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. यहां लोग जीवन के आखिरी समय में आते हैं और प्राण त्यागते हैं. काशी को जानने और जीने वालों के लिए यह बात नई नहीं है. आप काशी के इस सच को नहीं समझते हैं तो जान लीजिए. काशी के घाटों पर बैठकर कई लोगों को जिंदगी की दशा और दिशा सुधारने की सीख मिलती है. जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का 13 दिसंबर को पीएम मोदी के हाथों शुभारंभ होगा तो मोक्ष प्राप्त करने वालों की सुध भी रखी जाएगी.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में बने भवनों में से एक मुमुक्षु भवन भी तैयार है. यहां 18 दंपत्ति (36 लोग) अपनी मृत्यु के अंतिम समय पर ठहर सकते हैं. वो भी हर आधुनिक सुख सुविधाओं के साथ (जो जिंदगी की भागदौड़ में भोगना भूल गए थे). मुमुक्ष भवन में एसी और नॉन एसी कमरे, लंच-डिनर की व्यवस्था, कपड़े, इलाज के साथ ही काशी में घूमने और मनोरंजन के हर साधन की सुविधा दी जाएगी. इस भवन में केवल वो दंपत्ति रह सकते हैं, जो बनारस के नहीं हैं. शिव की नगरी काशी में तैयार हुए मुमुक्षु भवन को विशेष सुविधाओं से लैस किया गया है, जो अपने आप में बेहद ही विशेष है.
खास बात यह है कि भगवान शिव की नगरी में मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा रखकर आए दंपत्तियों के पास रुपए नहीं होंगे तो उसकी व्यवस्था मंदिर प्रशासन करेगा. मोक्ष की कामना लेकर आए दंपत्तियों को रोज ब्रह्म मुहूर्त में शिवाष्टकम, शिवमहिम्न्न स्तोत्र, शिवतांडव स्त्रोत, शिवमहापुराण स्त्रोत सुनाई जाएगी. उन्हें रोजाना गंगा स्नान, जल उपयोग, गीता पाठ करना होगा और धार्मिक कार्यों में भी हाथ बंटाना होगा.
वाराणसी में पहले से भी कई मुमुक्षु भवन बने हुए हैं, जिनमें अस्सी मुमुक्षु भवन, नई सड़क मुक्ति भवन, गुरुबाग में शंकर आश्रम शामिल हैं. इन भवनों की उचित देखरेख के अभाव में स्थिति खराब हो गई है. जिसकी वजह से दानदाता भी मदद करने से पीछे हटने लगे हैं. वाराणसी में पहले भी कई मुमुक्षु भवन 100 साल से संचालित हैं. मगर, काशी विश्वनाथ धाम का भवन सबसे खास और आधुनिक होगा.
(रिपोर्ट:- विपिन सिंह, वाराणसी)
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