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काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों-कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन-अवकाश, मेरिट-इंटरव्यू के आधार पर होगी नियुक्ति

Kashi Vishwanath Temple: काशी विश्वनाथ मंदिर में नियुक्तियां मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर ही होंगी. इससे पादर्शिता बनी रहेगी और योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जा सकेगा. नियुक्ति के समय दो बाहरी विशेषज्ञ भी बुलाए जाएंगे. इसके लिए पूरा खाका तैयार कर लिया गया है.

Varanasi: अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में पूजा अर्चना के लिए जहां नए पुजारियों की नियुक्ति, वेतन आदि को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर में भी इस तरह की कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए ​करीब 40 वर्ष बाद सेवा नियमावली तैयार की गई है. इसे सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जहां से हरी झंडी मिलने के बाद नई नियमावली के तहत काशी विश्वनाथ मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति आदि की जाएगी. इस नियमावली के लागू होने के बाद पुजारियों के वेतन भत्ते में काफी इजाफा होगा, वहीं उन्हें पदोन्नति के साथ अवकाश सहित अन्य सुविधाओं का भी लाभ मिलेगा. बताया जा रहा है कि पुजारियों, कर्मचारियों और सेवादारों की नियुक्ति के लिए प्रस्तावित नियमावली में चार श्रेणी निधारित की गई हैं. अहम बात है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी, सेवादार और कर्मचारियों की सेवा नियमावली में न्यास ही सर्वेसर्वा होगा. उसकी भूमिका में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा. वहीं किसी भी पुजारी, सेवादार और कर्मचारी के खिलाफ शिकायत मिलने पर न्यास शासन के नियमानुसार ही कार्रवाई भी कर सकेगा. बताया जा रहा है कि नियुक्तियां मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर ही होंगी. इससे पादर्शिता बनी रहेगी और योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जा सकेगा. नियुक्ति के समय दो बाहरी विशेषज्ञ भी बुलाए जाएंगे. अहम बात है कि संस्कृत एवं वेद के ज्ञाता ही नियुक्ति प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे. इसके लिए पूरा खाका तैयार कर लिया गया है.

शासन से हरी झंडी मिलते ही लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय के मुताबिक 40 साल बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक, कर्मचारी और सेवादारों के लिए सेवा नियमावली बनकर तैयार कर ली गई है. न्यास की बैठक में इसे रखा जाएगा. फिलहाल न्यास ने नियमावली तैयार करके परीक्षण के लिए मंडलायुक्त के पास भेज दिया है. बताया जा रहा है कि सहमति बनने के बाद इसे शासन की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा. वहां से हरी झंडी मिलते ही इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके लिए नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी.

आर्थिक सुरक्षा का रखा गया ध्यान

कहा जा रहा है कि सेवा नियमावली देश भर के देवस्थान, मंदिर और ट्रस्ट के लिए नजीर होगी. इसमें श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने पुजारियों, कर्मचारियों और सेवादारों के हितों और आर्थिक सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा है. सेवा नियमावली में पुजारी, कर्मचारी और सेवादारों को छुट्टियां भी मिल सकेंगी. इसके साथ ही कर्मचारियों की पदोन्नति का भी प्रस्ताव शामिल किया गया है.

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नई नियमावली के बाद भी पुराने पुजारियों को मिलेगा अवसर

राज्य कर्मियों की तरह अर्चकों को ग्रेड व मैट्रिक्स दिया जाएगा. नई नियमावली में 16 सदस्यीय कमेटी ने पुजारियों को इंटर कॉलेज के प्रवक्ता के वेतनमान के समान वेतन देने की संस्तुति की है. मंदिर में नियुक्त होने वाले कर्मचारी और सेवादारों के लिए भी नियमावली का मसौदा तैयार किया गया है। समिति के प्रमुख सदस्यों में अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखिलेश मिश्रा, प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. ब्रजभूषण ओझा शामिल हैं. न्यास अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि नई सेवा नियमावली लागू होने के बाद भी पुराने पुजारी व नि:शुल्क शास्त्री को अवसर दिया जाएगा. पुराने पुजारियों को नई नियमावली का लाभ मिलेगा और नि:शुल्क शास्त्री के साक्षात्कार के बाद मानित पुजारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा.

पूजा संवर्ग के लिए चार श्रेणियां प्रस्तावित

इस तरह श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में जल्द ही सेवा नियमावली के मुताबिक पुजारी, कर्मचारी और सेवादारों की नियुक्ति की जाएगी. प्रस्तावित नियमावली में पूजा संवर्ग के लिए चार श्रेणियां प्रस्तावित की गई हैं. इसमें पूजक, वरिष्ठ अर्चक, मुख्य अर्चक और मानित अर्चक की चार श्रेणियां बनी हैं. पहले से काम कर रहे नि:शुल्क शास्त्री को मानित अर्चक के रूप में नियुक्ति देने का प्रस्ताव है. नियुक्तियां मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर ही होंगी. इससे पादर्शिता बनी रहेगी. नियुक्ति के समय दो बाहरी विशेषज्ञ भी रहेंगे. संस्कृत एवं वेद के ज्ञाता ही नियुक्ति प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे.

काशी विश्वनाथ मंदिर का सरकार ने 1983 में किया था अधिग्रहण

न्यास के सदस्य प्रो. ब्रजभूषण ओझा के मुताबिक कमेटी ने सेवा नियमावली तैयार कर दी है. इसे मंडलायुक्त के पास परीक्षण के लिए भेजा गया है. देश भर के देवस्थान, ट्रस्ट और मंदिरों की सेवा नियमावली का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा रहा है. 18 महीने पहले न्यास की 102वीं बैठक में सेवा नियमावली तैयार करने पर सहमति बनी थी. इसका प्रारूप तय करने के लिए 16 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. दरअसल श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 1983 में अधिग्रहण किया गया था. इसके बाद से अभी तक सेवा नियमावली नहीं बन सकी है. कई बार इसे लेकर कोशिश की गई, लेकिन मामला किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सका. संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत 13 अक्तूबर 1983 को काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट लागू किया गया.

उत्तर प्रदेश विधानमंडल की ओर से पास इस एक्ट को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रभावी किया गया. यह वर्ष 1983 के एक्ट संख्या 29 के रूप में भी जाना जाता है. इसके जरिये काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके विन्यास के समुचित एवं बेहतर प्रशासन की व्यवस्था की गई है. साथ ही, मंदिर से संबद्ध या अनुषांगिक विषयों की व्यवस्था भी की गई है. इस अधिनियम में 13 जनवरी 1984, 5 दिसंबर 1986, 2 फरवरी 1987, 6 अक्तूबर 1989, 16 अगस्त 1997, 13 मार्च 2003 और 28 मार्च 2013 को संशोधन भी हुए हैं. इस तरह अभी तक कुल सात बार संशोधन किए गए हैं.

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