बर्दवान/पानागढ़, मुकेश तिवारी : आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है. इस विशेष दिन पर हथकरघा उद्योग से जुड़े सभी लोगों को अपने उत्थान और विकास की मौजूदा राज्य और केंद्र सरकारों से उम्मीदें है. इसी उम्मीद के बीच पूर्व बर्दवान जिले के कटवा थाना क्षेत्र के जगदानंदपुर ग्राम पंचायत के घोड़ानाश गांव के एक युवा तांत बुनकर जगबंधु दलाल राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपनी साड़ी के माध्यम से चित्रित करना चाहते थे. यही कारण है की बुनकर जगबंधु दलाल ने अपने परिवार के सहयोग से तांत की साड़ी में सीएम का चेहरा बुन ने के साथ ही मुख्यमंत्री की विभिन्न योजनाओं को दर्शाया है.
जगबंधु दलाल बताते है की 32 दिनों की कड़ी मेहनत से उन्होंने 15 हाथ लंबी यह साड़ी बुनी है. अब इंतजार है कि यह साड़ी मुख्यमंत्री को कब सौंपी जाएगी. उसी सपने में दिन बीत जाता है. बताया जाता है की घोड़ानाश गांव के बुनकर जगबंधु दलाल इसी गांव के अपने पिता और दादा की आजीविका से जुड़कर बड़े हुए है. उन्होंने यह काम अपने पिता से सीखा और अब पूरी तरह से एक बुनकर बन गए हैं. सीएम को देने के लिए 15 हाथ लंबी इस साड़ी को बुनने के लिए जगबंधु ने एक महीने तक सुबह-शाम रात दिन काम किया.
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जगबंधु ने बताया की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ज्यादातर तांत की ही साड़ी पहनती है. उनको ध्यान में रखकर ही मैने बेहतरीन तांत की साड़ी बुनाई की है. इस साड़ी की खासियत यह है की साड़ी पर धागे से सीएम का चेहरा साड़ी में बुना गया है. जगबंधु ने बताते है कि इस साड़ी में सीएम द्वारा लोगों के लिए जो योजनाओं को शुरू किया गया है उक्त योजनाओं को भी दर्शाया गया है. साड़ी बुनकर तैयार है. अब जगबंधु को इंतजार है की वह इस साड़ी को कैसे अपनी चहेती मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक पहुंचाए.वह इस साड़ी को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए कटवा के विधायक रवींद्रनाथ चटर्जी को आवेदन किए है. हालांकि, जगदानंदपुर ग्राम पंचायत के प्रधान गौतम घोषाल को भी अपनी इच्छा जाहिर की है.
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जगबंधु अपनी बुनी हुई साड़ी को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने हेतु विधायक और प्रधान को अपील कर चुके हैं. हालांकि जगबंधु दलाल की दिली इच्छा थी की आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर अपनी इस विशेष साड़ी को वह मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकें. बुनकर जगबंधु दलाल इंतजार कर रहे है कि कब वह इस साड़ी को अपनी प्रिय मुख्यमंत्री को सौंप सके. जगबंधु बताते है की बुनाई हमारी संस्कृति और पहचान है. इसे हमलोग खोना नहीं चाहते लेकिन इस औद्योगिक और प्रौद्योगिक विकास के क्षेत्र में हमारे हथकरघा की टूटती सांस को सरकार ही बचा सकती है.यदि सरकार की ओर से इस कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों को सहुलित दी जाए.
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