कौन बनेगा करोड़पति सीजन 15 के पहले करोड़पति जसकरण सिंह बन चुके हैं. पंजाब के जसकरण ने इस गेम शो में एक करोड़ की राशि अपने नाम कर ली है . जसकरण कहते हैं कि केबीसी विनर बनने के साथ ही मेरी जिंदगी बदलनी शुरू हो गयी है. मैं हमेशा से चाहता था कि लोग मेरा नाम जाने और अब केबीसी का विनर बनने के बाद मेरा नाम लोग जानने लगे हैं. इस बात को कहने के साथ वह यह कहना नहीं भूलते कि केबीसी उनके सपनों का एक पड़ाव है, असली मंजिल यूपीएससी है.उ र्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
मैं पंजाब के गांव खालड़ा जिले तरंतारण से हूं. मैं इकोनॉमिक्स में थर्ड ईयर का स्टूडेंट हूं. मैं पिछले चार साल से केबीसी शो के लिए तैयारी कर रहा हूं. चार सालों में हमेशा इंटरव्यू राउंड तक पहुंच जाता था, लेकिन उसके बाद मेरा सिलेक्शन नहीं होता था ,लेकिन इस बार मेरा सिलेक्शन हो गया.केबीसी की तैयारी करते हुए मुझे लगा कि मुझे यूपीएससी की तैयारी करनी चाहिए और यूपीएससी की तैयारी भी पिछले ढाई साल से कर रहा हूं.
बचपन से ये शो देखता आया हूं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि शो में जाऊंगा. मैं बचपन में क्रिकेटर बनना चाहता था. क्लास 9 में मैंने पढ़ाई छोड़ दी थी और क्रिकेट में पूरी तरह से खुद को समर्पित कर देना चाहता था. डिस्ट्रिक्ट तक मैं खेला हूं.मैंने डिस्ट्रिक्ट के प्रैक्टिस मैच में बहुत अच्छा परफॉर्म किया था लेकिन मुझे चुना नहीं गया. मुझसे पैसों की डिमांड की गयी.कहां से मैं दे पाता था. मुझे बहुत बुरा लगा कि पूरे साल मेहनत की और अच्छा भी परफॉर्म किया लेकिन इसके बावजूद मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ.करप्शन टैलेंट पर हावी है उसके बाद क्रिकेट से मेरा जी उठ गया.स्कूल में एडमिशन लेने गया तो बोला गया कि इस साल के एडमिशन हो गए. अब आपको अगले साल का इन्तजार करना पड़ेगा. खाली बैठ नहीं सकता था सोचा चलो कुछ नॉलेज की चीज़ें ही पढ़ लेते हैं.उसी दौरान लगा कि केबीसी नॉलेज का मंच है. इसके लिए तैयारी करते हैं. यहां करप्शन टैलेंट को दबा नहीं पाएगा. उसके बाद मैंने सीरियस में इस शो को देखना शुरू कियाऔर विश्लेषण भी करना शुरू किया कि कैसे तैयारी करनी होगी.
चार सालों में मैंने केबीसी के हर एपिसोड को देखा है. मैंने नोट्स बनाए कि किस फील्ड से सवाल आ रहे हैं. किसी एक फील्ड के बारे में सवाल आ रहा है, तो उस फील्ड से जुड़ी हर बात की मैं जानकारी लेता था.हिस्ट्री, पॉलिटिक्स, जियोग्राफी और इकोनॉमिक्स इन पर मेरा मुख्य तौर पर फोकस रहा और ये विषय मेरे बहुत स्ट्रांग हो गए.1857 से अब तक भारत के जितने भी महान लोग थे, उनके बारे में विकिपीडिया से पढ़ा और भी बहुत कुछ पढ़ा. मैं कोई चांस नहीं लेना चाहता था. मुझे पता था कि केबीसी में एक ही मौका मिलेगा और उसमे मुझे चूकना नहीं है.
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ऐसा कोई सवाल नहीं था, जिसे देखकर लगा हो कि यार मेरा गेम अब खत्म हो जाएगा. 70 प्रतिशत सवालों के जवाब तो मुझे बिना ऑप्शन के मालूम था. जिसमें 25 और 50 लाख के भी सवाल थे. एक करोड़ के सवाल का भी पता था लेकिन मैं 0.1 परसेंट भी चांस नहीं लेना चाहता था, इसलिए मैंने लाइफलाइन का इस्तेमाल किया. वैसे मैं बताना चाहूंगा कि सवाल से ज्यादा मेरे दिमाग़ में ये बात चल रही थी कि मैं अमिताभ बच्चन सर के साथ बात क्या करूंगा. खुलकर बात करूंगा या चुप रहूंगा, लेकिन उन्होंने खुद इतने अच्छे से सामने से बात करके मुझे सहज कर दिया. ऐसा लगा ही नहीं कि वे वही सदी के महानायक हैं, जिनको आप बचपन से टीवी में देखते आए हो. वे आपको अपने दोस्त की तरह लगते हैं.