कानपुर: स्थानांतरण के बाद भी केडीए ने नहीं किया कार्यमुक्त, शासन ने रोका अधिशासी अभियंता का मानदेय
अधिशासी अभियंता पर प्राधिकरण में तैनात पीसीएस अफसर ने भी अपनी जान का खतरा और भ्रष्टाचार से अर्जित कर धन एकत्रित करने का आरोप लगाया था. यहि नहीं अपने चहेते ठेकेदार को कथित अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर अग्निशमन प्रबंधन का कार्य दिलाकर हजारों जिंदगी दाव पर लगा दी.
कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर विकास प्राधिकरण में तैनात अधिशाषी अभियंता मनोज उपाध्याय के 28 मार्च हुए स्थानांतरण के बाद भी विभाग से उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया गया. शाषन ने पत्र जारी कर उन्हें तत्काल कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया था. साथ ही 6 अप्रैल से उनकी सैलरी को भी केडीए से रोकने का आदेश दिया है. इसके बावजूद उन्हें केडीए से कार्यमुक्त नही किया गया. वे लगातार प्राधिकरण कार्यालय में अपने चहेते ठेकेदारों की फाइलों को फ़टाफ़ट निपटाने में लगे हुए हैं. अधिशासी अभियंता पर प्राधिकरण में तैनात पीसीएस अफसर ने भी अपनी जान का खतरा और भ्रष्टाचार से अर्जित कर धन एकत्रित करने का आरोप लगाया था. यहि नहीं अपने चहेते ठेकेदार को कथित अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर अग्निशमन प्रबंधन का कार्य दिलाकर हजारों जिंदगी दाव पर लगा दी.
28 मार्च को हो चुका ट्रांसफर
बता दें कि 28 मार्च 2023 को अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय का कानपुर विकास प्राधिकरण से अलीगढ़ को ट्रांसफर कर दिया गया था. लेकिन, जब उन्होंने वहां पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया. तो शासन ने दोबारा 6 अप्रैल को केडीए उपाध्यक्ष को पत्र जारी करते हुए अधिशासी अभियंता को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करने का आदेश दिया. इसके साथ ही 6 अप्रैल से उनकी सैलरी केडीए से जारी न करने का निर्देश दिया. इसके बाद भी केडीए उपाध्यक्ष ने उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया. वह लगातार अपने केबिन में बैठकर अपने चहेतों के टेंडर लगातार पास करवा रहे है.
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पीसीएस अफसर को जान का खतरा
बताते चले कि पिछले 24 मार्च को कानपुर विकास प्राधिकरण में विशेष कार्य अधिकारी के पद पर तैनात पीसीएस अफसर ने अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय से अपनी जान के खतरा बताया था. यहीं नही उन्होंने आरोप लगाया था कि मनोज उपाध्याय ने अपने चहेते ठेकेदार मेसर्स माया बिल्डर्स को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के रामगंगा इंक्लेव में अग्निशमन प्रबंधन का काम दिया है. इसका खुलासा आरटीआई के माध्यम से भी हुआ. इसके अलावा पीसीएस अफसर ने लिखित शिकायत में कहा था कि मनोज उपाध्याय ने भ्रष्टाचार से धन को अर्जित किया है. जिसकी जांच सक्षम एजेंसी से कराई जा सकती है. इसके बाद भी केडीए वीसी अरविंद सिंह ने अभियंता पर कोई कार्यवाही नही की. वहीं जब पूरे मामलें की जानकारी शासन तक पहुची तो 28 मार्च को अधिशासी अभियंता का स्थानांतरण कर दिया गया. वहीं जब उन्होंने कार्यभार ग्रहण नहीं किया तो शाषन ने दोबारा 6 अप्रैल को पत्र जारी कर अधिशासी अभियंता की सैलरी को रोक दिया.
रिपोर्ट – आयुष तिवारी