यूपीः कानपुर विकास प्राधिकरण के कमाऊ पूत अफसर का 28 मार्च को शासन से अलीगढ़ को स्थानांतरण हो चुका है. लेकिन 20 दिन का समय बीत जाने के बाद भी KDA उपाध्यक्ष अपने चहेते को कार्यमुक्त नहीं कर पा रहे हैं. कुछ दिन पूर्व प्राधिकरण में विशेष कार्य अधिकारी के पद पर तैनात PCS अफसर ने भी केडीए में तैनात अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय की लिखित शिकायत वीसी से की थी.
इसके साथ ही उस पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते हुए अपनी जान का खतरा बताया था. इसके बाद भी केडीए वीसी ने मामले का संज्ञान नहीं लिया. उल्टा अपने चहेते को आशीर्वाद (सरंक्षण) दे रहे हैं. PCS अफसर ने अभियंता पर भ्रष्टाचार से धन अर्जित करने का आरोप लगाते हुए सक्षम एजेंसी से जांच कराने को कहा था.
बता दें कि PCS अफसर की जान का खतरा और अधिशासी अभियंता पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की खबर को प्रमुखता से प्रभात खबर ने लिखा था. जिसको संज्ञान में लेते हुए तत्काल शासन ने अधिशासी अभियंता का केडीए से स्थानान्तरण अलीगढ़ प्राधिकरण में किया था. लेकिन शासन के आदेश के बाद भी अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय को केडीए उपाध्यक्ष ने कार्य से मुक्त नहीं किया.
6 अप्रैल को शासन से दोबारा पत्र केडीए वीसी को जारी कर कहा गया था कि मनोज उपाध्याय को अधिशासी अभियंता (सिविल) की नवीन तैनाती की से प्राधिकरण की कार्यभार ग्रहण करने की सूचना नहीं मिली है. इन्हें तत्काल कानपुर प्राधिकरण से कार्यमुक्त किया जाए. शासन के आदेश के बावजूद अपने चहेते को वीसी अरविंद सिंह कार्यमुक्त नहीं कर रहे हैं. क्योंकि कमाऊपूत चला जाएगा तो टेंडर में मिलने वाला काला धन कैसे हाथ लगेगा. सूत्रों का कहना है कि अभी जल्द ही कई योजना के टेंडर होने हैं. जिसमें अधिशासी अभियंता के चहेते ठेकेदार अपना टेंडर भरेंगे जिसे वीसी से कमाऊपूत पास करवाएंगा. इसके एवज़ में बिल्डर्स से मोटी रकम वसूल की जाएगी.
PCS अफसर के शिकायत पत्र में कहा गया है कि अधिशासी अभियंता अपने चहेतों का टेंडर डलवाता है. यहीं नहीं इसके बदले में वह मोटी रकम भी वसूल करता है. अफसर ने पत्र के जरिए ही प्राधिकरण के एक ठेकेदार का भी खुलासा किया है. जिसमें कहा गया है अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय ने अपने चहेते की कंपनी माया बिल्डर्स को रामगंगा इंक्लेव में अग्निशमन प्रबंधन का काम दिया है. वो भी कथित अनुभव प्रमाण पत्र बनवा कर.
वहीं जब अनुभव प्रमाण पत्र का जोन 2 के एक अफसर द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य निगम विभाग द्वारा सत्यापित करवाया गया तो वह फर्जी निकला. विभाग द्वारा बताया गया कि वहां से माया बिल्डर्स के नाम का कोई भी अनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ. हालांकि कानपुर में हुए भीषण अग्निकांड के बाद भी केडीए के अफसर ऐसी गैरकानूनी तरीके से कागजात बनवाने वाली कंपनी पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे,उल्टा अन्य योजना का कार्य देकर हजारों लोगों की ज़िंदगी दांव पर लगा रहे हैं. अब देखना होगा कि अभियंता को कार्यमुक्त किया जाएगा या फिर कमाऊपूत के द्वारा चहेतों को कार्य दिला कर हजारों जिंदगियों से खेल खेला जाएगा.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी