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Chhath Puja 2022: भगवान भास्कर को भोग लगाने के बाद 36 घंटे का व्रत शुरू, जानें संध्या अर्घ्य का समय

Kharna Puja subh muhurat 2022: छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं कार्तिक छठ खरना की तारीख 29 अक्टूबर, दिन शनिवार है. इस पावन दिन व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाती हैं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

लाइव अपडेट

सूरज डूबते ही खरना पूजा शुरू

खरना पूजा का शुभ समय शाम 05 बजकर 38 मिनट पर है.

30 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य का समय 05 बजकर 34 मिनट

छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं. इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार संध्या अर्घ्य या अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य 30 अक्टूबर, दिन रविवार को दिया जायेगा. सूर्यास्त का समय 05 बजकर 34 मिनट. इस दिन अस्तांचलगामी सूर्य देव को सायंकालीन अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 29 से 5 बजकर 39 बजे तक.

31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय 6 बजकर 29 मिनट

छठ पूजा के चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार यानी कार्तिक छठमहापर्व 2022 में उदयमान सूर्य को अर्घ्य 31 अक्टूबर, सोमवार को दिया जायेगा. इसके बाद व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं. प्रात: कालीन अर्घ्य सुबह 06 बजकर 27 से 06 बजकर 34 बजे तक. उसके बाद पारण प्रसाद ग्रहण

आज से 36 घंटे का उपवास रखेंगी व्रती

महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय से शुरू हो गया. 29 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल पंचमी यानी शनिवार को लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी जबकि 30 अक्टूबर को व्रती जल, जलाशय में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्यल देकर भगवान भास्कर की अराधना करेंगे. जबकी 31 अक्टूबर को व्रती उगते हुए सूर्य को अघ्य देकर भगवान भास्कर और उनकी बहन छठी मैया से अपनी संतान और परिवार के लिए कुशल मंगल की कामना करेंगी.

लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार

सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर

सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

ऐसे होगी मनोकामना पूर्ति

सूर्य को अर्घ्य देते समय सीधे उनकी ओर न देखकर, बल्कि गिरते हुए जल की धारा में सूर्यदेव के दर्शन करें. इस विधि सूर्य को अर्घ्य देते हैं तो मनवांछित फल की पूर्ति होती है.

खरना और लोहंडा व्रत के नियम

  • खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत शुरू हो जाता है.

  • खरना व्रत के दिन व्रती को शाम को स्नान करना होता है.

  • इस दौरान विधि विधान से प्रसाद तैयार किया जाता है.

  • खरना के प्रसाद में मूली और केला इत्यादि शामिल किया जाता है.

  • इस दौरान बनने वाले प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाए जाते हैं.

  • सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं.

  • रोटी और गुड़ की बनी खीर होती खरना का प्रसाद

लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार

सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर

सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का करें जाप

ऊँ सूर्याय नम:,

ऊँ आदित्याय नम:,

ऊँ भास्कराय नम:

ऐसे होगी मनोकामना पूर्ति

सूर्य को अर्घ्य देते समय सीधे उनकी ओर न देखकर, बल्कि गिरते हुए जल की धारा में सूर्यदेव के दर्शन करें. इस विधि सूर्य को अर्घ्य देते हैं तो मनवांछित फल की पूर्ति होती है.

31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय 6 बजकर 29 मिनट

छठ पूजा के चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार यानी कार्तिक छठमहापर्व 2022 में उदयमान सूर्य को अर्घ्य 31 अक्टूबर, सोमवार को दिया जायेगा. इसके बाद व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं. प्रात: कालीन अर्घ्य सुबह 06 बजकर 27 से 06 बजकर 34 बजे तक. उसके बाद पारण प्रसाद ग्रहण

30 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य का समय 05 बजकर 34 मिनट

छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं. इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार संध्या अर्घ्य या अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य 30 अक्टूबर, दिन रविवार को दिया जायेगा.

सूर्यास्त का समय 05 बजकर 34 मिनट. इस दिन अस्तांचलगामी सूर्य देव को सायंकालीन अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 29 से 5 बजकर 39 बजे तक.

Chhath Puja 2022: आज से 36 घंटे का उपवास रखेंगी व्रती

महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय से शुरू हो गया. 29 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल पंचमी यानी शनिवार को लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी जबकि 30 अक्टूबर को व्रती जल, जलाशय में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्यल देकर भगवान भास्कर की अराधना करेंगे. जबकी 31 अक्टूबर को व्रती उगते हुए सूर्य को अघ्य देकर भगवान भास्कर और उनकी बहन छठी मैया से अपनी संतान और परिवार के लिए कुशल मंगल की कामना करेंगी.

छठ पूजा की जरूरी सामग्री

छठ पूजा के लिए बांस की बड़ी टोकरियों या सूप की जरूरत होगी. इसके अलावा लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन और मिठाई की जरूरत होगी.

खरना शुभ मुहूर्त

लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार

सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर

सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

ऐसे करें खरना पूजा और सूर्य भगवान को भोग

  • खरना के दिन व्रती कुल देवता और सूर्य देवता और साथ में छठ मैया की पूजा करते हैं और गुड़ से बनी खीर बनाते हैं और इसे ही भोग के रूप में अर्पित करते हैं. खरना के प्रसाद में चावल, घी लगी रोटी, गन्ने का रस, गुड़ से बनी रसिया, इत्यादि चीजें बनाई जाती है.

  • इसके बाद इन सभी चीजों का भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है और उसके बाद सब लोग इस भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

  • छठ पूजा के दूसरे दिन गोधूलि बेला में भगवान सूर्य के प्रतिरूप को लकड़ी के एक पटरी पर स्थापित किया जाता है और उसके बाद इनकी पारंपरिक रूप से पूजा का विधान बताया गया है. खरना के बाद व्रत करने वाले लोग दो दिनों तक साधना में होते हैं.

  • इस दौरान उन्हें पूरी तरह से ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है. इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप जमीन पर ही सोयें. इस दौरान बिस्तर पर सोना वर्जित होता है.

खरना व्रत के नियम

  • खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत शुरू हो जाता है.

  • खरना व्रत के दिन व्रती को शाम को स्नान करना होता है.

  • इस दौरान विधि विधान से प्रसाद तैयार किया जाता है.

  • खरना के प्रसाद में मूली और केला इत्यादि शामिल किया जाता है.

  • इस दौरान बनने वाले प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाए जाते हैं.

  • सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं.

  • रोटी और गुड़ की बनी खीर होती खरना का प्रसाद

छठ पूजा के लिए जरूरी चीजें

छठ पूजा के लिए बांस की बड़ी टोकरियों या सूप की जरूरत होगी. इसके अलावा लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन और मिठाई की जरूरत होगी.

आम की लकड़ी का इस्तेमाल

इस दिन देवता को चढ़ाए जाने वाले खीर को व्रती खुद ही पकाती हैं. खरना के दिन जो प्रसाद बनता है उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता. इस दौरान व्रती खीर अपने हाथों से पकाती हैं. इसमें ईंधन के लिए सिर्फ आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता. आम की लकड़ी का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि इसे उत्तम माना जाता है. बता दें कि अलग चूल्हे और अलग स्थान पर खरना बनाया जाता. वहीं आजकल शहरों में लोग नए चूल्हे पर घर में छठ के खरना का प्रसाद बनाते. वहां चूल्हा और आम की लकड़ी उपलब्ध नहीं हो पाती. खास ध्यान रहे कि यह प्रसाद किचन में नहीं बल्कि किसी अन्य साफ-सुथरे स्थान पर बनाई जाती है.

Chhath Mahaparv Story: कैसे हुई छठ महापर्व की शुरूआत

छठमहापर्व की शुरुआत नहाय खाए के साथ ही शुरू हो जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ महापर्व संतान की प्राप्ति, कुशलता उनकी दीर्घायु और स्वास्थ लाभ की मंगलकामना के साथ किया जाता है. छठ व्रत का इस साल बेहद शुभ संयोग में आरंभ हो रहा है. छठ पूजा में व्रती को चार दिन तक हर परंपरा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह (Kartik Month) की षष्ठी से शुरू हो जाती है.

Kharna Puja subh muhurat 2022: खरना पूजा का शुभ मुहूर्त

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं कार्तिक छठ खरना की तारीख 29 अक्टूबर, दिन शनिवार है. इस पावन दिन व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाती हैं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

खरना पूजा की विधि

दूसरे दिन यानी 29 अक्तूबर को खरना है. इस दिन सूर्यास्त के बाद गुड़, दूध वाली खीर और रोटी बनाई जाती है. खरना के दिन महिलाएं सूर्य देव को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करती हैं, फिर महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

खरना पूजा के विशेष नियम

खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. पूजा करने के बाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के दौरान घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना होता है. मान्यता है कि शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देते हैं. पूजा का प्रसाद व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बादी ही परिवार के अन्य लोगों में बांटा जाता है और परिवार उसके बाद ही भोजन करता है.

छठ पूजा का विशेष महत्व

सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में यह पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र और महान योद्धा कर्ण ने की थी. मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव और छठी मईया की पूजा अर्चना करने निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और संतान की सुख समृद्धि व दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

छठ व्रत, पूजन का दिन और समय

सूर्य षष्टी व्रत आरंभ 28 अक्तूबर शुक्रवार नहाय खाय

सूर्य षष्टी व्रत द्वितीय दिन (खरना) 29 अक्तूबर शनिवार

मुख्य व्रत 30 अक्टूबर दिन रविवार को

सूर्यास्त का समय 05 बजकर 34 मिनट. इस दिन अस्तांचलगामी सूर्य देव को सायंकालीन अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 29 से 5 बजकर 39 बजे तक.

31 अक्टूबर को सूर्योदय का समय 6 बजकर 29 मिनट

प्रात: कालीन अर्घ्य सुबह 06 बजकर 27 से 06 बजकर 34 बजे तक. उसके बाद पारण प्रसाद ग्रहण

सूर्यास्त का समय

छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं. इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार संध्या अर्घ्य या अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य 30 अक्टूबर, दिन रविवार को दिया जायेगा.

सूर्योदय का समय

छठ पूजा के चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार यानी कार्तिक छठमहापर्व 2022 में उदयमान सूर्य को अर्घ्य 31 अक्टूबर, सोमवार को दिया जायेगा. इसके बाद व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं.

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