14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

खरसावां गोलीकांड: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने की घोषणा, 16 करोड़ की लागत से होगा शहीद स्थल का विकास

Jharkhand News: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज के दिन हजारों की संख्या में यहां लोग श्रद्धांजलि देने आते हैं. इसलिए आज का दिन गौरव का दिन होने के साथ-साथ दुख का दिन भी है. आदिवासी समुदाय हमेशा से संघर्षरत रहा है. संघर्ष ही आदिवासियों की पहचान है.

Jharkhand News: झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले के खरसावां शहीद स्थल को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा. इसकी पहल शुरू कर दी गयी है. इस पर लगभग सोलह करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें बहुद्देशीय भवन के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. ये बातें झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने खरसावां के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज के दिन हजारों की संख्या में यहां लोग श्रद्धांजलि देने आते हैं. इसलिए आज का दिन गौरव का दिन होने के साथ-साथ दुख का दिन भी है. आदिवासी समुदाय हमेशा से संघर्षरत रहा है. संघर्ष ही आदिवासियों की पहचान है. कोल्हान से यहां लोग आते हैं. राज्य सरकार ने शहीद स्थल के पर्यटकीय विकास का निर्णय लिया है. इसके लिए 16 करोड़ खर्च किये जायेंगे. इसमें बहुद्देशीय भवन के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. मुख्यमंत्री के साथ मंत्री चम्पई सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, जोबा माझी, विधायक दशरथ गागराई, दीपक बिरुआ, निरल पूर्ति, सविता महतो, सुखराम उरांव, सांसद सह कांग्रेस की कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष गीता कोड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा आदि ने भी वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

Also Read: डायन का डंक: झारखंड से ऐसे जड़ से खत्म होगी डायन कुप्रथा, ‘गरिमा’ से धीरे-धीरे धुल रहा ये सामाजिक कलंक

आपको बता दें कि 1947 में आजादी के बाद पूरा देश राज्यों के पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा था. तभी अनौपचारिक तौर पर 14-15 दिसंबर को ही खरसावां व सरायकेला रियासतों का विलय ओडिशा में कर दिया गया था. औपचारिक तौर पर एक जनवरी को कार्यभार हस्तांतरण करने की तिथि मुकर्रर हुई थी. इस दौरान एक जनवरी 1948 को आदिवासी नेता जयपाल सिंह ने खरसावां व सरायकेला को ओडिशा में विलय करने के विरोध में खरसावां हाट मैदान में एक विशाल जनसभा का आह्वान किया था. कोल्हान के विक्षिन्न क्षेत्रों से जनसभा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे, परंतु किसी कारणवश जनसभा में जयपाल सिंह नहीं पहुंच सके थे. रैली के मद्देनजर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी थी. इसी दौरान पुलिस व जनसभा में पहुंचे लोगों में किसी बात को लेकर संघर्ष हो गया. तभी पुलिस की गोलियों से कई आदिवासी शहीद हो गये थे.

Also Read: ताली बजाकर बधाई मांगने वाली किन्नरों को झारखंड की कोयला खदान में कैसे मिली नौकरी, ये राह थी कितनी आसान

रिपोर्ट: शचिंद्र कुमार दाश

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें