Loading election data...

खरसावां की ऑर्गेनिक हल्दी को मिला राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड, ग्लोबल प्लेटफार्म पर है उपलब्ध

खरसावां की आर्गेनिक हल्दी को अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज का खिताब मिला है. ट्राइफेड के 34वें स्थापना दिवस पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ऑनलाइन को सम्मानित किया. इस पुरस्कार के लिए 8 राज्यों के 10 प्रोडक्ट को चयनित किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 6, 2021 8:17 PM

Jharkhand News (शचिंद्र कुमार दाश, खरसावां) : खरसावां की ऑर्गेनिक हल्दी झारखंड के साथ-साथ देश-दुनिया के लोगों की सेहत सुधारने को तैयार है. शुक्रवार को इस गुणकारी हल्दी को राष्ट्रीय स्तर पर ‘अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज’ का खिताब मिला है. केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की अनुषंगी इकाई ट्राइफेड के 34वें स्थापना दिवस पर केंद्रीय जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने इसे पुरस्कार से नवाजा. इस पुरस्कार के लिए देश के 8 राज्यों के 10 प्रोडक्ट चयनित किये गये हैं. इसमें झारखंड से खरसावां हल्दी शामिल है. इसके अलावा बंगाल, असम, नगालैंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, ओडिशा व महाराष्ट्र के प्रोडक्ट पुरस्कार के लिए चयनित किये गये हैं.

खरसावां की ऑर्गेनिक हल्दी को मिला राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड, ग्लोबल प्लेटफार्म पर है उपलब्ध 2
खरसावां हल्दी में 7.01 प्रतिशत करक्यूमिन

खरसावां के अंतिम सीमा पर पहाड़ियों की तलहटी पर स्थित जनजाति बहुल रायजेमा गांव में 6 माह पूर्व ट्राईफेड़ ने रायजेमा आसपास के गांव के किसानों को एकजुट कर हल्दी की प्रोसेसिंग शुरु कराने की पहल की है. ग्रामीणों द्वारा उपजाये गये हल्दी को ग्रामीणों ने मशीन से पाउडर बनाया. हल्दी के इसी पाउडर को ट्राईफेड की ओर से रांची के नामकुम स्थित सरकारी राज्य खाद्य प्रयोगशाला में रायजेमा के जांच करायी गयी, तो इसकी गुणवत्ता सामान्य हल्दी से अधिक मिली.

सामान्य तौर पर हल्दी में करीब दो फीसदी करक्यूमिन होता है, लेकिन रायजेमा की ऑर्गेनिक हल्दी में 7 फीसदी से अधिक करक्यूमिन पाया गया. खरसावां की हल्दी में करक्यूमिन (ब्रोकेन) व (होल) भी 3.55 प्रतिशत मिला है. यही इस हल्दी की विशेषता है. हल्दी किसानों को ट्राइफेड शुरुआती सहयोग कर रही है. रायजेमा की ऑर्गेनिक हल्दी अब देश-विदेश में ट्राईफेड के आउटलेट में मिलने लगी है.

Also Read: चक्रधरपुर थाना के सब इंस्पेक्टर 2500 रुपये घूस लेते गिरफ्तार, पश्चिमी सिंहभूम एसपी ने किया सस्पेंड क्या है करक्यूमिन और इसका उपयोग ?

हल्दी में सक्रिय तत्व करक्यूमिन (Curcumin) पाया जाता है. करक्यूमिन एक तरह का रसायन है, जो हल्दी में मौजूद विशेष गुणों की मौजूदगी का मापक है. यह दर्द से आराम दिलाता है और दिल की बीमारियों से सुरक्षित रखता है. यह तत्व इंसुलिन लेवल को बनाये रखता और डायबिटीज की दवाओं के असर को बढ़ाने का भी काम करता है. हल्दी में एक अच्छा एंटीऑक्सिडेंट है. इसमें पाये जाने वाले फ्री रैडिकल्स डैमेज से भी बचाता है. करक्यूमिन का इस्तेमाल त्वचा संबंधी उत्पादों के निर्माण में किया जाता है.

साथ ही यह हमारे शरीर में कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है. कैंसर और दिल संबंधी रोगों के इलाज में भी यह लाभप्रद है. करक्यूमिन मांसपेशियों में होने वाले तनाव तथा अकड़न को दूर करने में मदद पहुंचाता है. साथ ही जुकाम, खांसी और कफ बनाने वाले बैक्टीरिया, वायरस और कीटाणुओं को नष्ट करने में सक्षम है. कोरोना काल में इसका उपयोग काफी बढ़ गया है.

हल्दी के किसानों को मिलेगी अच्छी कीमत

जानकारी के अनुसार, रायजेमा तथा आसपास के किसान अपनी हल्दी के उत्पाद को विभिन्न हाट-बाजारों में मिट्टी के बने पोईला (बाटी) में भर कर बेचते थे. कहीं दो पोईला चावल पर एक पोईला हल्दी, तो कहीं 80 रुपये में एक पोईला पर हल्दी बेची जाती थी. अब ट्राइफेड के सहयोग से इसे 100 से लेकर 700 ग्राम तक पैकेट बना कर बेचा जा रहा है. 100 ग्राम की कीमत 35 रुपये, 250 ग्राम की कीमत 80 रुपये, 500 ग्राम की कीमत 145 रुपये व 700 ग्राम की कीमत 190 रुपये रखी गयी है. यह हल्दी अब ग्लोबल प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध है.

Also Read: झारखंड के सरायकेला में बंद पड़ी अभिजीत कंपनी से चोरी करने के 5 आरोपियों को जेल खरसावां-कुचाई के पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होती है हल्दी के खेती

खरसावां के रायजेमा से लेकर कुचाई के गोमियाडीह तक पहाड़ियों की तलहटी पर बसे गांवों में बड़े पैमाने पर परंपरागत तरीके से हल्दी की खेती होती है. पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग हल्दी की खेती से जुड़े हुए है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हल्दी की खेती के लिये अनुकूल भी माना जाता है. करीब चार किलो हल्दी के गांठ में एक किलो हल्दी का पाउडर तैयार होता है.

ऑर्गेनिक हल्दी से किसानों की बढ़ेगी आमदनी : अर्जुन मुंडा

इस मौके पर केंद्रीय जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समुदाय के लोग बिना किसी उर्वरक के ही पारंपरिक तरीके से हल्दी उपजा रहे हैं. अब इनका उत्पाद ट्राइफेड के काउंटर में मिलेगा. इससे गांव के हल्दी किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. मंत्रालय ने भारत वर्ष के आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना में देश के 7500 आदिवासी बहुल गावों की आधारभूत सुविधा को पूरा करने का प्रस्ताव कर रही है.

इस दौरान श्री मुंडा ने कहा कि ट्राईफेड को इन सभी गावों से जोड़कर रोजगार के नये अवसर के सृजन की आवश्यकता है. देश के विभिन्न क्षेत्रों के स्वयं सेवी सहायता समूह के सदस्यों से भी बातचीत कर उनका उत्साहवर्धन किया और उनकी आमदनी में वृद्धि की आशा व्यक्त कि, जिससे वो स्वावलंबी बन सकें.

Also Read: टाटा स्टील अप्रेंटिस में झारखंडियों की नियुक्ति काे लेकर JMM का प्रदर्शन, नया सर्कुलर जारी करने की मांग

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version