डॉ कृष्णा गोप की खोरठा कविताएं
प्रभात खबर के दीपावली विशेषांक में प्रकाशित डॉ कृष्णा गोप की दो खोरठा कविताएं यहां पढ़ें...
हमर गांवेक लोग
गांवेक लोग चला आवा
एगबार फिर गांवेक बचावे चला
सरैया मांडेरक,टोंगरिया बोरके
जे राखल हय सोचके।
भलुवाही टोंगरीक इरे-धीर फुटल झरनवा
जेकर मोधे लागो हय पनिया,कलहुआ
लुरंगा, लुगु आर लिखनी संगे-संग महोदी
आर पारसनाथेक बोने सगरो सुहान लागो हय
जेकर बोने अनबोलेत परानी हथीन
आदिपुरखेक डहरल चिनहाके संगे-संग
आदिम कोहबर आर सोहराइ के चितर।
आवा हमर गांवेक लोग चला
आवा,आजा,आजी,काका,काकी
आवा हमर माय आर बाप
संगे-संग आवा हमर गांवेक लोग
इ सुना भेल अखराके बचावे चला।
हमे बुझ रहल हिअइ गांवे
आब सहरे फेटाइल रहल हय
तइयो हमर गांवेक लोग
आवा इ छोट बढ़ जाइतेक
फेइर पसरल जाइ रहल मनभेदेक
नाय रहे दबैय आर पुरखाक चलल
सहिया संगीक बचाइ ले।
आवा हमर गांवेक लोग आवा
उ सब अबरी फेर आइ रहल हथुन
हमर भासा, संसकिरिति,जल ,जंगल
आर जमीनो के लुटे ले.
आवा हमर गांवेक लोग आवा
गांवेक पुरबे गडल थड़पखना
ठीन आवा, जे हमीनेक पुरखाके
लागय आखरी चिनहा, जेकरा बचाइला
आब एकरो पर लाइग गेलो चुना के चिनहा.
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अंधार रातियाके गीत
आसाढ़ आइल संगे-संग सावन,भादो
आर आसिनेक झिकोर बादे नदियाक
पानी झिलमिल दरपन बइन जाहे
कातिक मासे,धानेक हरियर बाली
अगहन आइते,सोनाक चूर बइन जाहे।
घरेक जम दिया निकलल बादे
दिवालीक राइत, भंडार कोना,ढेंकी
जाता,खरीहाने दिया बारल बादे
मइया हमर गोहाले,दिया भुइये धर
गावेइत,गाइएनेक सींगे घी लागवल बादे।
राग भरल पुरखा गीत सइ जगवो हथीन
पुरखा परबेक दिन गाय-गोहाल,गीत-नादे
आवो हथीन सइ ले हमर बाप आर काका
सोहराय,चाचेर गाइ पुरखेक बखान करो हथीन
मकीन इनखर गीत दोहर पार सहिया सोहराय काका घर।
आबे सुनाय नाय दो हय,कुहूचू अंधेरिया रतिया
सोहराय गीतेक मधुर रागे-धुन आर दिया-बातीके
जगमग इंजोर सइ भिनसरिया होइ जा हले
अइसन कहेत-कहेत बाप हमर चुप होइ जा हथीन
फिर मने-मन गते-गत कहो हथ…इ नवाजुगेक बेरा।
जे परब खेती-किसानी परब हलय,अंधार रातियाके
परब बारूदेक सइ युध्एक मैदान लागो हय
जे मानवीय सोच पर हमला हला
रीझ-रंग,गीत-नादेक परब फटाका बारूदे
बिसफोट आर गंधे मे बदइल गेलय।।
संपर्क : ग्राम+पोस्ट -हेसालौंग, वाया- अरगड़ा, जिला-हजारीबाग – 829101, झारखंड