सरना धर्म कोड के लिए खूंटी में महारैली, ‘अलग कोड नहीं तो वोट नहीं’ के लगे नारे
सोमा मुंडा ने कहा कि आजाद भारत में सरना धर्मावलंबियों को अलग सरना धर्म कोड न देना एक क्रूर मजाक तथा मानवीय अधिकारों पर कुठाराघात है. वर्ष 2011 की जनगणना में सरना धर्मावलंबियों की संख्या 50 लाख से अधिक अंकित होने के बावजूद अन्य के अंतर्गत रखा जा रहा है.
खूटी, चंदन कुमार : सरना धर्म समन्वय समिति के तत्वावधान में रविवार को खूंटी के कचहरी मैदान में विशाल सरना धर्म कोड महारैली का आयोजन किया गया. खूंटी के विभिन्न मार्गों से सरना धर्मावलंबियों का जत्था झंडा, बैनर, तख्ती और पोस्टर के साथ खूंटी कचहरी मैदान पहुंचा. यहां विशाल महारैली हुई, जिसमें सरना धर्मावलंबियों को सरना कोड नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाए गए. इस अवसर पर भगवान सिंगबोंगा की पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. महारैली को संबोधित करते हुए धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि सरना प्रकृति पर आधारित मानव सभ्यता का प्राचीनतम धर्म है. राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण भारत सरकार और राज्य सरकार सरना धर्म कोड तथा आदिवासी अधिकारों के प्रति उदासीन है. सरना धर्म कोड के अभाव में न केवल आदिवासियों की धार्मिक एवं सामाजिक एकता टूटी है, बल्कि सरना धर्म पर लगातार आक्रमण और अतिक्रमण हो रहा है. धर्मांतरण के कारण आदिवासियों की धार्मिक तथा सामाजिक एकता कमजोर हो रही है. केंद्र सरकार यथाशीघ्र सरना धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पहल करे.
सरना कोड न देना मानवीय अधिकारों पर कुठाराघात : सोमा मुंडा
सोमा मुंडा ने कहा कि आजाद भारत में सरना धर्मावलंबियों को अलग सरना धर्म कोड न देना एक क्रूर मजाक तथा मानवीय अधिकारों पर कुठाराघात है. वर्ष 2011 की जनगणना में सरना धर्मावलंबियों की संख्या 50 लाख से अधिक अंकित होने के बावजूद अन्य के अंतर्गत रखा जा रहा है.
सरना धर्मावलंबियों की प्रमुख मांगें
भारत सरकार की मंशा सरना धर्मावलंबियों के प्रति उदासीन है. महारैली में सरना धर्म कोड यथाशीघ्र लागू करने, सरना धर्मावलंबियों हर पर्व-त्योहार में सरकारी छुट्टी का प्रावधान करने, देश के अन्य धर्मावलंबियों की तरह प्रकृति पूजक सरना धर्मावलंबियों के लिए तीर्थयात्रा के लिए राशि निर्गत करने, सरना धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सरना बोर्ड का गठन करने, सरना धर्मावलंबियों की सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर यथा पहनई, डालीकतारी, सरना, अखड़ा, जतरा, मसना, देशाउली इत्यादि का संवर्धन करने, पांचवीं अनुसूची तथा जल-जंगल-जमीन की सुरक्षार्थ को सारे नियम शक्ति से लागू करने की मांग की गई.
ये लोग थे उपस्थित
इस अवसर पर मुख्य रूप से दुर्गावती ओड़ेया, सनिका मुंडा, मथुरा कंडीर, बुधराम बोधरा, बिरसा कंडीर, सुभासिनी पुर्ती, महादेव मुंडा, विश्राम टुटी, सुखराम मुंडा, सोमा मुंडा, मसीह गुड़िया सहित अन्य उपस्थित थे.