केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद एक साल से अधिक समय से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो गया. इसके साथ ही खत्म हो गई गाजीपुर बॉर्डर से ऑफिस जाने वाले दैनिक यात्रियों की समस्याएं. गाजीपुर से दिल्ली जाने वाला रास्ता (NH-1) आज से खोल दिया गया है. ऐसे में प्राची नाम की एक दैनिक यात्री ने राहत भरी सांस लेते हुए एएनआई को बताया कि, अब समय से ऑफिस पहुंच जाएंगे.’
दरअसल, किसान आंदोलन के चलते लंबे समय से बंद गाजीपुर से दिल्ली जाने वाला रास्ता (NH-1) आज से खोल दिया गया है. गाजीपुर बॉर्डर से ऑफिस जा रहीं प्राची नाम की एक दैनिक यात्री ने कहा कि, ‘बहुत अच्छा हुआ. मेरा ऑफिस बहुत दूर है, हम देरी से पहुंचते थे. अब समय से ऑफिस पहुंच जाएंगे.’
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी अलग-अलग मागों को लेकर जारी किसान आंदोलन आखिर खत्म हो गया है. 11 दिसंबर से किसानों घर लौटना भी शुरू कर दिया था. केंद्र सरकार ने विरोध करने वाले किसानों की प्रमुख मांगों को स्वीकार किया और एक साल के विरोध प्रदर्शन के बाद तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म कर दिया. ऐसे में आज गाजीपुर से दिल्ली जाने वाला रास्ता (NH-1) भी खोल दिया गया है.
दरअसल, इस पूरे किसान आंदोलन में एक व्यक्ति ऐसा भी रहा जिस पर पूरे आंदोलन के दौरान सभी की निगाहें टिकी रही वो थे, किसान नेता राकेश टिकैत, जिन्होंने इस दौरान कई मुश्किलों का भी सामना किया. कई दफा लगा की आंदोलन खत्म हो जाएगा, लेकिन टिकैत ने हार नहीं मानी, और किसान आंदोलन में जान फूंकते रहे, जिसका नतीजा ये हुआ कि सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ी, और अखिर में कृषि कानून वापस ले लिया.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गाजीपुर पर जारी किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले राकेश टिकैत को 21वीं सेंचुरी आइकॉन अवार्ड से भी नवाजा गया है. टिकैत 21वीं सेंचुरी आइकॉन अवार्ड के फाइनलिस्ट चुने गए हैं. ब्रिटेन की राजधानी लंदन में 10 दिसंबर को विजेताओं की घोषणा की गई.