किशनगंज के स्कूल में एक ही कमरे में संचालित होती है दो कक्षाएं, जमीन पर बैठकर पढ़ने को विवश छात्र
किशनगंज के मध्य विद्यालय पौवाखाली में एक ही कमरे में दो कक्षाएं चलती हैं. विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक पढ़ाई होती है. इसके लिए 14 कमरे है. लेकिन इसमें 2 कमरे टैग स्कूल को दिये जाने के कारण 12 कमरे बचे और स्कूल में 17 कक्षाएं चलती है.
मध्य विद्यालय पौवाखाली में बच्चों को पढ़ाने का शिक्षकों में जुनून और उनकी जिद के आगे संसाधनों की कमी हार गयी है. शिक्षकों का कहना है कि बच्चों का भविष्य संवारना उनकी प्राथमिकता है. बताते चले कि इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक पढ़ाई होती है. इसके लिए 14 कमरे है. लेकिन इसमें 2 कमरे टैग स्कूल को दिये जाने के कारण 12 कमरे बचे और स्कूल में 17 कक्षाएं चलती है. जिस कारण एक रूम में दो क्लास चलाने की बाध्यता है. वहीं दो क्लास बरामदे में लगायी जाती है.
जहां चाह, वहां राह
इस बाबत विद्यालय के प्रधानाचार्य निरोध सिन्हा कहते हैं कि विद्यालय के शिक्षकों का जुनून है कि जहां चाह, वहां राह की कहावत पर वे अपना कदम बढ़ा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शिक्षक पर्याप्त संख्या में पदस्थापित है. 1186 नामांकित छात्रों की पढ़ाई के लिए 24 शिक्षक पदस्थापित है. उन्होंने बताया कि अब तक जितने भी अधिकारी आये सभी ने कमरों की कमी को देखते हुए सहायता देने की बात की, लेकिन सरजमीन पर बातें लागू नहीं हुई.
एक कमरे में चल रही है दो कक्षाएं
पौआखाली स्कूल में कमरों की कमी का यह आलम है कि एक कमरे में दो कक्षाएं संचालित होती है. अब एक ही कमरे में दो शिक्षक जब पढ़ाते होंगे तब बच्चे कैसे पढ़ पायेंगे. वहीं दूसरे कक्ष में कुछ बच्चे बेंच पर तो कुछ जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करने को विवश हैं. इस विद्यालय में बच्चे समस्याओं के बीच शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं. इससे इनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
स्कूल की दीवारें देती है गणित और भूगोल का ज्ञान
आज के दौर में सरकारी स्कूलों को सजाने के लिए चित्रकारी का सहारा लिया जाता है कहीं ट्रेनें बना दी जाती है तो कहीं कुछ और लेकिन मध्य विद्यालय पौआखाली की दीवारें गणित, विज्ञान और भूगोल के साथ इतिहास का ज्ञान दे रही है. स्कूल में मौजूद कमरों की सभी बाहरी दीवारों पर चित्रांकन कराया गया है.
स्कूल के प्रधानाचार्य निरोध सिन्हा ने बताया कि समय के साथ अब शिक्षा के आयाम भी बदल रहे हैं. पुरानी शिक्षा और आधुनिक शिक्षा में दिनों दिन काफी बदलाव आया हैं. पहले राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में लकड़ी के श्याम पट पर शिक्षक बच्चों को अक्षर ज्ञान देते थे. पाठशाला में हिंदी, गणित, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान विषय ही पढ़ाए जाते थे. विज्ञान प्रयोगशाला से लेकर खेल मैदान तक की सूरत बदल गयी. अब दीवारें भी बच्चों को ज्ञान दे ऐसे प्रयास होने चाहिए.
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प्लैक्स में लगाये गये हैं शिक्षकों की फोटो
ठाकुरगंज प्रखंड में पौआखाली मध्य विद्यालय का कार्यालय स्कूल की ही तरह काफी व्यवस्थित दिखता है. यहां एक ऐसी चीज दिखी जो अन्य स्कूलों में आमतौर पर नहीं दिखती. ठाकुरगंज प्रखंड में पौआखाली मध्य विद्यालय उन गिने चुने स्कूलों में है जहां शिक्षकों के फोटो लगाये गये हैं.
विद्यालय के प्रधानाचार्य निरोध सिन्हा ने बताया कि उनके विद्यालय में यह कार्य कई वर्ष पूर्व ही हो चुका है. उन्होंने बताया कि उनके विद्यालय में इस तरह की जो जानकारी दी गयी है उसमें विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों की सारी जानकारी आ जाती है. जैसे इस फ्लेक्स बोर्ड में शिक्षको की फोटो को वरीयता के क्रम में छापा गया है. जिसमें उनकी शैक्षणिक योग्यता, उनका पद, मोबाइल नंबर, जन्म तिथि, विद्यालय में योगदान की तिथि, ब्लड ग्रुप के साथ आधार नंबर अंकित किया गया है.