कोलकाता, शिव कुमार राउत : अब कोलकाता भी मलेरिया मुक्त शहर होगा. महानगर को मलेरिया मुक्त बनाने के लिए कोलकाता नगर निगम यहां कीटनाशक युक्त मच्छरदानी बांटेगा. मंगलवार से जरूरतमंद लोगों के बीच मच्छरदानी का वितरण होगा. प्रथम चरण में करीब छह हजार कीटनाशक युक्त मच्छरदानी बांटने की योजना है. निगम के कीट विशेषज्ञ डॉ देवाशीष विश्वास ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि, महानगर को मच्छर जनित बीमारियों से निजात दिलाने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से निगम महानगर में मच्छरदानी का वितरण करेगा.
डॉ विश्वास ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश को मलेरिया मुक्त बनाने की पहल की है. निगम द्वारा महानगर के फुटपाथ पर रहनेवाले जरूरतमंद लोगों के बीच कीटनाशक मच्छरदानी का वितरण किया जायेगा. उन्होंने कहा कि, राज्य स्वास्थ्य विभाग से 30,000 कीटनाशक मच्छरदानियों की मांग की गयी थी. पहले चरण में निगम को छह हजार मच्छरदानी मिल चुकी है. मंगलवार को बोरो दो, नौ और 10 में कीटनाशक युक्त मच्छरदानी का वितरण किया जायेगा. उन्होंने बताया कि वियतनाम और श्रीलंका लंबे समय तक कीटनाशक मच्छरदानी का उपयोग करके मलेरिया मुक्त हुए हैं.
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डॉ देवाशीष विश्वास ने बताया कि यह मच्छरदानी पॉलिएस्टर धागे से बनी है. मच्छरदानी के निर्माण के दौरान धागे में विशेष प्रकार की कीटनाशक डेल्टा मैथरिन और साइंफैनोथ्रिन का उपयोग किया जाता है. यह मच्छरों और कीट-पतंगों को दूर भगाने व उन्हें मारने का काम करती है. मच्छरदानी पर बैठते ही मच्छर मर जाते हैं. इस तरह कीटनाशक मच्छरदानी के अंदर सोनेवाला व्यक्ति सौ फीसदी मच्छरों से सुरक्षित रहता है. मच्छरदानी डेंगू फैलाने वाले मच्छरों से भी सुरक्षा प्रदान करेगा. डेंगू के मच्छर आमतौर पर दिन के समय निकलते हैं. दिन में घर में मच्छरदानी को खोलकर दरवाजे पर टांग दिया जाये, तो डेंगू मच्छर घर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे और मच्छरदानी पर बैठेंगे, तो मर जायेंगे. हालांकि, केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा इस मच्छरदानी को अब तक बाजार में बेचने की अनुमति नहीं दी गयी है.
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राज्य सरकार द्वारा एक लाख मच्छरदानी वितरित किये जायेंगे. राज्य सचिवालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, डेंगू के नियंत्रण के लिए सरकार के उच्चतम स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक प्रारंभिक अंतर-विभागीय समन्वय बैठकें आयोजित की गयी हैं. मच्छरों के प्रजनन स्थलों पर नियंत्रण के लिए सभी नगरपालिकाओं में ड्रोन की मदद से निगरानी सहित पल्स मोड सफाई गतिविधि शुरू की गयी है. इसके अलावा घर-घर सर्वेक्षण गतिविधियां राज्य के सभी 129 नगरपालिका क्षेत्र में शुरू कर दी गयी हैं, जो एक दिसंबर तक जारी रहेंगी. गौरतलब है डेंगू व मलेरिया के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह कड़ा कदम उठाया जा रहा है.
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कोलकाता नगर निगम ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के नियमों का पालन करते हुए धापा में कूड़े के अंबार को कम करने का कार्य शुरू कर दिया है. कूड़े का निस्तारण करने के लिए वार्ड नंबर 58 में धापा के पास 73 हेक्टेयर भूमि पर एक नयी लैंडफिल साइट तैयार की जायेगी. कोलकाता नगर निगम ने हाल ही में यह निर्णय लिया है. उक्त वार्ड स्थित खानबेरिया, दुर्गापुर गांव से सटे बसंती राजमार्ग के पास लैंडफिल साइट तैयार की जायेगी. इस डंपिंग ग्राउंड में कूड़े का अंबार नहीं होगा.
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अपशिष्ट प्रसंस्करण परियोजना के तहत आधुनिक पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके यहां लैंडफिल साइट विकसित की जायेगी. कोलकाता नगर निगम के मुताबिक, ईस्ट कोलकाता वेटलैंड बोर्ड ने महानगर को प्रदूषण से बचाने के लिए उक्त डंपिंग ग्राउंड को तैयार करने की अनुमति दे दी है. शहरी विकास विभाग से भी मंजूरी मिल चुकी है. अगले कुछ महीनों के भीतर उक्त डंपिंग ग्राउंड को तैयार करने के लिए राज्य सरकार जमीन का अधिग्रहण करेगी. निगम सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रति कट्ठा जमीन के लिए 50 हजार रुपये मिलेंगे. करीब 700 भू मालिकों को मुआवजा देने में 55-60 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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