Aligarh Vidhan Sabha Chunav: अलीगढ़ को तालों का शहर कहा जाता है. सियासत की बात करें तो सत्ता के ताले की चाबी हमेशा से जनता जनार्दन के पास रही है. इस बार होने वाले चुनाव को लेकर सियासी पार्टियों के बीच रस्साकशी जारी है. हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर अलीगढ़ शहर का सियासी इतिहास कैसा रहा है. उससे पहले हम आपको बता दें कि अलीगढ़ की सीट पर 10 फरवरी को मतदान होने वाला है. उसके बाद 10 मार्च को नतीजों का ऐलान किया जाएगा.
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अलीगढ़ शहर विधानसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आई.
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भाजपा ने पहला चुनाव 1989 में जीता था.
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भाजपा ने 1991 और 1993 में भी जीत दर्ज की.
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भाजपा के कृष्ण कुमार नवमान लगातार तीन बार विधायक चुने गए.
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2012 में सपा के जफर आलम ने बीजेपी के आशुतोष वार्ष्णेय को हराया था.
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2017 में भाजपा के संजीव राजा ने सपा के ही जफर आलम को शिकस्त दी थी.
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अलीगढ़ शहर विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक बीजेपी के संजीव राजा हैं. उनका जन्म 1 फरवरी 1961 को बदायूं जिले के वजीरगंज कस्बे में हुआ. वो 1969 में बदायूं से इंटर के बाद बीकॉम की पढ़ाई करने अपनी नानी के घर अलीगढ़ आ गए. बीकॉम की पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े.
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अलीगढ़ शहर विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है.
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मुस्लिम के बाद वैश्य, ब्राह्मण, ठाकुर मतदाताओं की तादाद ज्यादा है.
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कायस्थ बिरादरी के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
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कुल मतदाता- 3,86,519
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पुरुष- 2,01,319
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महिला- 1,85,167
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अन्य- 33
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बारिश के मौसम में जलभराव.
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बाजारों में जाम की समस्याएं.