Chandauli Mughalsarai Assembly Seat: उत्तर प्रदेश के चंदौली की मुगलसराय सीट काफी अहम है. अगर आपने ट्रेन से सफर किया होगा तो मुगलसराय से जरूर गुजरे होंगे. योगी सरकार में इसका नाम दीन दयाल उपाध्याय कर दिया गया था. इसके बावजूद विधानसभा की सीट मुगलसराय ही रही. इस विधानसभा क्षेत्र में पंडित दीन दयाल स्मृति उपवन भी बनवाया गया है. यहां की राजनीति की बात करें तो वो काफी दिलचस्प रही है. कभी वाराणसी जिले का हिस्सा रहे चंदौली में मुगलसराय हमेशा खास रहा है. यहां एशिया की सबसे बड़ी कोयला मंडी, रेलवे यार्ड और कॉलोनी है.
इसका आजादी के बाद नाम चंदौली रामनगर था. बाद में नाम मुगलसराय कर दिया गया था. इतिहासकारों की मानें तो मुगल काल में यहां पर दो सराय हुआ करती थीं. इसमें मुगल सेना और व्यापारी ठहरते थे. इस कारण मुगलसराय नाम प्रसिद्ध हुआ. बाद में लोग इसे मुगलसराय के नाम से जानने लगे थे. यह लाल बहादुर शास्त्री की जन्मस्थली है. यहां पर पंडित दीनदायल उपाध्याय ने काफी समय गुजारे थे.
मुगलसराय विधानसभा सीट पर पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव हुआ था. उस चुनाव में कांग्रेस के उमाशंकर तिवारी ने जीत हासिल की थी. 1957 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के ही श्याम लाल यादव ने जीत हासिल की. 1962 के विधानसभा चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के उमाशंकर त्रिपाठी ने जीत दर्ज की.
1967 में कांग्रेस के श्यामलाल यादव महज 82 वोटों से जीते थे. 1968 में उमाशंकर त्रिपाठी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे थे और जीत दर्ज की थी. 2002 और 2007 में सपा को जीत मिली थी. साल 2012 के चुनाव में बसपा ने पहली बार मुगलसराय सीट जीती थी. 2017 में मोदी लहर के बीच इस सीट पर बीजेपी की साधना सिंह ने सपा प्रत्याशी बाबूलाल यादव को हराकर कमल खिलाया था.
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पिछड़ी जाति- 80 हजार
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मुस्लिम- 70 हजार
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दलित- 60 हजार
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ब्राह्मण- 35 हजार
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क्षत्रिय- 32 हजार
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रेल कर्मचारी- 12 हजार
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सोनार- 5 हजार
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अन्य- 10 हजार
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कुल मतदाता- 3,08,680
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पुरुष- 2,06,695
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महिला- 1,74,985
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कोयला मंडी की कई समस्याएं.
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ग्रामीण इलाकों में खराब सड़क.
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बुनियादी सुविधाओं का भी टोटा.