Chandauli Assembly Chunav: उत्तर प्रदेश में वाराणसी मंडल के चंदौली जिले की सैयदराजा विधानसभा सीट बेहद अहम मानी जाती है. यह विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर है. इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल का प्रवेश द्वार भी माना जाता है. यहां के लोग कृषि पर आधारित हैं. पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम चंदौली था. परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर सैयदराजा किया गया. इस सीट पर 7 मार्च को मतदान है. नतीजों का ऐलान 10 मार्च को होगा.
सैयदराजा सीट से 1952 में पहली बार कांग्रेस पार्टी के पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए थे. वो प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेल मंत्री भी रहे. वक्त गुजरा और इस इलाके की राजनीति को राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाने लगा. 2002 के चुनाव में बसपा के शारदा प्रसाद ने सपा के राम उजागर गोंड को हराकर जीत हासिल की थी. 2007 में भी शारदा प्रसाद ने जीत दर्ज की. 2012 में सीट का नाम सैयदराजा कर दिया गया.
2012 में निर्दलीय प्रत्याशी मनोज सिंह डब्लू ने जेल से ही लड़े थे. उन्होंने बाहुबली बृजेश सिंह को हराया. 2017 के चुनाव में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह मैदान में उतरे. उन्होंने चाचा की हार का बदला लिया. 2017 के विधानसभा चुनाव में सैयदराजा में त्रिकोणात्मक लड़ाई हुई थी. इसमें सपा, भाजपा और बसपा शामिल थी. 2017 मोदी लहर में यह सीट भाजपा की झोली में गई और सुशील सिंह जीते.
-
2017- सुशील सिंह- भाजपा
-
2012- मनोज कुमार- आईएनडी
-
42 साल के सुशील सिंह 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे. उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है.
Also Read: Ghazipur Assembly Chunav: मोहम्मदाबाद सीट पर अंसारी परिवार का सबसे ज्यादा दबदबा, इस बार भी जीतेगी BJP?
-
दलित- 65 हजार
-
क्षत्रिय- 40 हजार
-
बिंद- 35 हजार
-
मुस्लिम- 27 हजार
-
ब्राह्मण- 25 हजार
-
यादव- 25 हजार
-
वैश्य- 25 हजार
-
कोरी कुशवाहा- 20 हजार
-
निषाद- 12 हजार
-
राजभर- 12 हजार
-
अन्य- 25 हजार
-
कुल मतदाता- 3.21 लाख
-
पुरुष- 1.75 लाख
-
महिला- 1.46 लाख
-
बुनियादी सुविधाओं का अभाव.
-
चिकित्सा के साधन सही नहीं.
-
हायर एजुकेशन की भी कमी.