Loading election data...

Prayagraj Assembly Chunav: यहां SP और BSP दोनों मजबूती से लड़ती है चुनाव, राम लहर के बाद BJP जीती

बीजेपी की बात करें तो अभी तक पहली और आखिरी बार राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद साल 1996 में राकेश धर त्रिपाठी को जीत मिली थी. उन्होंने सपा के बेनी माधव बिंद को हराया था.

By Prabhat Khabar News Desk | January 30, 2022 11:37 AM
an image

Prayagraj Handia Vidhan Sabha Chunav: प्रयागराज जिले की हंडिया विधानसभा सीट से मौजूदा समय में बसपा के हाकिम लाल बिंद विधायक हैं. उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल (सोनेलाल पटेल) की प्रमिला देवी को 8,526 मतों से हराया था. इससे पहले इस सीट पर 2012 में सपा से महेश नारायण विधायक निर्वाचित हुए. 2007 में बसपा के राकेश धर त्रिपाठी चुनाव जीते थे. उन्होंने सपा के महेश नारायण सिंह को 1,342 मत से हराया था. यहां 27 फरवरी को वोटिंग है.

बीजेपी की बात करें तो अभी तक पहली और आखिरी बार राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद साल 1996 में राकेश धर त्रिपाठी को जीत मिली थी. उन्होंने सपा के बेनी माधव बिंद को हराया था. हंडिया विधानसभा सीट के समीकरण की बात करें तो यहां चुनाव हमेशा से यादव बनाम ब्राह्मण ही रहा है. यहां पर निर्णायक भूमिका अनुसूचित जनजाति के मतदाता निभाते हैं. मौजूदा विधायक विकास के लिए कुछ नहीं कर सके.

हंडिया विधानसभा का सियासी इतिहास

  • 2017- हाकिम लाल बिंद- बसपा

  • 2012- महेश नारायण सिंह- सपा

  • 2007- राकेश धर त्रिपाठी- बसपा

  • 2002- महेश नारायण सिंह- सपा

  • 1996- राकेश धर त्रिपाठी- भाजपा

  • 1993- जोखू लाल यादव- बसपा

  • 1991- बृजभान यादव- जेडी

  • 1989- राकेश धर त्रिपाठी- जेडी

  • 1985- राकेश धर त्रिपाठी- जेएनपी

Also Read: Prayagraj Assembly Chunav: इस सीट ने बुआ-बबुआ दोनों को दिया मौका, राजा भैया का प्रत्याशी भी मैदान में…
हंडिया सीट के मौजूदा विधायक

  • 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा के हाकिम लाल बिंद विधायक निर्वाचित हुए थे.

जातिगत आंकड़े (अनुमानित)

  • ब्राह्मण- 95 हजार

  • यादव- 90 हजार

  • अनुसूचित जाति- 70 हजार

  • बिंद- 50 हजार

  • मुस्लिम- 40 हजार

  • क्षत्रिय- 20 हजार

  • अन्य- 25 हजार

हंडिया विधानसभा में मतदाता

  • कुल मतदाता- 3,95,530

  • पुरुष- 2,16,124

  • महिला- 1,83,350

हंडिया विधानसभा में मुद्दे

  • इलाके में कई समस्याएं हैं.

  • युवाओं को रोजगार नहीं है.

  • बड़े उद्योग-धंधे नहीं हैं.

Exit mobile version