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पीएम मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं वहां सालों से मंदिर-मस्जिद विवाद, जानें क्या है विवाद

पीएम नरेंद्र मोदी जिस काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं, वहां सालों से मंदिर-मस्जिद विवाद है. आइए जानतें हैं क्या है पूरा मामला

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2021 7:34 AM

Kashi Vishwanath Corridor: पीएम नरेंद्र मोदी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट का लोकार्पण करने 13 दिसंबर यानी आज वाराणसी आ रहे हैं. काशी में बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर लोकार्पण के पावन अवसर पर पूरी काशी उपस्थित रहेगी. इस अवसर पर मंदिर धाम में अर्चकों और भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी, लेकिन क्या आप जानतें हैं पीएम मोदी जिस काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं वहां सालों से मंदिर-मस्जिद विवाद है. आइए जानतें हैं क्या है विवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की जमीन और ज्ञानवापी मस्जिद से सटी हुई है. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं, दोनों के निर्माण को लेकर अलग-अलग दावे हैं. ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को 1664 में ध्वस्त कर दिया था, और इसके अवशेषों पर मस्जिद बना दी गई. मंदिर की भूमि के एक हिस्से पर स्थित ढांचे को ही ज्ञानवापसी मस्जिद के रूप में जाना जाता है.

हिन्दू पक्ष के क्या हैं दावे

हिन्दू पक्ष की ओर दावा किया जाता है कि विवादित ढांचे (ज्ञानवापी मस्जिद) के फर्श के नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थपित है. यही नहीं विवादित ढांचे के दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र हैं. ऐसे कई दावे हैं, जिनमें कहा गया है कि औरंगज़ेब के आदेश पर मंदिर को तोड़ा गया, जिसके बाद ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ है.

मस्जिद के पक्ष में क्या हैं दावे

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर किए गए दावों पर नजर डालें तो कहा जाता है कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तानों ने मस्जिद का निर्माण कराया था. इसके लिए उन्होंने यहां पहले से मौजूद विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाया था. लेकिन कई दावे ऐसे में, जिनमें कहा गया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है.

कोर्ट में चल रहा है मंदिर-मस्जिद जमीन विवाद

दरअसल, औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था, इसे लेकर ही कोर्ट में विवाद चल रहा है. 1991 में मंदिर के पक्षकार पंडित सोमनाथ ने मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और यहां हिंदुओं को दर्शन, पूजापाठ समेत अन्य अधिकार होने चाहिए. इसके बाद मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी.

विवाद की फिलहाल क्या है स्थिति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 में स्टे लगाकर मौके पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद के ASI द्वारा सर्वेक्षण करने की मंजूरी दी गई. फिलहाल, विवाद को लेकर पूरा मामला कोर्ट में लंबित है, तारीख और सुनवाई का सिलसिला जारी है.

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