दीपावली आज, दोपहर दो बजकर 54 मिनट से 13 नवंबर दोपहर दो बजकर 55 मिनट तक रहेगा शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि

दीपावली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है. इस दिन की गयी पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | November 12, 2023 8:39 AM

प्रकाश के पर्व दीपावली में मां लक्ष्मी के साथ गणेश भगवान व काली मां की पूजा की जायेगी. वेदाचार्य रमेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि दीपावली में लग्न की आवश्यकता होती है. दीपावली की पूजा गोधूलि बेला से शुरू होकर ब्रह्म मुहूर्त तक होती है. गृहस्थ आश्रम के लिए गोधूलि बेला में पूजन करना शुभ होता है. सूर्यास्त के आधा घंटा पहले और एक घंटा बाद का समय गोधूलि का होता है. व्यापारी वृष लग्न और सिंह लग्न में लक्ष्मी गणेश की पूजा करें. वृष लग्न (स्थिर लग्न) संध्या छह बजे से आठ बजे तक रहेगा. सिंह लग्न रात्रि बारह बजे से दो बजे तक रहेगा. पूजा को लेकर मंदिरों, पंडालों, घरों और प्रतिष्ठानों में तैयारी पूरी कर ली गयी है. अमावस्या की तिथि 12 नवंबर को दोपहर दो बजकर 54 मिनट से 13 नवंबर को दोपहर दो बजकर 55 मिनट तक रहेगी.

दीप पूजन से प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी

दीपावली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है. इस दिन की गयी पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा.

पूजन विधि  

अपने ऊपर, आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुश या पुष्पादि से जल का छिड़काव कर यह शुद्धीकरण मंत्र – ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यःस्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सबाह्याभ्यंतर: शुचिः. मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं, ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नमः ऊँ ऋषिकेशाय नम: अनामिका अंगुली से चंदन व रोली लगाते हुए मंत्र पढ़ें. चंदनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम् आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा। मंत्र का उच्चारण करें.

कलश पूजा

कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, दुर्वा, अक्षत, तुलसी पत्र डालें फिर कलश पर आम के पत्ते रखें. नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें. हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर वरुण देवता का आहवान मंत्र पढ़कर कलश पर छोड़ें. आगच्छभगवान् देवस्थाने चात्र स्थिरोभव, यावत् पूजा समाप्ति स्यात् तावत्वं सुस्थिरो भव मंत्र का जाप करते हुए कलश में कुबेर, इंद्र सहित सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर के आह्वान और प्रणाम करें.

भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र और कुबेर पूजा विधि

लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करें. ॐ गं गणपतये नम:… मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं. इसके बाद हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कुबेर, इंद्र और भगवान विष्णु की मूर्ति पर चढ़ाते हुए मंत्र बोलें, सर्वेभ्यो देवेभ्यो स्थापयामि, इहागच्छ इह तिष्ठ नमस्कारं करोमि, फिर सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम: बोलते हुए सभी देवताओं पर पूजन सामग्री चढ़ाएं.

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