जानिए भारतीय हॉकी टीम में शामिल गोलकीपर पंकज रजक के संघर्ष की कहानी

हॉकी की दुनिया के चमकते सितारे पंकज को कई बार राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड भी मिल चुका है. फिलहाल पंकज एनआइओएस से 12 वीं की पढ़ाई के साथ ही राउरकेला में सेल हॉकी एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहा है.

By Vijay Bahadur | May 12, 2022 6:19 PM

* टारगेट तय कर सफलता पाने का जुनून होना चाहिए.

* पंकज रजक का चयन इस महीने इंडोनेशिया में होने वाले एशिया कप में हुआ है.

इस सितारे से जब आप मिलिएगा, तो उसकी आंखें बहुत कुछ बोलती है. उसकी आंखों में केवल सपने नहीं हैं. आंखों में हौंसले है. मंजिल तय करने की तमन्ना है. फासलों को पाटने का जुनून है. एक लाइन में कहें, तो वह सब कुछ है, जो किसी इंसान को कोई भी बाधा पार करने के लिए होनी चाहिए.

पंकज जीत चुके हैं राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड

हॉकी की दुनिया के चमकते सितारे पंकज को कई बार राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड भी मिल चुका है. फिलहाल पंकज एनआइओएस से 12 वीं की पढ़ाई के साथ ही राउरकेला में सेल हॉकी एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहा है. हुरहुरू पतरातू (हजारीबाग) में जन्मे पंकज ने दसवीं तक की पढ़ाई संत राबर्ट स्कूल से की है. 2012 में दसवीं में पढ़ते हुए उसे स्कूल की तरफ से अंडर स्कूल हॉकी नेशनल टूर्नामेंट खेलने का अवसर मिला. इसके बाद पंकज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक उपलब्धियां उसके खाते में जुड़ती गयी. 2012 में अंडर स्कूल नेशनल टूर्नामेंट खेलने के बाद पंकज ने कोच कोलेश्वर गोप की सलाह पर साई, रांची के चयन प्रतियोगिता में भाग लिया. जिसके बाद उसका चयन साई, रांची के लिए हो गया. यहां उसने 2014 तक प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसी दौरान सेल हॉकी एकेडमी राउरकेला में उसका चयन हो गया. फिलहाल उनका प्रशिक्षण राउरकेला सेल हॉकी एकेडमी में ही चल रहा है.

मुफलिसी में गुजर रही है पंकज के परिवार की जिन्दगी

भले ही पंकज आज हॉकी का एक चमकता सितारा बन चुका है, लेकिन उसके परिवार की जिन्दगी अब भी मुफलिसी में ही गुजर रही है. पंकज का परिवार आज भी पतरातू गांव में किराये के खपरैल मकान में रहता है. उसके पिता ददन रजक आज भी पुश्तैनी धंधे से ही किसी प्रकार परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. वहीं मां अंजू देवी एक गृहिणी हैं, जो घर कामों से बचे समय में अपने पति की मदद करती हैं. पंकज पांच भाई बहनों में सबसे छोटा है. ददन रजक बताते हैं कि बचपन से ही पंकज का रूझान पढाई से ज्यादा खेलों की ओर था. घर में आर्थिक तंगी के बावजूद हमने पंकज को हमेशा प्रोत्साहित किया.

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दुनिया कर लो मुट्ठी में

2015 में मैसूर में आयोजित पांचवें नेशनल हॉकी टूनामेंट में बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड पंकज को मिला. वहीं 2016 में बांग्लादेश के ढाका में आयोजित सब जुनियर एशिया कप में पंकज ने फिर से बेस्ट गोलकीपर का अवार्ड जीता. वहीं 2013 से लेकर आज तक आयोजित होनेवाले सभी नेशनल टूर्नामेंट खेलने के साथ ही 2015 में हॉलैंड में आयोजित नेशनल वाल्वो कप, 2017 में मलेशिया में आयोजित सुल्तान जौहर बरहु कप में देश का प्रतिनिधित्व किया.

इस सपने पर कौन नहीं फिदा हो जाए

पंकज अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं,खासकर मां को. जिन्होंने काफी कठिन परिस्थितियों के बावजूद उसकी मदद की, हौसला बढ़ाया. पंकज का अगला लक्ष्य 2024 ओलंपिक में देश को हॉकी में स्वर्ण दिला फिर से हॉकी का सिरमौर बनाना है.

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