कोडरमा, विकास कुमार. कोडरमा में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला मामले में पुलिस ने रिटायर्ड लिपिक मोहम्मद मोबिन और कम्प्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर को गिरफ्तार कर लिया है. दोनों पर कोडरमा के कल्याण विभाग की ओर से दी जाने वाली अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में करीब डेढ़ करोड़ की राशि गबन करने का आरोप है.
कल्याण विभाग में हड़कंप
पुलिस ने दोनों को बुधवार को ही जेल भेज दिया. यह कार्रवाई कल्याण विभाग द्वारा अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि में गबन मामले को लेकर प्राथमिक दर्ज होने के करीब सात महीने बाद हुई है. पुलिस की इस कार्रवाई से कल्याण विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
10 स्कूलों में करीब 1400 फर्जी छात्रों के नाम
जानकारी के अनुसार, साल 2021 में कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति गबन का मामला प्रकाश में आने के बाद डीसी आदित्य रंजन ने पूरे मामले की जांच कराई थी. जांच में पता चला कि कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता बरती गई है. विभागीय मिलीभगत से वितीय वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 में 10 स्कूलों में करीब 1400 फर्जी छात्रों के नाम पर डेढ़ करोड़ की राशि का गबन किया गया है.
एफआईआर दर्ज करने में लग गया एक साल
इसके बाद डीसी ने सितंबर 2021 में ही एफआईआर दर्ज कराने का आदेश विभागीय पदाधिकारी को दिया था. बावजूद एफआईआर दर्ज करने में करीब एक साल लग गया. वर्ष 2022 के नवंबर अंत में जिला कल्याण पदाधिकारी नीली सरोज कुजूर ने कोडरमा थाना में कांड संख्या 275/22 दर्ज करायी. इसमें प्री-मैट्रिक अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप में 10 स्कूलों के प्राचार्यों के अलावा कल्याण विभाग के तत्कालीन लिपिक मोहम्मद मोबिन, क्लर्क प्रमोद कुमार मुंडा और कम्प्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद हैदर को आरोपी बनाया गया था.
जांच में कई छात्रों के नाम पता और स्कूल फर्जी मिले
कल्याण विभाग द्वारा अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं को दी जाने वाली प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक और मैट्रिक सह मीन्स छात्रवृत्ति में घोटाला का मामला प्रकाश में आने के बाद डीसी के निर्देश पर टीम गठिक किया गया. गठित जांच टीम ने जब मामले की जांच की तो कई हैरतअंगेज खुलासे हुए थे. डीसी को सौंपे गए जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि करते हुए 10 स्कूलों के रिकॉर्ड में गड़बड़ी की बात कही गयी थी. जिन 1433 बच्चों के खाते में छात्रवृत्ति की राशि ट्रांसफर करने का दावा किया गया. उनमें से अधिकतर बच्चे के खाते में राशि ट्रांसफर नहीं की गयी. कुछ ऐसे बच्चे के नाम भी थे, जिनके स्कूल और घरों का पता फर्जी मिला था.