कोलकाता की हवा खतरनाक, पर दिल्ली से बेहतर,15 साल पुरानी गाड़ियों के कारण बढ़ रहा वायु प्रदूषण
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर चिंता जतायी जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया था कि कोलकाता की स्थिति 12 और 13 दिसंबर को दिल्ली से भी खराब थी.
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर चिंता जतायी जा रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिसंबर के तीसरे सप्ताह में जारी अपनी रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को लेकर कोलकाता की तुलना दिल्ली से की थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि कोलकाता की स्थिति 12 और 13 दिसंबर को दिल्ली से भी खराब थी. 12 दिसंबर को कोलकाता का एयर इंडैक्स वैल्यू 307 (बहुत खराब) थी, वहीं दिल्ली में यह 218 (खराब) था. 13 दिसंबर को कोलकाता का एयर इंडैक्स वैल्यू 314 और दिल्ली का 177 था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस रिपोर्ट को राज्य के पर्यावरण मंत्री मानस राज भुइयां ने सिरे से नकार दिया था. उन्होंने इस संदर्भ में कुछ आंकड़े भी प्रस्तुत किये थे. उन्होंने दावा किया था कि कोलकाता की स्थिति दिल्ली से कहीं बेहतर है.
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कोलकाता में प्रदूषण के ये हैं कारण
पहला कारण : कोलकाता में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा सोर्स ऑटोमोबाइल्स है. इस कारण कोलकाता में 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है. बता दें विकसित देशों में भी मात्र 15 प्रतिशत ही पुरानी गाड़ियों को सड़कों पर चलने देने की अनुमति है. जबकि महानगर में 65 प्रतिशत गाड़िया 15 साल पुरानी हैं. जो सड़कों पर बिना किसी व्यवधान के दौड़ रही हैं.
दूसरा कारण : जहरीली हवा का दूसरा सबसे बड़ा कारण रोड साइड में चलने 20 हजार से ज्यादा फूड स्टॉल हैं. जहां पर लकड़ी व कोयले जलाकर भोजन बनाया जाता है. इस कारण 15 प्रतिशत प्रदूषण होता है.
तीसरा कारण : पिछले कुछ सालों से कोलकाता सहित अन्य क्षेत्रों में अवैध वृक्षों की कटाई व बिल्डिंग बनाने के कारण समस्या उत्पन्न हो गयी है. इस कारण 15 प्रतिशत प्रदूषण होता है.
चौथा कारण : शहर के कई इलाकों में स्थानीय स्तर पर लोग कचरे को जला रहे हैं. इस कारण 10 प्रतिशत प्रदूषण होता है.
पांचवां कारण : विशेषज्ञों की मानें तो महानगर में लाखों वैध और अवैध कल-कारखाने चल रहे हैं. जो महानगर के लोगों के लिए बड़ी संकट खड़ी कर रहे हैं. पर्यावरण विद श्री घोष का कहना है कि 20 प्रतिशत वायु प्रदूषण इनकी वजह से हो रहा है.
इन इलाकों की स्थिति चिंताजनक
1. हावड़ा का घुसड़ी राज्य का सबसे प्रदूषित इलाका
पर्यावरणविद् सोमेंद्र मोहन घोष ने बताया, राज्य का सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित क्षेत्र हावड़ा का घुसड़ी इलाका है. उन्होंने दावा किया है कि यह अब राज्य का ही नहीं, विश्व के सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले क्षेत्र में शामिल हो गया है. उन्होंने इसका मुख्य कारण यहां पर सालों पुराने मेटल को वाश कर अन्य देशों में सप्लाई करने वाले कारखानों को बताया गया है. उन्होंने बताया, मेटल वाश करने का काम पहले चीन में होता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से यह हावड़ा के घुसड़ी में हो रहा है. इस कारण हावड़ा व इससे सटे क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता खराब हो रही है.
2. मोमिनपुर व तारातला में सबसे अधिक कारखाना प्रदूषण
पर्यावरणविद सुभाष दत्त के अनुसार, कोलकाता के मोमिनपुर और तारातला में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है. इसका मुख्य कारण इन क्षेत्रों में बड़ी-बड़ी लॉरी चलना और ट्रैफिक की समस्या है. इसके अलावा इन क्षेत्रों में चलने वाले बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाला धुआं है. बता दें कि हाइड रॉड, जैन कुंज, सिक लाइन, तारातला से लेकर मोमिनपुर तक बड़े-बड़े चायपत्ती गोदाम, जहाज बनाने के कारखाने व ट्रांसपोर्ट की कंपनियां चलती हैं.
3. काफी भीड़ होने के कारण विधाननगर रहा प्रदूषित क्षेत्र
हाल ही के दो-तीन दिनों का विधाननगर के आसपास के इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 258 रहा है. यह हवा की काफी खराब गुणवत्ता दर्शाता है. पर्यावरणविदों के अनुसार लाखों की संख्या में यहां पर लोगों के उमड़ने की वजह से यह समस्या हुई. दूसरा कारण यहां पर विधाननगर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन का कचड़ा रोड साइड में डंप किया जाना है. पिछले कुछ सालों के रिकॉर्ड के अनुसार साल्टलेक और राजरहाट में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है.
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ये करने की जरूरत
– सीएनजी का उपयोग किया जाये
– कचरों को खुले में जलाने से रोका जाये. इसे खुले में डंप न करें. कचरों का सही निष्पादन करें
– पर्यावरण से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम चलाये जायें
– ऊर्जा के स्वच्छ संसाधनों का उपयोग करें जैसे सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा और जल ऊर्जा
– सिंगल यूज्ड पॉलिथीन का उपयोग तत्काल रोका जाये
– सड़कों से पुराने वाहनों को हटाया जाये.
– विभिन्न उद्योगों की स्थापना के ही साथ प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाये जाने चाहिए
– ऐसे उद्योग, जो भारी प्रदूषण फैलाते हों, उन्हें रिहायशी स्थानों से काफी दूर रखें
– खाली पड़ी जमीनों पर अधिक से अधिक पौधे लगाये जायें.
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क्या कहते हैं प्रदूषण बोर्ड के चेयरमैन
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन कल्याण रुद्र ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार राज्य में प्रदूषण रोकने के लिए प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य की जनसंख्या करीब 10.50 करोड़ है. किसी न किसी माध्यम से हर कोई प्रदूषण का जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि बायोमास बर्निंग के नियंत्रण के लिए व सैटेलाइट का प्रयोग कर रहे हैं. कचरों की डंपिंग के लिए भी उनकी अरबन लोकल बॉडी से बातचीत हो रही है. वाहनों के लिए परिवहन विभाग से चर्चा की जा रही है. लेकिन समस्या ये है कि आज के दौर में कोई भी व्यक्ति पैदल नहीं चलना चाहता है. उन्होंने कहा कि रोड साइड में पौधारोपण का अभियान चलाया जा रहा है.
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रिपोर्ट : नम्रता पांडेय