कोलकाता एयरपोर्ट पर दो बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेट प्रोजेक्ट पर शुरू किया गया कार्य लगभग पूरा हो चुका है. इस नये प्रोजेक्ट के जरिये रनवे क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा. इससे प्रति घंटा उड़ानों की संख्या मे भी वृद्धि होगी. हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया है कि आरईटी (रैपिड एक्सिट टैक्सीवेज) का सिविल कार्य व टैक्सी ट्रैक एफ के विस्तार का कार्य पूरा हो चुका है और इंजीनियरिंग का काम अंतिम चरण मे है. कोलकाता हवाई अड्डे के हवाई क्षेत्र मे हवाई यातायात नेविगेशन इकाई द्वारा किये गये परिवर्तनों मे दोनों प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है.
कोलकाता हवाई अड्डे के रनवे की बढ़ी हुई क्षमता को पूरा करने के लिए जुलाई-अगस्त तक का समय लग सकता है. सैद्धांतिक रूप से इसका मतलब यह होगा कि कोलकाता हवाईअड्डा एक दिन मे अधिकतम 1,080 उड़ानों को संभालने मे सक्षम होगा, जो वर्तमान मे 840 है. एयरपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि इस महीने के अंत तक टैक्सी ट्रैक, रैपिड एग्जिट टैक्सीवे और आठ अतिरिक्त पार्किंग घेरे का काम पूरा कर लिया जायेगा. इस काम से संबंधित सभी दस्तावेज इस महीने के अंत तक या इससे पहले डीजीसीए को मंजूरी के लिए भेज दिये जायेगे.
एक बार डीजीसीए की मंजूरी मिल जाती है, तो हम अखिल भारतीय प्रकाशन (एआइपी) मे बदलावों को अधिसूचित करेगे, ताकि कोलकाता जाने वाले सभी एविएटर्स को इसकी जानकारी मिल सके. डीजीसीए (डाइरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) की मंजूरी मे एक या दो महीने लग सकते है, एआइपी की औपचारिकताओं मे और 45 दिन लग सकते हैं. तीन रैपिड एग्जिट टैक्सीवे (आरईटी) जो आने वाली उड़ानों को जल्दी से रनवे छोड़ने की अनुमति देंगे और एक टैक्सी ट्रैक का विस्तार होगा, जो प्रस्थान करने वाले विमान को तुरंत रनवे में बिल्कुल अंत में प्रवेश करने की अनुमति देगा, ताकि यह टेक-ऑफ रन बना सके. यह कार्य पूरा हो गया है और अगले तीन महीने में यह पूरी तरह काम करने लगेगा.
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