भारतीय संस्कृति में मोक्ष पर्व के रूप में प्रसिद्ध मकर संक्रांति स्नान के लिए बड़ी संख्या में पुण्यार्थी सागरतट यानी गंगासागर पहुंचने लगे हैं. दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन के अनुसार, दो दिनों (बुधवार और गुरुवार) में तीन लाख लोगों ने पुण्य स्नान किया है.
इस बार कुंभ मेला नहीं लग रहा है. ऐसे में सागरतट पर अधिक भीड़ के उमड़ने की संभावना दिख रही है. गंगासागर के लिए कहा जाता था कि सारे तीर्थ बार-बार गंगासागर एक बार. क्योंकि तब गंगासागर की यात्रा काभी दुर्गम मानी जाती थी. संभवतः मंधार पर्वत (वर्तमान भागलपुर) के समीप से यात्रा शुरू होती थी और बंगाल सहित तमाम छोटे-मोटे द्वीपों को पार कर विशाल गंगा नदी में लहराती नौकाएं कई दिनों में गंगासागर पहुंचती थीं. न जाने कितने ही यात्रियों के लिए गंगासागर की यात्रा अंतिम यात्रा साबित होती थी. पुराने गजेटियरों में नौका डूबने और बर्मा (म्यांमार) आदि से समुद्री लुटेरों के आने की घटनाएं भरी पड़ी है. लेकिन, अब तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है. बदलते वक्त के साथ गंगासागर की यात्रा भी हाइटेक हो गयी है.
अब मेला पर नजर रखने के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. ड्रोन व सीसीटीवी कैमरों की मदद से मेले पर नजर रखी जा रही है. इस बार गंगासागर मेला के लिए आपदा प्रबंधन और सिविल डिफेंस के 1556 वॉलेंटियर तैनात किये गये हैं. इन्हें लॉट आठ, कचुबेरिया, नामखाना और बेनूवन के लिए तैनात किया गया है. ये पुण्य स्नान के लिए पहुंचने वाले लोगों की सुरक्षा के साथ परिवार से बिछड़ने वाले लोगों की मदद के साथ बीमार लोगों श्रद्धालुओं को अस्पताल पहुंचाने में मदद कर रहे हैं.
एक बार गंगासागर पहुंच जाने पर मुश्किलें आसान होने लगती हैं. कई किलोमीटर तक फैले गंगासागर के विशाल तट पर पुण्य स्नान करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती. लेकिन इस बार तीर्थयात्री आसानी से पुण्य स्नान नहीं कर पायेंगे. इसकी वजह यह है कि गंगासागर के तट पर अचानक से दलदली मिट्टी का अंबार लग गया है. ऐसा पहली बार देखा गया है.
भारीतय तटरक्षक बल (आइसीजी) ने गंगासागर मेले के लिए पश्चिम बंगाल में समुद्र तट से लगे क्षेत्र की निगरानी बढ़ादी है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. स्नान के लिए पहुंचने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए होवरक्राफ्ट, तेज गति वाली गश्ती नौकाएं और इंटरसेप्टर नौकाओं की तैनाती की गयी है. उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में 24 घंटे यह तैनाती रहेगी. वहीं एनडीआरएफ की पांच टीमें पुण्यार्थियों की सुरक्षा के लिए तैनात हैं.