पुण्य स्नान से पहले गंगा सागर में भव्य गंगा आरती शुरू हो गयी है. गुरुवार शाम के पांच बजे गंगासागर में गंगा आरती के लिए मंदिर के सामने से गंगासागर घाट तक रैली निकाली गयी है. जिलाधिकारी सुमित गुप्ता ने बताया कि इस बार गंगासागर में तीन दिन सागर आरती का आयोजन किया जायेगा. गुरुवार से इसका शुभांरभ हुआ है, जो 14 जनवरी तक होगी. सागर आरती के दौरान 100 ढाक (बंगाल का लोकप्रिय वाद्य यंत्र) बजाये गये. इस दौरान 40 पंडित सागर की पूजा-अर्चना व आरती किये और 100 महिलाएं शंख बजायीं. महिलाओं द्वारा शास्त्रीय संगीत पर नृत्य किया. 13 और 14 जनवरी भी गंगा आरती होगी. गुरुवार को गंगा आरती के दौरान महंत ज्ञानदास ने दीप प्रज्वलित किया. इस दौरान विधायक लवली मोइत्रा, जिलाधिकारी सुमित गुप्ता समेत जिलाप्रशासन के अन्य गणमान्य अधिकारी गण उपस्थित थे.
सागर मेले में पहुंचने वाले लोगों के लिए सुरक्षा तक पूरा ख्याल रखा जा रहा है. गंगा आरती के दौरान सुंदरवन मामलों के मंत्री बंकिम चंद्र हाजरा ने बताया कि इस वर्ष कुंभ मेले के नहीं लग रहा है. वहीं कोरोना का प्रकोप भी नहीं है. ऐसे में इस बार गंगासागर मेले में 30 से 35 लाख लोग पहुंचे सकते हैं. उन्होंने बताया कि पुण्य स्नान के लिए तैयारी पूरी कर ली गयी है. सागर मेले में पहुंचने वाले लोगों के लिए सुरक्षा तक पूरा ख्याल रखा जा रहा है. इसके साथ ही गंगा सागर सह सुन्दरवन के विकास के लिए के लिए केंद्र सरकार से 10000 करोड़ रुपये फंड की मांग की गयी है.
गंगा और सागर के पवित्र मिलन स्थल सागरद्वीप जाने का रास्ता बेहद दुर्गम है. लंबे सड़क मार्ग के बाद विशाल मूड़ी नदी को पार करना पड़ता है. वेसल के लिए श्रद्धालुओं को लंबा इंतजार करना पड़ता है. मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गंगासागर की यात्रा और भी कठिन हो जाती है. क्योंकि पुण्य स्नान करने लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं. हालांकि एक बार गंगासागर पहुंच जाने पर मुश्किलें आसान होने लगती हैं. कई किलोमीटर तक फैले गंगासागर के विशाल तट पर पुण्य स्नान करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती. लेकिन इस बार तीर्थयात्री आसानी से पुण्य स्नान नहीं कर पायेंगे. इसकी वजह यह है कि गंगासागर के तट पर अचानक से दलदली मिट्टी का अंबार लग गया है. ऐसा पहली बार देखा गया है. जिला प्रशासन का कहना है कि पिछले कुछ समय में आये चक्रवातों के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. तट पर मौजूद रेत बह गया है और समुद्र के नीचे की मिट्टी ऊपर आ गयी है. इस कारण पूरा तट दलदली मिट्टी से भर गया है.
तीर्थयात्रियों को पुण्य स्नान करने में काफी परेशानी हो सकती है. घाट पर मिट्टी अधिक होने के कारण स्नान के लिए जगह कम पड़ सकती है. तीर्थयात्रियों को दलदल पार कर नहाने जाना होगा. हालांकि इस समस्या के समाधान के लिए सागर तट पर बड़ी संख्या में सिविल पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं. मेला परिसर के तीन नंबर मुख्य घाट के सामने रेत की बोरियां रख दी गयी हैं. ताकि घाट तक जाने में तीर्थयात्रियों को सहूलियत हो.
गंगासागर मेला आठ जनवरी से शुरू हो गया है. इस साल कुंभ मेला नहीं लगने से राज्य प्रशासन को इस बार सागर द्वीप पर भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है. इसके लिए दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन के साथ नबान्न ने मेले की निगरानी करने का निर्णय लिया है. इस बार लाइव प्रसारण के माध्यम से गंगासागर मेले की निगरानी की जा रही है. नबान्न सीधे तीर्थयात्रियों के आने-जाने से लेकर मेला मैदान तक निगरानी करेगा. भीड़ पर नजर रखने के लिए मेले में जगह-जगह कैमरे लगाये गये हैं. ड्रोन से भी नजर रखी जा रही है. सुंदरवन विकास मंत्री बंकिम हाजरा ने 10 जनवरी को गंगासागर मेले में इस निगरानी से जुड़े कंट्रोल रूम का उद्घाटन किया था. वहां से नबान्न को फीड भेजी जाती है.