कोलकाता, विकास कुमार गुप्ता : समय के साथ-साथ लोग जैसे-जैसे डिजिटल तकनीक को अपना रहे हैं, इसके साथ-साथ साइबर अपराधी (cyber criminals) भी विभिन्न तरह से नये-नये तकनीक की मदद से आये दिन लोगों को अपना टार्गेट बना रहे हैं. जिससे पर्याप्त जानकारी के अभाव में मिनटों में उनकी जमापूंजी साइबर जालसाजों के कब्जे में चली जा रही है. कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार की तरफ से शहर के लोगों को इस बारे में सचेत करने के लिए पहले ही विभिन्न इलाकों में माइकिंग कर जागरूकता अभियान चलाने को कहा गया है. इसके साथ-साथ कोलकाता पुलिस की तरफ से अत्याधुनिक बस, जिसे ””साई बज”” नाम दिया गया है. इस बस में पिछले पांच-छह वर्षों के साइबर अपराध की तरीकों की जानकारी दी गयी है. इसके अलावा मौजूदा समय में किस तरह से साइबर अपराध के ट्रेंड चल रहे हैं, इस बारे में भी लोगों को जागरूक किया गया है.
पुलिस के मुताबिक अब पढ़ाई व ऑनलाइन क्लास को लेकर अधिकतर स्कूली छात्र-छात्राएं मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा देखा गया है कि अधिकतर मोबाइल फोन में अभिभावकों एवं छात्रों के बैंक डिटेल्स मौजूद होती हैं. अगर छात्र-छात्राएं बिना जाने-समझे साइबर अपराधियों द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक कर देते हैं, तो उन छात्रों या उनके अभिभावकों के बैंक खाते से मोटी रकम गायब हो सकते हैं. स्कूल और कॉलेज के छात्र भी मॉब अश्लील वीडियो से ”सेक्सटॉर्शन” का शिकार हो सकते हैं. थानों में दर्ज शिकायतों में देखा गया है कि कई कॉलेज छात्र-छात्राएं भी साइबर धोखाधड़ी के शिकार हो चुके हैं. इसके कारण ”साई बज” को सबसे पहले शहर के स्कूल और कॉलेजों के बाहर भेजा जायेगा. जिससे छात्र-छात्राओं को साइबर धोखाधड़ी से बचने के बारे में बताया जा सके.
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कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त (ऑर्गनाइजेशन) अतिरिक्त प्रभार (क्राइम) वकार रेजा ने कहा, मौजूदा समय में कोलकाता पुलिस की खुद की बस को अत्याधुनिक आकार में ढाल कर ”साई बज” तैयार किया गया है. जल्द इसका उद्घाटन किया जायेगा. बाद में आवश्यकतानुसार बसों की संख्या और जागरूकता अभियान भी बढ़ाया जाएगा. इसके अलावा पुलिस की तरफ से विभिन्न व्यावसायिक संगठनों को आने वाले फर्जी मेल आईडी के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए कोलकाता के कुछ चेंबर ऑफ कॉमर्स के साथ एक बैठक करने की भी तैयारी चल रही है. इस बस के भीतर बड़ी-बड़ी एलसीडी स्क्रीन लगी हुई हैं. जिसमें अंग्रेजी और बांग्ला में तस्वीर व वीडियो की मदद से साइबर अपराध के तरीकों के बारे में बताया गया है. इसके साथ टैब के माध्यम से साइबर अपराध से बचने के बारे में जानकारी दी गयी है. बस के भीतर छात्रों के लिए साइबर संबंधी क्विज भी मौजूद है. एलसीडी स्क्रीन पर छात्रों को एनिमेशन दिखाई देगा. जिसमें नये-नये अत्याधुनिक तरीकों के बारे में बताकर इससे बचने के बारे में भी सतर्क किया जायेगा. साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए क्या करें, क्या न करें, इसे लेकर बस के अंदर से पोस्टर, स्टिकर और पर्चे छात्रों में बांटे जाएंगे, जिससे घर जाकर वे अपने अभिभावकों को भी इस बारे में जागरूक कर सकें.
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साइबर विभाग के अधिकारी बताते हैं कि यह बस जहां भी खड़ी होगी, उस दौरान सड़कों पर पैदल आवाजाही करनेवाले यात्री भी दूर से बाहर लगे चित्रों को देख कर साइबर क्राइम से संबंधित जानकारी विस्तार से जान सकेंगे. बस के बाहरी हिस्सों में एक दर्जन से ज्यादा क्यूआर कोड मौजूद हैं. इन कोड को स्कैन करने पर विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध से बचने का विवरण मोबाइल स्क्रीन पर दिखाई देंगी. जिसमें अनजान नंबरों से वीडियो कॉल पर ”सेक्सटॉर्शन” से कैसे बचें, ऑनलाइन सर्च इंजन गूगल पर किसी भी विभाग का हेल्पलाइन नंबर न ढूंढे, आकर्षक ऑफर के लालच से बचें, फोन पर केवाईसी अपडेट के झांसे में न फंसे, पब्लिक वाईफाई में बैंक से संबंधिक लेनदेन न करें, ओटीपी ”शेयरिंग” से बचें, अनजान लिंक पर क्लिक न करें, लोन ऐप्स के झांसे में न पड़े, ऑनलाइन शॉपिंग के प्रलोभन में न फंसे, डेटिंग ऐप्स से बचकर रहें, बैंकिंग जानकारी किसी अनजान को न दें, जैसे साइबर खतरों को बस के बाहर हाइलाइट किया गया है.