कोलकाता : कोलकाता पुलिस पर कुछ लोगों के खिलाफ बयान के लिए लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा है. ये आरोप लगाया है वामदलों ने. वामपंथी छात्र व 10 युवा संगठनों के अलावा कांग्रेस के छात्र परिषद और युवा कांग्रेस के संयुक्त नबान्न अभियान के दौरान पुलिसिया कार्रवाई के बाद मोईदुल इस्लाम मिद्दा की मौत का मामला अब तूल पकड़ने लगा है.
गत 11 फरवरी को हुई इस घटना में वामपंथी दलों का आरोप है कि पुलिस ने हत्या की नीयत से बल प्रयोग किया, जिसमें मोईदुल इस्लाम की जान चली गयी मामले की गंभीरता को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष पुलिस बल (एसटीएफ) का गठन करके जांच शुरू कर दी है.
वामपंथी दलों का आरोप है कि पुलिस इस मामले की लीपापोती करने के लिए वहां मौजूद दुकानदारों को निशाना बना रही है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, अभी तक इस मामले में पुलिस के सामने 200 लोगों के नाम आये हैं. इनके खिलाफ जांच हो रही है. वहीं, डीवाईएफआई के राज्य सचिव सायनदीप चक्रवर्ती का आरोप है कि पुलिस पूरे मामले को अपने ढंग से गढ़ने में जुटी है.
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सायनदीप ने कहा कि इसके लिए कोलकाता पुलिस स्थानीय दुकानदारों को मोहरा बना रही है. दुकानदारों को वह सिखाकर बयान ले रही है कि आंदोलनकारी अपने साथ बैग में ईंट-पत्थर भरकर लाये थे. जब आंदोलनकारियों को पुलिस ने आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास किया, तो आंदोलनकारी हमलावर हो गये और उन लोगों ने ईंट-पत्थर व डंडों से पुलिस पर हमला कर दिया.
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इसके बाद आत्मरक्षा में पुलिस को मजबूरी में कार्रवाई करनी पड़ी. इसके लिए पुलिस द्वारा दुकानदारों के पास जाने की खबर मिलने के बाद वामपंथी कार्यकर्ता हरकत में आ गये और बकायदा हिंदी और उर्दू में पंपलेट छपवाकर दुकानदारों को दे रहे हैं और उनसे कह रहे हैं कि वह लोगों की समस्या और पुलिस के जुल्म को देखते हुए बिना किसी भय के अपना पक्ष रखें.
Posted By : Mithilesh Jha