24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Janmashtami Katha: भगवान कृष्ण ने आधी रात में क्यों लिया था जन्म, जन्माष्टमी पर जरूर पढ़ें ये कथा

Janmashtami Katha: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से हुआ था.

Janmashtami Katha: द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की आधी रात को मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. श्रीकृष्ण ने बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था. अष्टमी तिथि को रात्रिकाल अवतार लेने का प्रमुख कारण उनका चंद्रवंशी होना बताया जाता है. श्रीकृष्ण चंद्रवंशी, चंद्रदेव उनके पूर्वज और बुध चंद्रमा के पुत्र हैं. इसी कारण चंद्रवंश में पुत्रवत जन्म लेने के लिए कृष्ण ने बुधवार का दिन चुना. भगवान कृष्ण ने माता देवकी के आठवें संतान के रूप में जन्म लिया था. कृष्णजी का जन्म मथुरा में मामा कंस के कारागार में हुआ था. माता देवकी राजा कंस की बहन थी. इसीलिए भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

सत्ता का लालची था कंस

कंस को सत्ता का लालच था. उसने अपने पिता राजा उग्रसेन की राजगद्दी छीनकर उन्हें जेल में बंद कर दिया था और स्वंय को मथुरा का राजा घोषित कर दिया था. राजा कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था. उन्होंने अपनी बहन का विवाह वासुदेव से कराया था, लेकिन जब वह देवकी को विदा कर रहा था. तभी एक आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस की मौत का कारण बनेगा. यह सुनकर कंस डर गया, उसने तुरंत अपनी बहन और उनके पति वासुदेव को जेल में बंद कर दिया. उनके आसपास सैनिकों की कड़ी पहरेदारी लगा दी. कंस अपनी मौत के डर से देवकी और वासुदेव की 7 संतानों को मार चुका था.

Also Read: Janmashtami 2023 Puja Vidhi Live: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज, जानें पूजा विधि-शुभ मुहूर्त, सिद्धि मंत्र और महत्व
भगवान श्रीकृष्णजी का जन्म

भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र दिन बुधवार की अंधेरी रात में भगवान कृष्ण ने देवकी के आठवें संतान के रूप में जन्म लिया. श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कोठरी प्रकाशमय हो गया. तब तक आकाशवाणी हुई कि विष्णुजी ने कृष्ण जी के अवतार में देवकी के कोख में जन्म लिया है. उन्हें गोकुल में बाबा नंद के पास छोड़ आएं और उनके घर एक कन्या जन्मी है, उसे मथुरा ला कर कंस को सौंप दें. भगवान विष्णु के आदेश से वासुदेव जी भगवान कृष्ण को सूप में अपने सिर पर रखकर नंद जी के घर की ओर चल दिए. भगवान विष्णु की माया से सभी पहरेदार सो गए, कारागार के दरवाजे खुल गए.

Also Read: Janmashtami 2023: जन्माष्टमी व्रत आज, ब्रज नगरी में कल जन्मेंगे कान्हा, जानें पूजा विधि-शुभ मुहूर्त की जानकारी
कान्हा चले गोकुलधाम

आकाशवाणी सुनते ही वासुदेव के हाथों की हथकड़ी खुल गई. वासुदेव जी ने सूप में बाल गोपाल को रखकर सिर पर रख लिया और गोकुल की ओर चल पड़े. वासुदेव भगवान कृष्ण को लेकर नंद जी के यहां सकुशल पहुंच गए और वहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आ गए. जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म की सूचना मिली. वह तत्काल कारागार में आया और उस कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटकना चाहा, लेकिन वह कन्या उसके हाथ से निकल कर आसमान में चली गई. फिर कन्या ने कहा- ‘हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है. वह कन्या कोई और नहीं, स्वयं योग माया थीं.

Also Read: Janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को क्यों लगाया जाता है 56 भोग, जानें ये होते हैं छप्पन आहार
श्रीकृष्ण ने राजा उग्रसेन को फिर सौंप दी मथुरा की राजगद्दी

बाबा नंद और उनकी पत्नी मां यशोदा ने कृष्णजी का पालन-पोषण किया. राजा कंस ने कृष्णजी का पता लगाकर उन्हें मारने की खूब कोशिश की. लेकिन कंस की सारी कोशिशें विफल हुई और कृष्णजी को कोई मार नहीं सका. अंत में श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया. राजा उग्रसेन को फिर मथुरा की राजगद्दी सौंप दी. इस तरह से जन्माष्टमी की व्रत कथा पूरी हुई.

Also Read: Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कान्हा को लगाए इन चीजों का भोग, सभी कष्ट होने लगेंगे दूर
जन्माष्टमी का महत्व

भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से संपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति होती है. इस दिन विधिपूर्वक यशोदा नदंन की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. वहीं जिन दंपतियों की संतान की चाह है, उन्हें जन्माष्टमी की दिन लड्डू गोपाल की उपासना करना चाहिए. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस वर्ष विशेष ग्रह नक्षत्र में होने की वजह से जन्माष्टमी को काफी शुभ माना जा रहा है. साधना करने के लिये श्रीकृष्ण के भक्तों के लिये यह बहुत महत्वपूर्ण समय है. वैसे तो हर जन्माष्टमी शुभ होती है और श्रीकृष्ण भक्तों के सारे दुख हर लेते हैं. लेकिन अगर आप विशेष काल और नक्षत्र में भजन कीर्तन के साथ श्रीकृष्ण कथा और लीला अमृत का पाठ करते हैं तो इससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें