Krishna Janmashtami 2020: देश में कोरोना वायरस (Corona virus) के कारण सभी त्योहार फीका पड़ता नजर आ रहा है. सावन के बाद अब भादो के भी सभी त्योहार कोरोना के भेंट चढ़ने जा रहा है. भादो में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बहुत धूमधाम से मनायी जाती है. मथुरा का सबसे प्रमुख श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव भी कोरोना के कारण धूमधाम से नहीं मनाया जा सकेंगा. 12 अगस्त को श्रीकृष्ण की जन्मभूमि में जन्मोत्सव का जश्न में इस बार देश-विदेश से आने वाले उनके असंख्य श्रद्धालु शरीक नहीं हो पाएंगे. यहां तक कि ब्रजवासियों को भी जन्मोत्सव की लाइव झलक ही देखने को मिल पाएगी. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस बार उस समय मनाया जाएगा, जब (Corona virus) कोरोना अपने चरम पर होगा. श्रीकृष्ण जन्मस्थान के साथ-साथ भारत के विख्यात द्वारिकाधीश व ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के पट भी बंद रहेंगे.
संस्थान के सचिव कपिल शर्मा के अनुसार जन्मस्थान के मंच पर इस बार लीला नहीं होगी, जबकि पुष्पांजलि समारोह भी भागवत भवन में ही करने की तैयारी है. इस बार आम भक्त मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे. भागवत भवन व गर्भगृह में ठाकुरजी का जलाभिषेक किया जाएगा और दूसरे दिन नंदोत्सव की धूम मचेगी. भक्तों को जन्मोत्सव का लाइव दर्शन कराने का इंतजाम किए जा रहे हैं.
उधर, द्वारिकाधीश मंदिर में भी कोरोना वायरस के कारण भक्तों को लाइव दर्शन कराने की प्लानिंग की जा रही है. वहीं, वृंदावन का ठाकुर बांके बिहारी मंदिर 30 सितंबर तक आम भक्तों के लिए बंद है, 29 जुलाई को प्रशासन की मंदिर प्रबंधकों के साथ हुई बैठक में भी 11 अगस्त को ही मंदिरों के पट दो दिन के लिए बंद करने की बात हुई थी, इसे लेकर प्रशासन भी एक-दो दिन में अपना रुख स्पष्ट करेगा. वहीं, प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार जन्माष्टमी पर ब्रज के मंदिरों में आमभक्त इस बार जन्मोत्सव के दर्शन नहीं कर सकेंगे.
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दूसरे दिन होने वाले नंदोत्सव पर भी कोरोना का ग्रहण लग सकता है. यहां जन्माष्टमी पर हर साल शहर में तीन सौ से अधिक भंडारे लगते हैं. नंदोत्सव का मुख्य आयोजन यमुनापार स्थित कस्बा गोकुल में होता है. यहां नंदभवन से ठाकुरजी की पालकी समूचे गोकुल में भ्रमण करती है, जबकि नंदचौक पर मुख्य आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों का रेला उमड़ता है.
सभी त्योहारों पर कोरोना का ग्रहण लगने से तीर्थ पुरोहितों के साथ-साथ कारोबारियों की कमर पूरी तरह टूट गयी है. ब्रज चौरासी कोस की यात्रा आयोजन भी इस बार नहीं हो सका है. अगस्त से लेकर भादो में लगने वाले सभी त्योहारों पर निर्भर रहने वाले पुरोहित और कारोबारियों की मुश्किले बढ़ गई है. इस महीने में पड़ने वाले त्योहार मथुरा-वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, महावन, बलदेव, नंदगांव-बरसाना जैसे तीर्थस्थलों के वाशिंदों को खून के आंसू रुलाने वाले साबित हुए हैं. पंडा-पुरोहित, मूर्ति-श्रृंगार, खानपान के कारोबार से रोजी-रोटी कमाने वालों का बुरा हाल है.
News posted by : Radheshyam kushwaha