Krishna Janmashtami 2020 : गढ़वा : आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी है, लेकिन कोरोना संकट के कारण पहले की तरह चहल-पहल नहीं दिख रही है. सिर्फ पुजारियों द्वारा मंदिरों में विधिवत पूजा की जा रही है. श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है. इस बीच आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गढ़वा जिले के नगर ऊंटारी के बंशीधर मंदिर में भगवान कृष्ण की सोने की मूर्ति दुनिया की सबसे कीमती कृष्ण प्रतिमा मानी जाती है. बताया जाता है कि ये मूर्ति 1280 किलो सोने से बनी हुई है. आज इसकी कीमत 700 करोड़ से भी अधिक है. भगवान कृष्ण की सोने की ये मूर्ति साढ़े चार फीट की है.
1280 किलो सोने की कृष्ण जी मूर्ति के साथ राधा जी की भी प्रतिमा है, जो अष्ट धातु की बनी हुई है. इसका वजन करीब 120 किलो बताया जाता है. ये भी काफी कीमती है. वर्ष 2018 में सरकार ने श्री बंशीधर जी के मंदिर की लोकप्रियता को देखते हुए शहर का नाम नगर ऊंटारी से बदलकर श्री बंशीधर नगर कर दिया है. बंशीधर मंदिर में हर वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार भीड़ नहीं है.
बताया जाता है कि मुगल सम्राट औरंगजेब की बेटी जैबुन्निसा श्रीकृष्ण की भक्त थीं. उस समय मुगलों का खजाना कलकत्ता से दिल्ली ले जाया जाता था. नगर ऊंटारी क्षेत्र में शिवाजी के सरदार रुद्र शाह और बहियार शाह रहा करते थे. यहां से मुगलों का जो भी खजाना जाता था, उसे शिवाजी के सरदार लूट लिया करते थे. मुगलों ने बंशीधर भगवान की मूर्ति किसी मंदिर से लूटी थी. ऐसी मान्यता है कि जैबुन्निसा ने ही श्रीकृष्ण की ये मूर्ति शिवाजी के सरदारों तक पहुंचाई थी.
कहा जाता है कि शिवाजी के सरदारों ने मुगलों से बचाने के लिए कृष्ण जी की मूर्ति नगर ऊंटारी से 22 किमी दूर पश्चिम में एक पहाड़ी में छिपा दी थी. जानकारों द्वारा मूर्ति दक्षिण स्थापत्य शैली की बतायी जाती है. यहां के राजघराने के युवराज और मंदिर समिति के प्रधान ट्रस्टी राजेश प्रताप देव के अनुसार राजा भवानी सिंह देव की मृत्यु के बाद उनकी रानी शिवमानी कुंवर राजकाज का संचालन कर रही थीं. उन्होंने 14 अगस्त 1827 की जन्माष्टमी पर व्रत किया था. उस समय राजमाता को सपने में भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन हुआ था.
श्रीकृष्ण ने रानी से वर मांगने को कहा तो उन्होंने भगवान से सदैव कृपा बनाये रखने का वरदान मांगा था. तभी भगवान श्री कृष्ण ने रानी से कनहर नदी के किनारे यूपी के महुरिया के निकट शिव पहाड़ी पर अपनी प्रतिमा के गड़े होने की जानकारी दी. इसके बाद वहां खुदाई की तो सोने की श्रीकृष्ण की प्रतिमा मिली थी.
इसके बाद वाराणसी से राधा रानी की अष्टधातु की प्रतिमा मंगाकर श्रीकृष्ण के साथ 21 जनवरी 1828 को प्रतिमा स्थापित की गयी. खुदाई में मिली बंशी-वादन करती हुई प्रतिमा का वजन 32 मन यानी 1280 किलो है. पूरा मंदिर करीब साढ़े तीन एकड़ में है. मंदिर की ऊंचाई करीब 50 फीट है. राज्य सरकार की ओर मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. यहां 24 घंटे गार्ड्स तैनात रहते हैं. मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं.
भगवान श्रीकृष्ण की इस मूर्ति में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का स्वरूप है. श्री बंशीधरजी भगवान शिव की तरह जटाधारी हैं. विष्णुजी की तरह शेषनाग की शैय्या पर कमल के पुष्प पर विराजमाम हैं. कमल के पुष्प पर ब्रह्माजी विराजते हैं. इस तरह इस मूर्ति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश के दर्शन होते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra