Krishna Janmashtami 2023 के मौके पर घूमें मथुरा-वृंदावन की इन गलियों में, यहां के फेमस फूड्स का भी लें स्वाद

Krishna Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) मथुरा में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. चलिए जानते हैं जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा-वृंदावन में घूमने के लिए बेस्ट जगहें और खाने के लिए फेमस फूड्स.

By Shweta Pandey | September 6, 2023 5:38 PM

Krishna Janmashtami 2023: मथुरा, भारत में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थल है और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) यहां पर एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार होता है. यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इसे धूमधाम से मनाने के लिए विशेष तौर पर मथुरा में आयोजित किया जाता है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दौरान लोग जन्मभूमि मथुरा में महाभाग्यपूर्ण महकुंभ गहने के रूप में गंगा नदी के घाटों में स्नान करते हैं और श्रीकृष्ण के मंदिरों में दर्शन करते हैं. भगवान के मंदिरों में आरती, भजन-कीर्तन और पूजा का आयोजन होता है.

इस दिन, भगवान श्रीकृष्ण की जीवनी की कथाएं और लीलाएं पढ़ी जाती हैं और भक्तों के बीच भगवान के लीलाओं के गाने गाए जाते हैं. विशेष रूप से, बच्चे श्रीकृष्ण की छवि के साथ झूला जोलते हैं, जिसे “श्रीकृष्ण की लाला” कहा जाता है. चलिए जानते हैं जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा-वृंदावन में घूमने के लिए बेस्ट जगहें और खाने के लिए फेमस फूड्स.

मथुरा में घूमने के लिए जगह

कृष्ण जन्मभूमि

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा में स्थित है और यह भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध है. मथुरा शहर, जो यमुना नदी के किनारे स्थित है, श्रीकृष्ण का जन्म स्थल है जो हिन्दू धर्म के अनुसार विशेष महत्व रखता है. श्रीकृष्ण का जन्म श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा में मनाया जाता है. इस दिन हिन्दू भक्त उनके जन्मस्थल पर आते हैं और उनके मंदिरों में पूजा करते हैं.

कंस किला

कंस किला (Kansa Fort) मथुरा शहर में स्थित है और यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. यह किला उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित है और यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है. कंस किला का निर्माण मुग़ल साम्राज्य के शासक बाबर के नवाब सादिक के प्राचीन शासक संबंध में किया गया था, और इसका उद्घाटन 16वीं सदी में हुआ था. यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है.

गोवर्धन पर्वत

गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) मथुरा में स्थित है. इस पर्वत का नाम भगवान कृष्ण की एक प्रसिद्ध लीला के संदर्भ में रखा गया है, जिसे “गोवर्धन पूजा” या “गोवर्धन पूजन” कहा जाता है. गोवर्धन पर्वत की महत्वपूर्ण कथा श्रीमद् भागवत पुराण में मिलती है. इस कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने गोकुल के वासिनों को अपने संरक्षण में लेने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने छोटी उंगली पर उठाया था.

कुसुम सरोवर

कुसुम सरोवर (Kusum Sarovar) मथुरा जिले में स्थित है. कुसुम सरोवर का नाम संस्कृत में “कुसुम” यानी “फूल” और “सरोवर” यानी “सागर” से है, जिसका अर्थ होता है “फूलों का सागर”. बता दें यह गोवर्धन पर्वत के पास स्थित है. इस सरोवर के चारों ओर बगीचे हैं और यह बगीचे भगवान कृष्ण की गोपियों (गोपिकाओं) के नामों से जाने जाते हैं, जैसे कि कृष्णा कुंद, राधा कुंद, लालिता कुंद इत्यादि.

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मथुरा का मशहूर फूड

मथुरा के पेड़े

मथुरा के पेड़े एक प्रसिद्ध मिठाई हैं. यहां के पेड़े को ताजगी और विशेष खुशबू के लिए प्रसिद्ध होने के लिए जाना जाता है. इन्हें खोया (मावा), चीनी और घी के साथ बनाया जाता है जो इन्हें मुलायम और स्वादिष्ट बनाता है. पेड़े को चावल के आटे से गोल करके बनाया जाता है और उसमें खोया, चीनी और घी मिलाकर बनाया जाता है.ये मिठाई भगवान श्री कृष्ण को र प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. मथुरा के पेड़े आने वाले पर्यटकों को खास पसंद है.

डुबकी वाले आलू

मथुरा में “डुबकी वाले आलू” एक प्रसिद्ध स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे खासतौर से धार्मिक त्योहारों और विशेष अवसरों पर बनाया जाता है. यह एक टिकी वाला आलू डिश है जिसमें आलू के टुकड़े भूने जाते हैं और उन्हें मसालों और तेल में तला जाता है. डुबकी वाले आलू को तेज मसाले और चटपटा बनाने के लिए भूने गरम मसाले जैसे लाल मिर्च, अजवाइन, हरी मिर्च, हल्दी, अमचूर, नमक आदि का उपयोग किया जाता है. इसके बाद इन आलू टुकड़ों को तेल में डुबोकर तला जाता है. डुबकी वाले आलू को मथुरा में प्रसाद के रूप में भी खाया जाता है और इसे धार्मिक उत्सवों और विशेष अवसरों पर पूजा के बाद भोजन में भी सर्व किया जाता है. यह एक प्रसिद्ध मथुरा की विरासत है जो खासतौर पर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है.

हींग वाली कचौड़ी

मथुरा में “हींग वाली कचौड़ी” बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है. यह भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन और अन्य धार्मिक त्योहारों में बनती है. हींग वाली कचौड़ी को हींग (असाफोटिदा) के साथ बनाया जाता है, जो इसे खट्टा-मीठा और खुशबूदार बनाता है. इसे आटे में तेल और हींग को मिलाकर गोल कचौड़ी बनाई जाती है और इसके भीतर खोया और मिठा मसाला डाला जाता है. इसे घी में तला जाता है और दही के साथ परोसा जाता है. स्थानीय लोगों में यह डिश काफी फेमस है.

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