Photos : दुर्गापूजा की भव्य तैयारी में कुम्हारटोली में व्यस्त हुए मूर्तिकार

मूर्तियों के अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने में लगभग 60-90 दिनों का समय लगता है. वहीं कुछ फ्लाइट से भी भेजी जाती है. इस बार कुम्हारटोली से न्यूयार्क, लंदन, फ्रांस, जर्मनी, सउदी अरब, कतर, यूके, सिंगापुर, बेल्जियम समेत कई देशों में भेजी गयी है.

By Shinki Singh | September 1, 2023 4:30 PM
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पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा विश्वप्रसिद्ध है. दुनिया के हर कोने से लोग यहां आते हैं. हर साल लोगों को इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. पूजा का आयोजन करने वाली संस्थाओं ने चार महीने पहले ही कारीगरों को मूर्तियां, पंडाल बनाने का कार्य देना शुरु कर देते है.

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मूर्तिकारों का मठ कहे जाने वाला कोलकाता का प्रसिद्ध कुम्हारटोली, जो करीब पांच एकड़ जमीन में फैला हुआ है. शोभा बाजार से महज पांच मिनट पैदल चलते ही कुम्हारटोली की संकरी गलियां शुरू हो जाती हैं. उन रास्तों में घुसते ही चारों ओर मां दुर्गा की मूर्तियां बनाते कलाकार दिखते हैं.

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कुम्हारटोली के मशहूर मूर्तिकार मिंटु पाल का कहना है कि कुम्हारटोली का कारोबार पिछले साल की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत बढ़ा है. एक-दो लाख से लेकर पांच लाख-दस लाख तक की मूर्तियों का ऑर्डर विदेशों से आया है.

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विदेशों में भेजी जानेवाली मूर्तियों के काम में जनवरी से ही कारीगर लग जाते हैं. कुम्हारटोली के मूर्तिकारों ने बताया कि इस बार अमेरिका से सबसे ज्यादा मूर्ति के ऑर्डर मिले हैं. 40 दुर्गा प्रतिमा भेजी भी जा चुकी है.

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इन्हीं कलाकारों की सुंदर कलाकृतियां विदेशों तक जाती है. कुम्हारटोली में छोटे-बड़े मूर्तिकारों की दुकानों की संख्या करीब 300 हैं. करीब 600 मूर्तिकार इससे जुड़े हैं. वहीं करीगरों की संख्या लगभग 3000 के करीब है.

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मूर्तिकारों का कहना है कि यहां 12 महीने ही हर तरह की मूर्तियां तैयार की जाती है लेकिन खासकर दुर्गापूजा के अवसर पर मां दुर्गा से जुड़ी प्रतिमाओं की मांग अधिक रहती है.

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कुम्हारटोली में लगभग 100 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. इस वर्ष कारोबार का आंकड़ा बढ़ा है. विदेशों में जो मूर्तियां भेजी जाती हैं, वह उनका आकार दो ढ़ाई फीट से लेकर 10-12 फीट के बीच होता है.

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कुम्हारटोली के एक कारीगर ने बताया कि हर वर्ष मध्यम आकार में चार मूर्तियों और महिषासुर के साथ मां दुर्गा के मूर्ति की कीमत लगभग 1 लाख रुपये से 1.3 लाख रुपये होती है जो इस वर्ष बढ़कर 1.8 लाख रुपये से ऊपर तक जा सकती है. इस साल कीमत 20% से 25% तक बढ़ने की उम्मीद है.

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इनकी कीमत एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक होती है. वहीं मूर्तिकार बबलू पाल ने कहा कि उनके यहां से एक मूर्ति जो ढ़ाई फीट की है, वह आज-कल में ही अमेरिका जायेगी, जो मिट्टी की बनी है.

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मूर्तियों के अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने में लगभग 60-90 दिनों का समय लगता है. वहीं कुछ फ्लाइट से भी भेजी जाती है. इस बार कुम्हारटोली से न्यूयार्क, लंदन, फ्रांस, जर्मनी, सउदी अरब, कतर, यूके, सिंगापुर, बेल्जियम समेत कई देशों में भेजी गयी है, जिनमें सबसे अधिक अमेरिका में भेजी गयी है, अब तक 40 के करीब भेजी जा चुकी है.

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पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अमेरिका में आठ से नौ मूर्ति अधिक गयी है. अभी ऑर्डर भी आ रहे हैं. विदेशों में भेजी जानेवाली मूर्तियों में सबसे अधिक वजन 50 से 55 किलो की मूर्ति का है.

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आमतौर पर मूर्तियों को अप्रैल-मई के मध्य से अगस्त-सितंबर तक फ्लाइट व जहाजों से भेज दिये जाते हैं, हालांकि जहाज से मूर्तियों के अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचने में लगभग 60-90 दिनों का तक का समय लग जाता है, इसलिए काफी पहले भेज दिये जाते हैं.

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