साहिबगंज से सूरज ठाकुर : भारत-चीन सीमा पर झारखंड के संथाल परगना स्थित साहिबगंज जिला के कुंदन ओझा ने बिहार रेजिमेंट की शौर्य गाथा में एक और अध्याय जोड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शहीदों की शहादत का बदला लेने के लिए अलग ढंग से सोचना चाहिए. यह कहना है साहिबगंज के शहीद जवान के गांव के लोगों का.
बुधवार को कुंदन के करीबी ने कहा कि चीन ने हमारे जवानों पर घात किया है. लद्दाख में भारत-चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित गलवान घाटी में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने जिस बहादुरी के साथ चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया, वह ऐतिहासिक है. युवक ने जोर देकर कहा कि बिहार रेजिमेंट ने हमेशा शौर्य की गाथा लिखी है. हमारे गांव के कुंदन ने इसमें एक नया अध्याय जोड़ा है.
गांव के युवाओं ने देश के राजनीतिक नेतृत्व से अपील की कि सेना को एक मौका दें, ताकि वे इतिहास लिख सकें. भारत की सैन्य शक्ति से पूरा विश्व परिचित है. हमारे जवानों को एक बार चीन के दांत खट्टे करने का अवसर भी उन्हें मिलना चाहिए. वहीं, बुजुर्गों ने कहा कि सरकार को चाहिए कि शहीदों के परिजनों के लिए इतना इंतजाम कर दे, ताकि हर कोई अपने बेटे को सेना में भेजने के बारे में सोचे.
कुंदन के गांव एक बुजुर्ग ने कहा कि बचपन से ही उसमें देशभक्ति का जज्बा था. देश की सेवा के लिए वह सेना में भर्ती हुआ. उसका परिवार बेहद गरीब था. किसान पिता ने काफी कष्ट से और मेहनत करके बेटे को पढ़ाया-लिखाया. कुंदन ने भी देश पर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. इससे पूरे गांव को उस पर गर्व है.
उन्होंने कहा कि पूरा देश उसके बलिदान को नमन करता है. उसकी शहादत को सलाम करता है. हम चाहते हैं कि ऐसे ही लाल हमारे गांव में पैदा होते रहें, जो जिला, राज्य और देश का नाम रोशन करें. उन्होंने कहा कि सरकार को भी परिवार की मदद करनी चाहिए, ताकि लोग सेना में बच्चों को भेजने के लिए प्रेरित हों. उन्होंने कहा कि कुंदन समाज का होनहार लड़का था. गांव का सौभाग्य है कि वह देश के लिए शहीद हुआ. सरकार उसके परिवार के लिए इतनी व्यवस्था कर दे, ताकि उन्हें कोई तकलीफ न हो.
Also Read: 18 जून को लद्दाख से झारखंड पहुंचेगा गलवान घाटी में शहीद हुए 2 जवानों का पार्थिव देह
Posted By : Mithilesh Jha