Kurmi Protest: झारखंड में कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन 5वें दिन समाप्त, अनूप महतो ने कही ये बात
आंदोलनकारी अनूप महतो ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शनिवार को पश्चिम बंगाल के बीसीडब्ल्यू के सचिव संजय बंसल और पुरुलिया, पश्चिमी मेदिनीपुर और झाड़ग्राम जिले के डीएम और एसपी के साथ नेताओं की कॉन्फ्रेंस में बातचीत हुई है. संतोषजनक जवाब मिला है. दुर्गा पूजा को देखते हुए आंदोलन वापस लिया गया है.
Kurmi Protest: कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने समेत अन्य मांगों को लेकर कुड़मी/ कुरमी मोर्चा के बैनर तले पिछले पांच दिनों से खेमाशुली व पुरुलिया के कुस्तार में चले आ रहे रेल रोको आंदोलन को शनिवार को समाप्त कर दिया गया है. कुड़मी नेता अनूप महतो ने पांचवें दिन दोपहर करीब 1 बजे पुरुलिया के कुस्तार से आंदोलन वापस लेने की घोषणा की. शाम 4 बजे रेलवे ट्रैक व सड़क को लोधासुली में जाम मुक्त कर दिया गया. अनूप महतो ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दुर्गा पूजा को देखते हुए जनहित में इस आंदोलन को वापस लिया गया है. इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी लड़ाई खत्म हो गयी है.
जनहित में कुड़मी आंदोलन को लिया वापस
आंदोलनकारी अनूप महतो ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शनिवार को पश्चिम बंगाल के बीसीडब्ल्यू के सचिव संजय बंसल और पुरुलिया, पश्चिमी मेदिनीपुर और झाड़ग्राम जिले के डीएम और एसपी के साथ नेताओं की कॉन्फ्रेंस में बातचीत हुई है. इस बातचीत में संतोषजनक जवाब मिला है. बताया जा रहा है कि इस बातचीत में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल थीं. इन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा को देखते हुए जनहित में इस आंदोलन को वापस लिया गया है. इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी लड़ाई खत्म हो गयी है. केंद्र सरकार ने इन मांगों को पूरा नहीं किया तो फिर आंदोलन होगा. इस रोल रोको आंदोलन में कुड़मी समाज ने अपनी शक्ति का एहसास करा दिया है.
दो गुट में बंटा कुड़मी समाज का आंदोलन
सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में कुरमी समाज दो गुट में बंट गया है. लोधासुली में अनूप महतो व खेमाशूली में राजेश महतो के नेतृत्व में कुड़मी समाज के लोगों ने जाम लगाया था, लेकिन शनिवार को वार्ता के बाद कुड़मी समाज दो गुटों में विभक्त हो जाने के बाद शाम 4 बजे लोधाशूली में जाम हटा दिया गया, लेकिन खेमासूली में अभी तक जाम नहीं हटाया गया है. बहरागोड़ा के कुड़मी समाज के कलन महतो ने कहा कि कुड़मी समाज लगातार एक सौ बीस घंटे तक रेल पथ एवं राष्ट्रीय उच्च पथ को बाधित किया था. वे कुड़मी को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर भूखे-प्यासे आंदोलित थे. अब तक सरकार चैन की नींद सो रही है. अब तक शांतिपूर्ण आंदोलन चला. अब आंदोलन उग्र होने की दिशा में जा रहा है. सरकार अविलंब निर्णय ले, वर्ना सरकार इसके लिए जिम्मेदार होगी.
रिपोर्ट : मो परवेज व गौरव पाल, पूर्वी सिंहभूम