कोडरमा, विकास : कोडरमा जिले में कल्याण विभाग की लापरवाही से लाखों रुपये का सामान वर्षों से परियोजना बालिका उच्च विद्यालय परिसर में संचालित कस्तूरबा बालिका विद्यालय भवन के कमरों में रखा रह गया. अब खेल-खेल में ये सामग्री यहां होने का पता चला है तो जिला प्रशासन ने इसके उपयोग को लेकर कवायद शुरू की है. गनीमत है कि अधिकतर सामग्री उपयोग के लायक अच्छी स्थिति में है़ पूरे मामले को लेकर डीसी आदित्य रंजन ने भवन के कमरों के अंदर रखे सामान का भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट तलब की है. इसके बाद जिला नजारत उप समाहर्ता व जिला कल्याण पदाधिकारी ने संयुक्त रूप से भौतिक सत्यापन रिपोर्ट डीसी को सौंप दी है.
सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर आकलन किया जा रहा है कि करीब 21 वर्षों से बेकार रखे इन सामग्री की कीमत लगभग 50 लाख रुपये है. डीसी ने इस मामले में विस्तृत जानकारी के लिए कल्याण विभाग से रिपोर्ट तलब की है. हालांकि, अब पता चल रहा है कि विभाग के पास इससे संंबंधित कोई संचिका उपलब्ध नहीं है यानी गायब है़ इस बीच मिले सामग्री का उपयोग करने को लेकर जिला प्रशासन ने पहल शुरू की है. जानकारी के अनुसार परियोजना बालिका उच्च विद्यालय कोडरमा के परिसर में पूर्व में बने अनुसूचित जनजाति छात्रावास में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय का संचालन किया जा रहा था. वर्षों से यहां संचालित इस विद्यालय को हाल ही में डीसी रंजन की पहल पर अपने भवन लोकाई में शिफ्ट किया गया है.
वर्तमान में परियोजना बालिका में प्रोजेक्ट इम्पैक्ट के तहत बच्चों को बेहतर तरीके से परीक्षाओं के लिए तैयार करने को लेकर चयनीत शिक्षकों का प्रशिक्षण चल रहा है़ प्रशिक्षण के दौरान ही शिक्षकों के बीच ट्रेजर हंट गेम करवाया जा रहा था. बताया जाता है कि इसी गेम को खेलने के क्रम में एक शिक्षक व कर्मी की नजर उस कमरे में पड़ी जहां लाखों रुपये का सामान पडा था. इसके बाद पूरे मामले से डीसी को अवगत कराया गया. डीसी के आदेश पर जब कमरों को खोल कर देखा गया कि तो यहां भारी मात्रा में बेड, गद्दा, बर्तन, कुर्सी के अलावा एक ऑटो भी रखा पड़ा मिला.
सामग्री पर लिखा था जिला कल्याण कार्यालय, खरीदी का वर्ष 2002 इससे पता चला कि यह सामग्री कल्याण विभाग का है. यही नहीं कुछ सामग्री जिला समाज कल्याण कार्यालय की भी पडी मिली जिसकी स्थिति अच्छी नहीं है. इसके बाद डीसी ने कल्याण विभाग से जानकारी मांगी तो इससे संबंधित कोई संचिका ही उपलब्ध नहीं मिली. ऐसे में मामले को गंभीरता से लेते हुए डीसी ने सामग्री का भौतिक सत्यापन करा अब इसे सभी चार कस्तूरबा विद्यालयों व दो झारखंड आवासीय विद्यालयों में वितरण करने को लेकर योजना तैयार की है.
Also Read: DPS बोकारो के प्राचार्य डॉ. AS गंगवार को मिला राष्ट्रीय अवार्ड, झारखंड से सम्मान पाने वाले एकमात्र अध्यापक
जिला प्रशासन यहां मिले लाखों रुपये की सामग्री का वितरण बहुत जल्द जरूरत के अनुसार चार कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय व दो झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में करेगा़ इसके लिए किस विद्यालय में किस सामग्री की कमी है उसकी रिपोर्ट मांगी गई है़ इससे पहले चंदवारा व डोमचांच में झारखंड बालिका आवसीय विद्यालयों का संचालन पूरी तरह शुरू करने के लिए 15-15 लाख की राशि दी जा चुकी है़ संभवत: फरवरी माह से ही झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों का संचालन शुरू होगा़ इससे कस्तूरबा विद्यालयों में वर्तमान में परेशानियों के बीच भारी संख्या में पढ रही बच्चियों को भी राहत मिलेगी.
जिले में विभागीय लापरवाही की वजह से सामग्री यूं ही पडे रहने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी जांच के क्रम में पूरे जिले में सरकार की ओर से मिली करीब दो हजार साइकिलें यूं ही बेकार पडे होने की जानकारी सामने आई है. डीसी ने इन साइकिलों की मरम्मत करा पुन: वितरण की योजना तैयार की है, पर मामला अभी राज्य स्तर पर लटका हुआ है. इस बीच हजारों साइकिल इसी तरह पडे रहने के मामले में विभागीय लापरवाही मानते हुए डीसी ने तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी के विरुद्व कार्रवाई की अनुशंसा विभाग से की है.
-
लोहा बेड : 254
-
स्टडी टेबल : 270
-
प्लास्टिक कुर्सी : 684
-
गद्दा : 222
-
डेग : 22
-
अल्मुनियम ड्राम : 19
-
लोहा बाल्टी : 50
-
डाइनिंग टेबल फाइबर : 15
-
लोहा कडाही : 05
-
स्टील प्लेट : 250
-
स्टील जग : 250
-
स्टील कटोरी : 100
-
ऑटो : 01
-
लोहा का कलछूल : 10
-
रोटी चौका लोहा : 05
-
मच्छरदानी : 100
शिक्षकों के बीच हो रहे ट्रेजर हंट गेम के क्रम में भवन के अंदर कमरों में रखे सामग्री का पता चला. सामग्री कल्याण विभाग की है, पर उसकी संचिका उपलब्ध नहीं है. जिला नजारत उप समाहर्ता व जिला कल्याण पदाधिकारी ने संयुक्त रूप से भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट दी है कि सभी सामान अच्छी स्थिति में है. ऐसे में इसका समुचित उपयोग हो इसके लिए पहल की जा रही है.
-आदित्य रंजन, उपायुक्त कोडरमा