Jharkhand News: धनबाद अंतर्गत सिजुआ स्थित डेंजर जोन के रूप चिह्नित तेतुलमुढी 22/12 बस्ती में जोरदार आवाज के साथ भू-धंसान हो गया. जिससे यहां रह रहे मो वाजिद अंसारी के लाखों की संपत्ति इस गाेह में जमींदोज हो गया. यह घटना तब घटित हुई जब रात को कार्यस्थल में ताला बंदकर सभी मिस्त्री एवं मजदूर अपने-अपने घर चले गये थे. वर्ना जानमाल की अधिक क्षति का होना तय माना जा रहा था. भू-धंसान की इस घटना के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया. सूचना पाकर मौके पर पहुंचे मोदीडीह कोलियरी प्रबंधन ने गोह स्थल का निरीक्षण करने के बाद सुरक्षा की दृष्टिकोण से इस स्थल को अस्थायी रूप से तार द्धारा इसकी घेराबंदी करा दिया गया.
कैसी घटी घटना
मोदीडीह कोलियरी अंतर्गत तेतुलमुढी 22/12 बस्ती में शनिवार की मध्य रात को अचानक जोरदार आवाज के साथ मो वाजिद अंसारी के वर्कशॉप के सटे दीवार के समीप गोह हो गया. गोह की चपेट में वर्कशॉप का पिछला हिस्सा आ गया. जिससे यहां रखा हुआ एक बाइक समेत बिजली मरम्मती के कई उपकरण धरती में समा गया. बताया जाता है कि बस्ती के सभी लोग रात में अपने-अपने घर में सो रहे थे. इसी क्रम में जोरदार आवाज सुनकर सभी की नींद खुली. किसी अनहोनी की आशंका से सभी लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल गये. रात में अंधेरा होने के कारण किसी को कुछ समझ में नही आ रहा था कि क्या घटना घटित हुआ. इसी बीच वर्कशॉप का दीवार गिरने की एक बार आवाज लोगो को सुनाई पड़ी. आनन-फानन में जब लोग वाजिद के वर्कशॉप की ओर गये, तो वहां का नाजारा देखकर सभी अचंभित रह गये. वर्कशॉप के पिछले हिस्से का भाग गोह में समाया हुआ था. साथ ही वर्कशॉप में रखे हुए पुराने बाइक और बिजली मरम्मती के उपयोग में आने वाले कई उपकरण जमींदोज हो गय. जबकि बस्ती के ही मो इस्तियाक अंसारी के घर में भी दरारें पड़ गयी. इस घटना के बाद से लोगो में दहशत का माहौल बन गया है. घटना की लोगों ने आनन-फानन में सूचना मोदीडीह प्रबंधन को दिये. इस मामले में पीड़ित मो वाजिद अंसारी ने जोगता थाना में लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है.
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मंदिर, मस्जिद और विद्यालय का अब तक मिट गया नामोनिशान
तेतुलमुढी 22/12 बस्ती में जमीन के नीचे धधकती आग की लपेट में अब तक मंदिर, मस्जिद और स्कूल आ चुकी है. यहां के पौराणिक काली मंदिर को आग और गैस ने इसे अपनी चपेट में इस कदर जकड़ा कि आज यहां काली मंदिर का नामोनिशान तक नहीं बचा है. वहीं, छोटी मस्जिद भू-धंसान की चपेट में आने से इसका अस्तित्व खो दिया. जबकि इलाके का एकमात्र उर्दू प्राथमिक विद्यालय में दरार पड़ने के बाद साल 2012 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक के निर्देश पर अनहोनी की आशंका को देखते हुए इस स्कूल को बंद कर दिया गया.