17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एशिया के सबसे बड़े कोल प्रोजेक्ट मगध में फिर उत्पादन ठप, 30 हजार टन कोयला का खनन प्रभावित

मगध प्रबंधन ने परियोजना को शुरू करने की कोशिशें की, लेकिन जीएम और प्रोजेक्ट ऑफिसर की बैठक में ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि कंपनी जमीन का सत्यापन करवाये. प्रशासन के रवैये की वजह से उन्हें इसमें परेशानियां झेलनी पड़ती है. कंपनी जमीन का सत्यापन करवा दे, तो वे खदान के लिए जमीन देने को तैयार हैं.

Magadh Coal Project Latest News: एशिया की सबसे बड़ी कोल परियोजना मगध में फिर से उत्पादन ठप हो गया है. जमीन की समस्या की वजह से प्रोजेक्ट को अपना काम बंद करना पड़ा है. तीन दिन से प्रोजेक्ट पर ताला लटका है. चतरा जिला के टंडवा क्षेत्र में स्थित मगध कोल परियोजना को इन तीन दिनों में 1 करोड़ 20 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है. 30 हजार टन कोयला और 75 हजार क्यूबिक मीटर ओबी का उत्पादन प्रभावित हुआ है.

कंपनी जमीन का सत्यापन करवायें, रैयत जमीन देने को तैयार

हालांकि, मगध प्रबंधन ने परियोजना को शुरू करने की कोशिशें की, लेकिन जीएम और प्रोजेक्ट ऑफिसर की बैठक में ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि कंपनी जमीन का सत्यापन करवाये. प्रशासन के रवैये की वजह से उन्हें इसमें परेशानियां झेलनी पड़ती है. कंपनी जमीन का सत्यापन करवा दे, तो वे खदान के लिए जमीन देने को तैयार हैं.

Also Read: टंडवा के NTPC क्षेत्र में लगी आग, स्क्रैप जलकर हुई राख
कंपनी ने वाहनों को बालूमाथ शिफ्ट करना किया शुरू

जमीन की समस्या को देखते हुए खनन कंपनी ने भी अपने वाहनों को बालूमाथ शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. दो दर्जन से अधिक हाईवा को कंपनी ने बालूमाथ शिफ्ट कर दिया है. कंपनी जल्द मशीनों को भी शिफ्ट करने की योजना बना रही है. पिछले दो दिनों में रैयतों के साथ कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन रैयत अपनी मांग पर अडिग हैं.

सीसीएल ने 700 लोगों को दी सरकारी नौकरी: परियोजना पदाधिकारी

परियोजना पदाधिकारी नृपेंद्र नाथ का कहना है कि सीसीएल की तरफ से रैयतों को पूरा सहयोग किया जा रहा है. अब तक कंपनी द्वारा लगभग 700 से ज्यादा लोगों को सरकारी नौकरी दी गयी है. उन्होंने कहा कि जमीन सत्यापन का मामला सीसीएल के हाथ में नहीं है. उन्होंने रैयतों से सहयोग करने की अपील की, ताकि परियोजना बंद न हो.

टंडवा व बालूमाथ में 1900 एकड़ में होना है खनन

बता दें कि मगध कोल परियोजना का तीसरा चरण टंडवा व बालूमाथ के 1900 एकड़ में प्रस्तावित है. इसमें सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) द्वारा बालूमाथ में लगभग 150 व टंडवा में 110 एकड़ के करीब भूमि ही आउटसोर्सिंग कंपनी को उपलब्ध करायी गयी है. 1,900 एकड़ में मात्र 250-300 एकड़ जमीन मिलने से जमीन का अभाव हो रहा है.

बार-बार बंद हो जाती है परियोजना

परियोजना बंद होने के बाद प्रबंधन की रैयतों से बातचीत होती है. पांच-दस एकड़ जमीन पर सहमति बनाती है और बाद में फिर काम बंद हो जाता है. इससे पहले 2 सितंबर 2022 को परियोजना बंद हुई थी. काफी प्रयास के बाद देवलगड्डा के रैयतों ने कुछ जमीन दी, तो परियोजना का काम आगे बढ़ा. इसी जमीन पर खनन कार्य चल रहा था. कुछ रैयतों ने जमीन देने से इनकार कर दिया.

जब तक भूमि का सत्यापन नहीं, तब तक खनन बंद : बोले ग्रामीण

रैयतों का कहना है कि जब तक सरकारी बंदोबस्त भूमि का सत्यापन नहीं किया जायेगा, खनन बंद रहेगा. उधर, माइंस बंद होने से खनन कंपनी वीपीआर को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. कंपनी की 7 मशीनें व 26 हाईवा बैठ गयी है. काम बंद होने से खनन कंपनी को प्रतिदिन लगभग 40 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

8 साल में निकाला जाना है 224 मिलियन टन कोयला

कंपनी को तीसरे चरण में 1900 एकड़ क्षेत्र से 8 वर्षों में 224 मिलियन टन कोयला का उत्पादन करना है. कंपनी अब तक टंडवा क्षेत्र से लगभग 7 मिलियन टन कोयला व 60 लाख क्यूबिक मीटर ओबी का ही उत्पादन कर पायी है. खनन ठप होता है, तो कर्मचारियों की भी मुश्किलें बढ़ जाती हैं. की ओर से कंपनी नो वर्क नो पे का नोटिस चस्पा कर दिया है, जिससे 250 श्रमिक व 400 गार्ड के रोजगार पर संकट खड़ा हो रहा है.

रिपोर्ट- बरुण सिंह, टंडवा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें