सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने अपनी 92 साल की उम्र में हजारों गीतों को अपनी आवाज से सजाया. उन्होंने लगभग आठ दशक में हजारों गीत गाये, कुछ ऐसे गीत रहे जिनसे उनका गहरा जुड़ाव था. इन गानों का कई बार उन्होंने जिक्र भी किया.
लता मंगेशकर ने पीटीआई के साथ बातचीत में कहा था कि वह अब भी इस बात को याद करती हैं कि किस तरह दिग्गज गीतकार गुलजार के शब्द ”मेरी आवाज ही पहचान है”, संगीत की दुनिया में उनकी यात्रा को दर्शाते हैं क्योंकि उनके प्रशंसक उनकी आवाज से ही उनकी ”पहचान” को जोड़ते हैं.
ये शब्द वर्ष 1977 में आई फिल्म किनारा के गीत नाम गुम जाएगा के हैं. उन्होंने कहा था, मेरी आवाज ही पहचान है का मतलब है कि मेरी आवाज ही वास्तव में मेरी पहचान है. मंगेशकर ने कहा था, देश में हर व्यक्ति जानता है कि गुलजार साहब खूबसूरत लिखते हैं. वह बहुत खूबसूरत बोलते भी हैं. जब मैं यह गीत गा रही थी, वह मेरे पास आए और कहा, ‘मेरी आवाज ही पहचान है और ये है पहचान. और इसके बाद, मैंने भी यह कहना शुरू किया कि मेरी आवाज ही मेरी पहचान है. अब जो भी इस गीत को गाता है या मेरे बारे में लिखता है वह इन पंक्तियों को दोहराता है.
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लता मंगेशकर का रविवार सुबह मुंबई स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 92 वर्ष की थीं. अभिनेता अक्षय कुमार ने मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ”मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे… और ऐसी आवाज को कोई कैसे भूल सकता है. लता मंगेशकर जी के निधन से गहरा दुख हुआ, मेरी संवेदना और प्रार्थनाएं.