झारखंड राज्य की गिनती पिछड़े राज्यों में होती है. स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव है. खासकर ग्रामीण इलाकों में. सरकार ग्रामीण इलाकों में सरकारी अस्पतालों में दवाएं भेजती हैं, ताकि गरीब मरीजों को मुफ्त में दवा दी जा सके. लेकिन, ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी अस्पतालों में लापरवाही इस कदर व्याप्त है कि उन दवाओं का उचित इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
अरहर के खेत में फेंकी मिलीं दवाएं
ताजा मामला लातेहार जिला के मनिका प्रखंड में सामने आया है. सरकारी अस्पताल की दवाएं खेत में पड़ी मिलीं. प्रखंड मुख्यालय स्थित बालक मध्य विद्यालय की चहारदीवारी से सटे अरहर के खेत में सरकारी अस्पताल को आपूर्ति की गयी दवाएं फेंकी हुई मिलीं. उन पर झारखंड सरकार की नॉट फॉर सेल की मुहर लगी थी. अभी ये दवाएं एक्सपायर नहीं हुईं हैं. जून 2023 तक इन दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मी दवा उठाकर ले गये अस्पताल
दवाओं की एक्सपायरी डेट से पांच महीने पहले ही दवाओं को फेंक दिया गया. खेत में फेंकी गयी दवाओं में आयरन का सिरप, इजी पिल गर्भनिरोधक गोली, माला एन प्रेग्नेंसी किट आदि शामिल हैं. सूचना मिलने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मी आनन-फानन में वहां पहुंचे और सभी दवाओं को उठाकर अस्पताल ले गये.
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सिविल सर्जन ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दिया जांच का निर्देश
दवाओं को फेंके जाने के सवाल पर सिविल सर्जन डाॅ दिनेश कुमार ने कहा कि दवा बांटने का काम स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत एएनएम व सहिया को दिया गया है. भारी मात्रा में सरकारी दवा कैसे फेंकी गयी, यह जांच का विषय है. उन्होंने कहा कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया है.