Loading election data...

लातेहार जिले का स्थापना दिवस आज, अमर सेनानी नीलांबर-पीतांबर की धरती का रहा है गौरवशाली इतिहास, आज भी शान है पलामू किला

Jharkhand News, लातेहार न्यूज (आशीष टैगोर) : हरी-भरी वादियां, ऊंचे पर्वत और जंगलों में महुआ व पलाश की खुशबू. यह एक छोटा सा परिचय है लातेहार जिले का. कहना गलत नहीं होगा कि लातेहार जिले का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान वर्ष 1924 में लातेहार को अनुमंडल बनाया गया था. जब झारखंड अलग राज्य बना, तो चार अप्रैल 2001 को लातेहार को जिला का दर्जा प्राप्त हुआ. इससे पहले यह पलामू का एक अनुमंडल था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2021 1:32 PM

Jharkhand News, लातेहार न्यूज (आशीष टैगोर) : हरी-भरी वादियां, ऊंचे पर्वत और जंगलों में महुआ व पलाश की खुशबू. यह एक छोटा सा परिचय है लातेहार जिले का. कहना गलत नहीं होगा कि लातेहार जिले का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान वर्ष 1924 में लातेहार को अनुमंडल बनाया गया था. जब झारखंड अलग राज्य बना, तो चार अप्रैल 2001 को लातेहार को जिला का दर्जा प्राप्त हुआ. इससे पहले यह पलामू का एक अनुमंडल था.

लातेहार जिले के चारों ओर पहाड़ों की एक विशाल श्रृंखला है. किवदंती है कि पहाड़ों एवं लताओं से घिरा होने के कारण इसका नाम लातेहार पड़ा था. प्रारंभ में लातेहार सिर्फ आदिम जनजातियों का ही निवास स्थान था. हालांकि आज भी इनकी बहुलता है. बाद में बिहार व अन्य प्रदेशों से आ कर लोग यहां बसने लगे. राजा मेदिनीराय पलामू के एक प्रतापी व प्रजा पालक राजा थे. पलामू में होने के कारण राजा मेदिनीराय के किले का नाम पलामू किला पड़ा, लेकिन जब लातेहार पलामू से अलग हुआ तो यह किला लातेहार के हिस्से में आ गया, लेकिन आज भी यह पलामू किला के नाम से प्रसिद्ध है.

Also Read: झारखंड के सरकारी स्कूलों में किस क्लास तक के बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं कल से हो रही हैं शुरू, जानिए किस कक्षा तक के छात्र बिना परीक्षा होंगे प्रमोट

लातेहार प्रखंड के नावागढ़ ग्राम में भी राजा मेदिनीराय का एक किला है. बताया जाता है कि यहां राजा के सैनिक रहते थे और यह सुरंग के माध्यम से पलामू किला से जुड़ा था. किवदंती है कि राजा मेदिनीराय ने आपातकाल में इस्तेमाल करने के लिए इस सुरंग का निर्माण कराया था. हालांकि समुचित रख रखाव व संरक्षण के अभाव में ये किले आज जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच गया है. हालांकि उपायुक्त अबु इमरान ने पलामू किला को संरक्षित करने के लिए प्रयास शुरू किया है.

लातेहार जिले का स्थापना दिवस आज, अमर सेनानी नीलांबर-पीतांबर की धरती का रहा है गौरवशाली इतिहास, आज भी शान है पलामू किला 3
Also Read: जामताड़ा के पूर्व विधायक विष्णु प्रसाद भैया का निधन, अंतिम संस्कार आज, सीएम हेमंत सोरेन ने जताया शोक

वर्ष 1857 की क्रांति के अमर सेनानी नीलांबर व पीतांबर की कर्म भूमि भी लातेहार रही है. दोनों भाइयों ने सरयू एवं कोने इलाके के घने जंगलों एवं पहाड़ों से घिरे कुरुंद ग्राम को अपना ठिकाना बनाया था. बाद में लेस्लीगंज के बाद अंग्रेजों ने भी कुरूंद में अपना एक शिविर स्थापित कर दिया. अंग्रेज यहां घोड़े पर सवार हो कर आते थे और अपनी पंचायतें लगाते थे. नीलांबर-पीतांबर को गुरिल्ला युद्ध में महारत हासिल थी. वे हमेशा छिप-छिप कर अंग्रेजों के शिविर में हमला करते थे. अंग्रेजों ने नीलांबर-पीतांबर को छल-बल से गिरफ्तार कर लिया और लेस्लीगंज (पलामू) में ले जा कर फांसी दे दी. आज भी नीलांबर व पीतांबर के वशंज कोने ग्राम में निवास करते हैं. उनके परपौत्र रामनंदन सिंह बड़े फख्र से अपने पूवर्जों की कहानी कहते हैं.

लातेहार जिले का स्थापना दिवस आज, अमर सेनानी नीलांबर-पीतांबर की धरती का रहा है गौरवशाली इतिहास, आज भी शान है पलामू किला 4
Also Read: JAC 10th, 12th Exam Update : जैक मैट्रिक इंटर की परीक्षा पर कोरोना का साया, परीक्षा की अवधि बढ़ायी गयी, अब प्रायोगिक परीक्षाएं चलेंगी इतने दिनों तक

Posted By : Guru Swarup Mishra

Next Article

Exit mobile version