दरभंगा की बेटी ज्योति और साइकिलिस्ट जलालुद्दीन से मिले मंत्री महेश्वर हजारी, हरसंभव मदद का दिया भरोसा
बिहार सरकार में योजना एवं आवास विभाग के मंत्री महेश्वर हजारी सोमवार को दरभंगा की बेटी ज्योति से मिलने सिरहुल्ली पहुंचे. ज्योति और उसके पिता से मिलकर मंत्री ने पढ़ाई के साथ आगे बढ़ने के लिए अन्य सहायता उपलब्ध कराये जाने का आश्वासन दिया. इस दौरान मंत्री महेश्वर हजारी ने ज्योति को बतौर शुभकामना 51 हजार एक रुपये नकद राशि सौंपी. वहीं जदयू के प्रदेश विस प्रभारी रंजीत पासवान ने ज्योति को ग्यारह हजार रुपये नकद दिये. मौके पर पप्पू पासवान, सोहन कुमार उपस्थित थे.
दरभंगा : बिहार सरकार में योजना एवं आवास विभाग के मंत्री महेश्वर हजारी सोमवार को दरभंगा की बेटी ज्योति से मिलने सिरहुल्ली पहुंचे. ज्योति और उसके पिता से मिलकर मंत्री ने पढ़ाई के साथ आगे बढ़ने के लिए अन्य सहायता उपलब्ध कराये जाने का आश्वासन दिया. इस दौरान मंत्री महेश्वर हजारी ने ज्योति को बतौर शुभकामना 51 हजार एक रुपये नकद राशि सौंपी. वहीं जदयू के प्रदेश विस प्रभारी रंजीत पासवान ने ज्योति को ग्यारह हजार रुपये नकद दिये. मौके पर पप्पू पासवान, सोहन कुमार उपस्थित थे.
साइकिल गर्ल ज्योति से मुलाकात के बाद प्रभारी मंत्री महेश्वर हजारी टेकटार के दिव्यांग साइकलिस्ट जलालुद्दीन से मिलने पहुंचे. जलालुद्दीन से मुलाकात के दौरान योजना एवं आवास विभाग सह जिला के प्रभारी मंत्री महेश्वर हजारी ने उनसे बात करके उनकी स्थिति को जानने का प्रयास किया. इस दौरान उन्होंने जलालुद्दीन को पांच हजार रुपये नगद सहायता राशि भी सौंपी. साथ ही मंत्री ने जिलाधिकारी से बात की और बिहार सरकार से साइकिल और अन्य संसाधन मुहैया करवाने का आश्वासन दिया. वहीं, जलालुद्दीन को भरोसा है कि वे देश के लिए मेडल जीतेंगे और देश का नाम रोशन करेंगे.
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान बिहार के दरभंगा जिले की ज्योति अपने हौसलों के सहारे अपने बीमार पिता को गुरुग्राम से साइकिल पर बिठाकर 1200 किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर पहुंची थी. इसके बाद गरीब घर से संबंध रखने वाली ज्योति मुश्किल वक्त में हिम्मत और हौसले की मिसाल बन गयी. देश विदेश में मशहूर हुई ज्योति की तारीफ अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की बेटी इवांका ने भी की. अब ज्योति के घर आने वालों और मदद करने वालों का तांता लगा है. बता दें कि राज्य सरकार की ओर से पहले मदन सहनी ज्योति से मिलने पहुंचे थे.
वहीं, आर्थिक तंगी के कारण जलालुद्दीन का साइकिल चैंपियन बन देश का नाम रौशन करने का सपना तो पूरा नहीं हो पाया और उसके जीवन की राह भी आसान नहीं हो पायी. बीते दिनों प्रभातखबर से विशेष बातचीत में जलालुद्दीन ने बताया था कि कई बार सहयोग का आश्वासन तो मिला. लेकिन, अबतक कोई सहयोग नहीं मिला. बातचीत के दौरान जलालुद्दीन ने बताया कि जिला स्थापना दिवस से सफर की शुरुआत करने के बाद कई प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र मिल चुका है. लेकिन, संपर्क साधने के बाबजूद कहीं से कोई सहयोग नहीं मिल सका है. कहा कि आधुनिक साइकिल और विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था हो तो छह महीने के भीतर रिजल्ट देंगे. देश में राज्य का और विदेश में देश का झंडा बुलंद कर सबका मान बढ़ाएंगे. (इनपुट : कमतौल से शिवेंद्र कुमार शर्मा)