पश्चिम बंगाल में कई न्यायालयों में अपने खिलाफ लंबित मामलों के निबटान के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों के लिए 23 विशेष कानून अधिकारियों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है. यह निर्णय हाल के दो घटनाक्रमों के बाद आया है, जहां सबसे पहले राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के लिए अपने पूर्व लोक अभियोजकों शाश्वत गोपाल मुखर्जी और राज्य के तत्कालीन महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी को बदल दिया था. इन कानून अधिकारियों को विभिन्न राज्य सरकार के विभागों, निदेशालयों, पुलिस आयुक्तालयों और विभिन्न जिला मजिस्ट्रेट कार्यालयों के लिए नियुक्त किया जायेगा.
सचिवालय के सूत्रों ने कहा कि आपराधिक मामलों के विशेषज्ञों को मुख्य रूप से विशेष कानून अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जायेगा, क्योंकि यह वह क्षेत्र है, जहां राज्य सरकार को हाल के दिनों में विभिन्न अदालतों में सबसे अधिक झटके लगे हैं. राज्य सचिवालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हाल ही में असफलताओं के कारणों पर मूल्यांकन का दौर चला. उन्होंने कहा कि मूल्यांकन के दौरान यह पता चला कि इन असफलताओं के पीछे समन्वय की कमी मुख्य वजह थी और इसलिए ऐसे विशेष कानून अधिकारियों को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया. जबकि देबाशीष रॉय को सरकारी अभियोजक के रूप में घोषित किया गया है. राज्य सरकार ने अभी तक नये राज्य महाधिवक्ता के नाम की घोषणा नहीं की है. नये महाधिवक्ता के नाम को लेकर भी अटकलें चल रही हैं, ऐसी अफवाहें हैं कि किशोर दत्ता, जो सौमेंद्र नाथ मुखर्जी से पहले महाधिवक्ता थे और 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद उनकी जगह ले ली गयी थी, को बहाल किया जा सकता है.
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