22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

CWG में गोल्ड मेडल जीतने वाली लॉन बॉल्स टीम को नहीं मिल रहे प्रायोजक, मान्यता के लिए भी भटक रहे खिलाड़ी

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को ऐतिहासिक गोल्ड मेडल दिलाने वाली लॉन बॉल्स टीम को अगले प्रतियोगिता के लिए स्पॉन्सर नहीं मिल रहे हैं. इतना ही नहीं खिलाड़ियों को सरकार की ओर से अब तक मान्यता नहीं मिली है. इसके अभाव में खिलाड़ी अभ्यास से भी चूक रहे हैं.

नयी दिल्ली : तीन महीने पहले बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार लॉन बॉल्स में पदक जीतकर सुर्खियां बटोरने वाली खिलाड़ियों को अब अपनी अगली प्रतियोगिता के लिए प्रायोजक की तलाश है. दिल्ली की स्कूल शिक्षिका और पुलिस कांस्टेबल की महिला टीम ने बर्मिंघम के समीप विक्टोरिया पार्क में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद पुरुष टीम ने भी रजत पदक जीता. राष्ट्रमंडल खेलों में 1930 में शामिल किये जाने के बाद भारत ने पहली बार इस खेल में पदक जीता.

पैसे की कमी के कारण टीम नहीं गयी न्यूजीलैंड

पुरुष फोर टीम के सबसे युवा सदस्य नवनीत सिंह को छह अगस्त को पोडियम पर जगह बनाने के बाद उम्मीद थी कि उनका जीवन बदलेगा लेकिन ये सभी निराश हैं कि फिर वहीं पहुंच गये जहां तीन महीने पहले थे. भारतीय बॉलिंग महासंघ को इस महीने चैंपियंस ऑफ चैंपियंस टूर्नामेंट के लिए दो सदस्यीय टीम को न्यूजीलैंड भेजना था लेकिन वित्तीय संकट के कारण वह पीछे हट गया.

Also Read: National Games: लॉन बॉल में झारखंड का गोल्डन सफर जारी, सुनील बहादुर ने जीता सोना
ट्रेनिंग में भी हो रही परेशानी

भारतीय बॉलिंग महासंघ के कोषाध्यक्ष कृष्ण बीर सिंह राठी ने पीटीआई से कहा कि प्रति व्यक्ति खर्च सात लाख रुपये आता है और खिलाड़ी आम तौर पर स्वयं पैसे का इंतजाम करते हैं. हमें उम्मीद है कि हमें जल्द ही केंद्र सरकार की मान्यता मिलेगी जिससे कि हमें ट्रेनिंग और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कोष के बारे में चिंता नहीं करनी पड़े. दिल्ली में 12 साल पहले राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान खेल से जुड़ने वाले 27 साल के नवनीत ने भी निराशा जाहिर की.

सरकार से मान्यता का इंतजार

राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने के लिए विमान उड़ाने की परीक्षा में हिस्सा नहीं लेने वाले दिल्ली के नवनीत ने कहा कि हमने सोचा था कि चीजें बदलेंगी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ. हमें सरकार ने जल्द मान्यता मिलने की उम्मीद थी जिससे कि काफी पहले ही अपना प्रतियोगिता कैलेंडर बना पाएं. नवनीत की टीम के अन्य सदस्यों में 37 साल के खेल शिक्षक चंदन कुमार, झारखंड पुलिस के अधिकारी सुनील बहादुर और दिनेश कुमार शामिल थे.

सरकार से है उम्मीदें

स्वर्ण पदक विजेता महिला टीम में पिंकी, लवली चौबे, रूपा रानी तिर्की और नयनमोनी सेकिया को जगह मिली थी. राठी ने बताया कि वे राष्ट्रमंडल खेलों से पहले ट्रेनिंग शिविर के दौरान खान-पान और रहने की व्यवस्था के लिए भुगतान नहीं कर पाये हैं. बर्मिंघम खेलों से ठीम पहले 10 दिवसीय शिविर के लिए लंदन रवाना होने से पहले टीम के सदस्यों ने दिल्ली में चार महीने के शिविर में हिस्सा लिया था. इस पर कुल खर्च एक करोड़ 32 लाख रुपये आया था. राठी ने कहा कि हमने सरकार ने इस खर्चे को भी स्वीकृति देने का आग्रह किया है, हम इंतजार कर रहे हैं. हमने पिछले साल मान्यता के लिए आवेदन किया और फाइनल अब भी खेल मंत्रालय के पास है. सरकार की मान्यता से हमारे खेल को जरूरी बढ़ावा मिलेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें