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फिर उलझी स्थानीय नीति : यूपीए के अंदर सुगबुगाहट, गरम हो रहा सियासी पारा

स्थानीय नीति झारखंड में अनसुलझी गुत्थी का नाम है़ राज्य गठन के बाद से ही इस नीति को लेकर बवाल होता रहा है़ इसको लेकर सर्वसम्मत राय नहीं बन पायी है़

By Prabhat Khabar News Desk | August 20, 2020 3:39 AM

रांची : स्थानीय नीति झारखंड में अनसुलझी गुत्थी का नाम है़ राज्य गठन के बाद से ही इस नीति को लेकर बवाल होता रहा है़ इसको लेकर सर्वसम्मत राय नहीं बन पायी है़ राज्य गठन के 15 वर्ष बाद पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार ने 7 अप्रैल 2016 में स्थानीय नीति घोषित की़ वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार ने इस नीति में विसंगतियां गिनाते हुए खारिज कर दिया़ अब एक बार फिर स्थानीय नीति एजेंडा बना गया है़

झारखंड की राजनीति गरमाने वाली है़ यूपीए के अंदर सुगबुगाहट है़ सरकार में वित्त मंत्री व कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा है कि पूर्व सरकार की नीति में बहुत गड़बड़ी थी़ यहां से मैट्रिक पास करने वाले को भी स्थानीय बताया जा रहा था़ उस नीति में खामी थी,

इसलिए सरकार ने खारिज किया़ लेकिन अब इस मुद्दे पर ड्रामा नहीं होना चाहिए़ राजनीति बंद होनी चाहिए़ स्पष्ट नीति बने़ यहां के लोगों को हक मिले और किसी का दिल ना दुखे़ पिछले 25-30 वर्षों से जो भी रह रहे हैं, उनको शामिल करना चाहिए़ कमेटी में विशेषज्ञों को शामिल करना चाहिए़ समाज के हर वर्ग से बात हो़ सभी की राय ली जाये़

इधर मांडर विधायक व स्थानीयता के सवाल पर मुखर रहनेवाले बंधु तिर्की ने कहा कि केवल कमेटी बनाने की घोषणा से कुछ होने वाला नहीं है़ पहले भी कमेटी बनी है़ कोई रिजल्ट नहीं आया था़ इस मामले को टालना राज्यहित में नहीं है़ विधानसभा में बहस हो़ राज्य की जनता जाने कि इस नीति को लेकर किस दल की क्या राय है़ बहस के बाद ही मामला साफ होगा़ सरकार आदिवासी-मूलवासी को हक देना चाहती है, तो इसको लेकर जल्द पहल करे़

डॉ रामेश्वर ने कहा – अब इस मुद्दे पर ड्रामा नहीं होना चाहिए़, स्पष्ट नीति बने

बंधु तिर्की ने की मांग- मामले को टालना राज्यहित में नहीं है़, विधानसभा में बहस हो

बाबूलाल मरांडी की सरकार से शुरू हुआ था विवाद

रघुवर दास ने 2016 में बनायी स्थानीय नीति, हुई खारिज

अर्जुन मुंडा की सरकार में हेमंत सोरेन व सुदेश महतो थे कमेटी में : अर्जुन मुंडा की सरकार के कार्यकाल में स्थानीयता को लेकर एक कमेटी बनी थी़ वर्तमान मुख्यमंत्री व तत्कालीन उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उस कमेटी में थे़ उसी कमेटी में आजसू नेता व तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो भी कमेटी में शामिल थे़ तत्कालीन शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम को भी सदस्य के रूप में शामिल थे़ 2011 में बनी यह कमेटी किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची़

पिछली हेमंत सरकार में भी बनी थी कमेटी ड्राफ्ट तैयार होने के बावजूद नहीं बनी नीति :

पिछली बार वर्ष 2013 में जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने, तो स्थानीय नीति के लिए कमेटी बनी थी़ अर्जुन मुंडा की सरकार स्थानीय नीति को लेकर ही गिरायी गयी थी़ कमेटी ने ड्राफ्ट भी तैयार कर ली थी, लेकिन इस पर सर्वसम्मति से राय नहीं बन पायी थी़ 21 जनवरी 2014 को कमेटी का गठन किया गया था़

तत्कालीन मंत्री स्व राजेंद्र प्रसाद सिंह इसके संयोजक बनाये गये थे़ वहीं तत्कालीन मंत्री चंपई सोरेन, गीता श्री उरांव, सुरेश पासवान, बंधु तिर्की, लोबिन हेंब्रम, डॉ सरफराज अहमद, विद्युत वरण महतो व संजय सिंह यादव को सदस्य बनाया गया था.

Post by : Pritish Sahay

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